धन से संबन्धित बाइबल के पद Dhan (Bible Verses About Wealth)
धन से संबन्धित बाइबल के पद:- जल्दी धनी बनने के लिए गलत तरीकों से धन इकट्ठा ना करें, जो जल्दी अमीर बनना चाहते हैं वो बहुत से प्रलोभन में आकर मन की शांति और मान सम्मान खो देते हैं पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं। 175 AWESOME PROVERBS FOR WISDOM OF LIFE IN HINDI & ENGLISH | जीवन में बुद्धि प्राप्ति के लिये 175 अद्भुत नीति वचन
धर्मी का थोड़ा से माल दुष्टों के बहुत से धन से उत्तम है। भजन संहिता 37:16
- सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा! भजन संहिता 39:6
- अपनी सम्पत्ति पर भरोसा रखते, और अपने धन की बहुतायत पर फूलते हैं,भजन संहिता 49:6
- जब कोई धनी हो जाए और उसके घर का वैभव बढ़ जाए, तब तू भय न खाना। भजन संहिता 49:16
अन्धेर करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन सम्पति बढ़े, तौभी उस पर मन न लगाना॥ भजन संहिता 62:10
- देखो, ये तो दुष्ट लोग हैं; तौभी सदा सुभागी रहकर, धन सम्पत्ति बटोरते रहते हैं। भजन संहिता 73:12
- ओर उस को चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे;नीतिवचन 2:4
- उसके दहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है। नीतिवचन 3:16
धन और प्रतिष्ठा मेरे पास है, वरन ठहरने वाला धन और धर्म भी हैं। नीतिवचन 8:18
- दुष्टों के रखे हुए धन से लाभ नही होता, परन्तु धर्म के कारण मृत्यु से बचाव होता है। नीतिवचन 10:2
- जो काम में ढिलाई करता है, वह निर्धन हो जाता है, परन्तु कामकाजी लोग अपने हाथों के द्वारा धनी होते हैं। नीतिवचन 10:4
- धनी का धन उसका दृढ़ नगर है, परन्तु कंगाल लोग निर्धन होने के कारण विनाश होते हैं। नीतिवचन 10:15
- धन यहोवा की आशीष ही से मिलता है, और वह उसके साथ दु:ख नहीं मिलाता। नीतिवचन 10:22
- कोप के दिन धन से तो कुछ लाभ नहीं होता, परन्तु धर्म मृत्यु से भी बचाता है। नीतिवचन 11:4
- जो अपने धन पर भरोसा रखता है वह गिर जाता है, परन्तु धर्मी लोग नये पत्ते की नाईं लहलहाते हैं। नीतिवचन 11:28
कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, तौभी उसके पास बहुत रहता है। नीतिवचन 13:7
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- प्राण की छुड़ौती मनुष्य का धन है, परन्तु निर्धन घुड़की को सुनता भी नहीं। नीतिवचन 13:8
- निर्धन का पड़ोसी भी उस से घृणा करता है, परन्तु धनी के बहुतेरे प्रेमी होते हैं। नीतिवचन 14:20
- बुद्धिमानों का धन उन का मुकुट ठहरता है, परन्तु मूर्खों की मूढ़ता निरी मूढ़ता है। नीतिवचन 14:24
- धर्मी के घर में बहुत धन रहता है, परन्तु दुष्ट के उपार्जन में दु:ख रहता है। नीतिवचन 15:6
- घबराहट के साथ बहुत रखे हुए धन से, यहोवा के भय के साथ थोड़ा ही धन उत्तम है, नीतिवचन 15:16
- धनी का धन उसकी दृष्टि में गढ़ वाला नगर, और ऊंचे पर बनी हुई शहरपनाह है। नीतिवचन 18:11
- निर्धन गिड़गिड़ा कर बोलता है, परन्तु धनी कड़ा उत्तर देता है। नीतिवचन 18:23
- धनी के तो बहुत मित्र हो जाते हैं, परन्तु कंगाल के मित्र उस से अलग हो जाते हैं। नीतिवचन 19:4
धन से संबन्धित बाइबल के पद
घर और धन पुरखाओं के भाग में, परन्तु बुद्धिमती पत्नी यहोवा ही से मिलती है। नीतिवचन 19:14
- मनुष्य कृपा करने के अनुसार चाहने योग्य होता है, और निर्धन जन झूठ बोलने वाले से उत्तम है। नीतिवचन 19:22
- धर्मी जो खराई से चलता रहता है, उसके पीछे उसके लड़के बाले धन्य होते हैं। नीतिवचन 20:7
- बुद्धिमान के घर में उत्तम धन और तेल पाए जाते हैं, परन्तु मूर्ख उन को उड़ा डालता है। नीतिवचन 21:20
- बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है, और सोने चान्दी से औरों की प्रसन्नता उत्तम है। नीतिवचन 22:1
- धनी और निर्धन दोनों एक दूसरे से मिलते हैं; यहोवा उन दोनों का कर्त्ता है। नीतिवचन 22:2
- नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महिमा और जीवन होता है। नीतिवचन 22:4
धन से संबन्धित बाइबल के पद | Bible
- जो निर्धन पुरूष कंगालों पर अन्धेर करता है, वह ऐसी भारी वर्षा के समान है। जो कुछ भोजन वस्तु नहीं छोड़ती। नीतिवचन 28:3
- टेढ़ी चाल चलने वाले धनी मनुष्य से खराई से चलने वाला निर्धन पुरूष ही उत्तम है। नीतिवचन 28:6
- धनी पुरूष अपनी दृष्टि में बुद्धिमान होता है, परन्तु समझदार कंगाल उसका मर्म बूझ लेता है। नीतिवचन 28:11
- जो मनुष्य निरन्तर प्रभु का भय मानता रहता है वह धन्य है; परन्तु जो अपना मन कठोर कर लेता है वह विपत्ति में पड़ता है। नीतिवचन 28:14
सच्चे मनुष्य पर बहुत आशीर्वाद होते रहते हैं, परन्तु जो धनी होने में उतावली करता है, वह निर्दोष नहीं ठहरता। नीतिवचन 28:20
- लोभी जन धन प्राप्त करने में उतावली करता है, और नहीं जानता कि वह घटी में पड़ेगा। नीतिवचन 28:22
- जो निर्धन को दान देता है उसे घटी नहीं होती, परन्तु जो उस से दृष्टि फेर लेता है वह शाप पर शाप पाता है। नीतिवचन 28:27
- जो पुरूष बुद्धि से प्रीति रखता है, अपने पिता को आनन्दित करता है, परन्तु वेश्याओं की संगति करने वाला धन को उड़ा देता है। नीतिवचन 29:3
निर्धन और अन्धेर करने वाला पुरूष एक समान है; और यहोवा दोनों की आंखों में ज्योति देता है। नीतिवचन 29:13
- अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर। नीतिवचन 30:8
- जो रूपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है। सभोपदेशक 5:10
- परिश्रम करने वाला चाहे थोड़ा खाए, था बहुत, तौभी उसकी नींद सुखदाई होती है; परन्तु धनी के धन के बढ़ने के कारण उसको नींद नहीं आती। सभोपदेशक 5:12
- मैं ने धरती पर एक बड़ी बुरी बला देखी है; अर्थात वह धन जिसे उसके मालिक ने अपनी ही हानि के लिये रखा हो, सभोपदेशक 5:13
बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे; यिर्मयाह 9:23
- राजा को मन में भी शाप न देना, न धनवान को अपने शयन की कोठरी में शाप देना; क्योंकि कोई आकाश का पक्षी तेरी वाणी को ले जाएगा, और कोई उड़ाने वाला जन्तु उस बात को प्रगट कर देगा॥ सभोपदेशक 10:20
- जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिडिय़ा के दिए हुए अंडों को सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूढ़ ही ठहरता है। यिर्मयाह 17:11
- तू ने अपनी बुद्धि और समझ के द्वारा धन प्राप्त किया, और अपने भण्डारों में सोना-चान्दी रखा है; यहेजकेल 28:4
- क्या अब तक दुष्ट के घर में दुष्टता से पाया हुआ धन और छोटा एपा घृणित नहीं है? मीका 6:10
- चांदी को लूटो, सोने को लूटो, उसके रखे हुए धन की बहुतायत, और वैभव की सब प्रकार की मनभावनी सामग्री का कुछ परिमाण नहीं॥ नहूम 2:9
- हाय उस हत्यारी नगरी पर, वह तो छल और लूट के धन से भरी हुई है; लूट कम नहीं होती है। नहूम 3:1
- सुनो, यहोवा का एक ऐसा दिन आने वाला है जिस में तेरा धन लूट कर तेरे बीच में बांट लिया जाएगा। जकर्याह 14:1
अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। मत्ती 6:19
- अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। मत्ती 6:20
- क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा। मत्ती 6:21
- “तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते”। मत्ती 6:24
- जो झाड़ियों में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता। मत्ती 13:22
- स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाकर छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर और अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया॥ मत्ती 13:44
यीशु ने उस से कहा, यदि तू सिद्ध होना चाहता है; तो जा, अपना माल बेचकर कंगालों को दे; और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा; और आकर मेरे पीछे हो ले। मत्ती 19:21
- तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है। मत्ती 19:23
- परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है। मत्ती 19:24
- इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था। मरकुस 10:22
- यीशु ने चारों ओर देखकर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! मरकुस 10:23
- परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है! मरकुस 10:25
- जो झाड़ियों में गिरा, सो वे हैं, जो सुनते हैं, पर होते होते चिन्ता और धन और जीवन के सुख विलास में फंस जाते हैं, और उन का फल नहीं पकता। लूका 8:14
- ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं॥ लूका 12:21
धन से संबन्धित बाइबल के पद
- अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता। लूका 12:33
- क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा॥ लूका 12:34
- तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते॥ लूका 16:13
- और वह चाहता था, कि धनवान की मेज पर की जूठन से अपना पेट भरे; वरन कुत्ते भी आकर उसके घावों को चाटते थे। लूका 16:21
- आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं! रोमियो 11:33
- और तुम्हारे मन की आंखें ज्योतिर्मय हों कि तुम जान लो कि उसके बुलाने से कैसी आशा होती है, और पवित्र लोगों में उस की मीरास की महिमा का धन कैसा है। इफिसियों 1:18
- परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया। इफिसियों 2:4
धन के लिए शक्तिशाली बाइबिल कविता
धन की प्राप्ति हो, यही बात आपकी ख्वाहिश हो,
धन के लिए शक्ति प्राप्त करने की आपकी मर्ज़ी हो।
बाइबिल में छिपी हैं संकेत अनेक,
जिनसे प्राप्त हो सकता है आपका धन समृद्ध।
बाइबिल की पंक्तियों में छिपा है अमूल्य रत्न,
जिनकी मदद से आप बन सकते हैं धन के प्रधान।
जो खर्च करें धन भली भांति और सत्य के रास्ते,
वे उगेंगे और फल देंगे ऐसे जैसे वृक्ष घने पे।
सदाचार बनाएं धन प्राप्त करने का मार्ग,
धन के उपायों में छिपा है यह गोपनीय तथ्य।
दान करें जी हां कर्मों से परे,
आपके धन की वृद्धि होगी सुरेख तरे।
जब करें आप बिना चिंता के उपकार,
तब प्राप्त करेंगे आप अद्वितीय धन विकार।
अपने मन को शांत और ध्यान में स्थिर रखें,
धन के लिए प्रार्थना करें, भगवान को याद रखें।
बाइबिल धन के बारे में ज्ञान बहुत देती है,
यदि आप अनुसरण करें, तो धन की धारा आपके पास होगी।
धन के लिए शक्तिशाली बाइबिल कविता यही है,
जो धन की राह पर चलने की आपको देती सच्चाई।
बाइबल ने दौलत के बारे में क्या कहा?
मुख्यतः, धन के बारे में बाइबल में कुछ महत्वपूर्ण सन्देश हैं जो हमें समझाते हैं कि धन अपने आप में समर्थ नहीं है। बाइबिल के अनुसार, धन का सही उपयोग करने की आवश्यकता है और यह हमें आत्म-नियंत्रण, सामर्थ्य, और भलाई के काम में उपयोगी होना चाहिए। धन अपने आप में खुदाई या सफलता का आधार नहीं है, बल्कि हमारे मानसिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक जीवन का एक हिस्सा है।
बाइबिल हमें सम्पत्ति को निर्माण करने के तरीकों, धन के साथ संतुष्टि कैसे प्राप्त करें, और धन के साथ सही रूप से व्यवहार करने की शिक्षा देती है। यह एक मानवीय मुद्दा है जिस पर हमें विचार करना चाहिए और अपने जीवन में धन के संबंध में सत्यापित करने के लिए बाइबिल के सन्देशों का पालन करना चाहिए।
बाइबल एक पवित्र किताब है जो विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण मान्यताओं और सिद्धांतों का संग्रह है। यह एक सामग्री संग्रह है जिसमें धार्मिक और मानवीय जीवन के विभिन्न मुद्दों पर विचारों और संदेशों को सम्मिलित किया गया है। धन के विषय में भी बाइबल में कई मुद्दों और संदेशों का उल्लेख है।
बाइबल में दौलत के संबंध में कई महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं, जो कि इस धन की महत्ता और उपयोग को समझाती हैं। यहां कुछ प्रमुख उद्धरण हैं जो बाइबल में दौलत के बारे में कहे गए हैं:
1. प्रोवर्ब्स 10:22: “धन यहोवा की आशीष से मिलता है, और वह उसके साथ दु:ख नहीं मिलाता।”
2. मत्ती 6:19-21: “अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।”
3. मरकुस 10:25: “परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!’
ये उद्धरण दर्शाते हैं कि धन का महत्व और उपयोग बाइबल में विविध रूपों में बताया गया है। यह समझाता है कि धन ईश्वरीय आशीर्वाद हो सकता है और सही तरीके से उपयोग किया जाए तो धन आनंद और समृद्धि का स्रोत बन सकता है।
यीशु ने धन पद के बारे में क्या कहा?
यीशु ने बाइबल के धन संबंधी पदों के बारे में कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए हैं। उनके द्वारा दिए गए संदेश धन के महत्व, धन के उपयोग पर निर्देश, और धन के आपातकालीन महत्व को स्पष्ट करते हैं। यहां कुछ प्रमुख उद्धरण हैं जो यीशु ने धन के बारे में कहे हैं:
1. मत्ती 6:19-21: “अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।”
2. लूका 12:15: “और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।”
3. लूका 12:33: “अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।”
यीशु के द्वारा ये सन्देश दिए गए हैं ताकि हम धन के साथ संयमित रहें, धन की प्राप्ति के लिए सही मार्ग चुनें, और धन को उचित तरीके से उपयोग करें। उन्होंने हमें समझाया है कि वास्तविक धन आत्मिक धन से अधिक महत्वपूर्ण होता है और धन का सही उपयोग करने से हम आध्यात्मिक और आदर्श जीवन जी सकते हैं।
बाइबल में धन के बारे में परमेश्वर क्या कहता है?
बाइबल में परमेश्वर धन के बारे में कई सन्देश देता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण पद हैं जो बाइबल में धन के संबंध में परमेश्वर की बातें व्यक्त करते हैं:
1. लूका 12:34: “क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा॥”
2. फिलिप्पियों 4:19: “और वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ।”
3. मत्ती 6:33: “इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।”
ये पद दिखाते हैं कि परमेश्वर हमें धन के महत्व को समझाता है और हमें धन को उचित तरीके से उपयोग करने का निर्देश देता है। परमेश्वर की प्राथमिकता उच्चतम आदर्शों, आत्मिकता, और प्रेम में होनी चाहिए और वह हमें सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए साधन प्रदान करता है।
यहां केवल कुछ उद्धरण हैं और बाइबल में और भी बहुत सारे सन्दर्भ दिए गए हैं जो धन के सम्बंध में विचारों और संदेशों को स्पष्ट करते हैं। धन को उचित तरीके से उपयोग करके और इस्तेमाल करके व्यक्ति अपने जीवन में समृद्धि, उदारता, और ईश्वरीय आशीर्वाद का आनंद ले सकता है।
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