श्री भारिल जी की प्रेरणादायक कविता: मिशन क्रांति (Inspirational & Motivational Poem ‘Mission Kranti’ By S. P. Bharill Sir) Mission Kranti Poem By S.P. Bharill, Ambassador of Vestige Network marketing & Founder of Winning Team Education System मिशन क्रांति कविता के गीतकार, लेखक और गायक: श्री शुद्धात्म प्रकाश भारिल जी हैं। Bharill Sir नेटवर्क मार्केटिंग के महागुरु और winning team education system के जनक हैं, उनकी एक पुस्तक 18 चैप्टर को नेटवर्क मार्केटिंग करने वालों द्वारा बहुत पढ़ा और पसंद किया जाता है ।
श्री भारिल जी की प्रेरणादायक कविता: मिशन क्रांति (Inspirational & Motivational Poem ‘Mission Kranti’ By S. P. Bharill Sir)
Poem ‘Mission Kranti’ By S. P. Bharill Sir
श्री Bharill जी के बहुत से अनमोल विचार और छोटी छोटी एवं महत्वपूर्ण सीख को उनके यूट्यूब S P BHARILL और WINNING TEAM के OFFICIL यूट्यूब पर देख सकते हैं, मिस्टर.BHARILL जी नेटवर्क मार्केटिंग में उस समय से जाना जाता है, जब नेटवर्क मार्केटिंग का भारत में आगाज ही हुया था, अपनी दूरदर्शिता की वजह से उन्होने बहुत पहले ही DIRECT SELLING के उज्जवल भविष्य को भाँपते हुये आगाह किया था, कि यदि हम चूक गये तो क्या होगा, उनकी कवर पेज की तस्वीर के साथ मेग्ज़ीन और सबसे पहले दिया गया संदेश आज भी मेरा हौसला बढ़ाता है।
Inspirational & Motivational Poem ‘Mission Kranti’ By S. P. Bharill Sir
मिस्टर. Bharill का कहानियाँ सुनाने और उनसे सिखाने का अंदाज़ बेहद विरला, और पसंद किया जाने वाला होता है, 2019 में तालकटोरा स्टेडियम हल्ला बोल में उनसे एक बार फिर टेढ़ी खीर सुन कर मन खुश हो गया। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं भी उनकी टीम में शामिल होने पायी।
Motivational Poem ‘Mission Kranti’ By S. P. Bharill Sir
अपनों के सपने, अपने हो जायें जब, पराये भी अपने लगने लगें जब । चौक चौराहे पर चर्चा होने लगे जब, पूरा जहाँ एक कुटुंब बन जाये जब ।। विंनिंग टीम का मिशन बन जाता है, क्रांति तब ।।
मकड़ी उलझी है अपने ही बुने जाल में । तू उलझा है, अपने ही बनाये, जंजाल में ।। उठो ! जागो ! तोड़ो ! अहंम के ,डर के, झूठी शान , और अज्ञान के , बंधन बेजान से।।
तुम्हारी आँखों में। किया है अपना समर्पण, तुम्हारी झोली में ।। बहाये हैं आँसूँ तुम्हारे सामने, किया है तुमने वादा उनसे, सबके सामने ।। चेतो ! उठो ! उठाओ अब मशाल, मिशन क्रांति की।
कीचड़ में छप छप करना मेरा उद्देश्य नहीं । तेरे साथ !तेरे साथ ! इसके साथ ! उसके साथ ! मेरी कोशिश है कि अब परिभाषा बदलनी चाहिए, और तमन्ना है कि हर लाश चलनी चाहिए ।।
हर उस तड़फड़ाते इंसान को, जिसकी आँखों में सपना है, जज्बा है, जुनून है, दर्द और पीड़ा है । जिसके दिल में धड़धड़ाता दिल है, जो मुर्दा नहीं, पत्थर नहीं, बेजान नहीं, स्वार्थी नहीं और मौका परस्त नहीं ।।
सोचो ! समझो ! जानों तब, उन भावों का फल क्या होगा !
देखो, खटखटाया है किसी ने द्वार तुम्हारा ×2 बज चुका है विगुल, मिशन क्रांति का । ये विस्फ़ोट है आर्थिक क्रांति का, ये आगाद है आत्मिक शांति का । आवाज़ दे रही है सारी कायनात तुम्हें, अब चूक ना जाना, हाथ फैलाये खड़ा है, जांबाज़ विंनिंग टीम का ।।
हाथ धर संजोये सपनों और रोकी भावनाओं को, अपनी ही हाथ हथेली पे रखने का। बहुत रो लिया । गा लिया । माथा पटक लिया ।
जाओ अब कह दो उनसे, लौटूँगा मैं अब कुछ बन के । लौं थी, लौटूँगा अब लपटें बनके नीलकंठ बन, छीन लूँगा विष सबके, सूरज बन, रौशन कर दूंगा जहां को । हनुमान बन लगा लूँगा आग, अपनी ही पूंछ में, कृष्ण बन समझाऊँगा तुम्हें जीवन रण में अब चीख चीख के चिल्लाती है आत्मा, कोई रोक सके तो रोक ले ।
जहां प्यार हो, मोहब्बत हो, दौलत हो, आध्यत्म हो, निरोग हो, आचार विचार हो, चैन हो, अमन हो, और रामराज्य हो । जहां हर सुर से बस, एक ही सुर निकले । जनाब ! पहले आप !!
लगड़ा घुड़सवार नहीं था, घोड़ा था, जो नहीं है अब । पहचान चुका हूँ मैं अब, उठ चुका है तूफान, मिशन क्रांति का अब ।। जाओ, चुनोतियाँ से कह दो: संभल लें जरा । बवंडरों से कह दो: थम जायें जरा ।। समुंदर से कह दो: इठलाले जरा। आसमान से कह दो: उठ जाए जरा।। जमीं से कह दो: स्वागत में बिछ जाए जरा। चाहे जिससे कह दो:
फिर गिला शिकवा ना करना, क्योंकि ! अभी अभी कुछ जांबाजों ने यहां से, गुजरने का इरादा किया है । विंनिंग टीम (WINNING TEAM) के जांबाज़ों ने, शुरू विजय अभियान किया है । लक्ष्य रहेंगे पूरा करके, अब हमने ये ठान लिया है ।। ठान लिया है ।। ठान लिया है ।। ठान लिया है ।।
दोस्तो, आप को मेरी पोस्ट कैसी लगी ? एक रोज मैं मिशन क्रान्ति कविता के लीरिक्स खोज रही थी, और मुझे आसानी से गूगल पर लीरिक्स नहीं मिले, फिर मैंने गीत के बोल को शब्दों में उतार कर उसकी एक वीडियो बनाई और यूट्यूब पर डाल दी, जब मुझे सराहना मिली, तो सोचा कि ये तो सबके बहुत काम की चीज़ है, इसे गूगल में होना चाहिये, आखिर प्रेरणा मिलती है इस कविता से, तो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचना चाहिये इसे। बस यही एक मक़सद है इस कविता को पब्लिश करने का। प्रथम और अंतिम श्रेय श्री एस. पी. Bharill जी को ही मिलना चाहिये।