15 सुझावों से परिपूर्ण एक खत | SMS | 15 Tips in A Letter
15 सुझावों से परिपूर्ण एक खत, “बस आपके नाम” A letter full of 15 Tips, “Just For You”
“तुम्हारे अनकहे लफ़्ज़ों को भी,
कान लगाकर सुनतीं हूं मैं, जैसे !
वो तेरी खामोशी को भी,
लफ्ज़ देती हूं मैं, जैसे!
अंधियारी रात के सन्नाटे में,
कहीं आहट हुई हो जैसे,
फिर चांद की चांदनी में !
बांवरी सी तुझे ढूंढ़ती हूं मैं जैसे,
मुद्दत से मेरे घर पर आईना नहीं है!
खुद की ही धुंधली छाया में,
घंटों तुझे ढूंढ़ती हूं मैं जैसे!
बादलों के बीच चांद,
अटखेलियां करता है जैसे!
किताब में रखे तेरे गुलाब से,
तेरी खुशबू ढूंढ़ती हूं मैं जैसे।।
1.
जीवन में सफल होना है तो इन पाँच वाक्यों को कचरे के डिब्बे में डाल दे-
1. लोग क्या कहेंगे?
2. मुझसे नहीं होगा।
3. मेरा मूड नहीं है।
4. मेरी किस्मत खराब है।
5. मेरे पास टाइम नहीं है।
2.
“अगर किसी परिस्थिति के लिए आपके पास सही शब्द नहीं है
तो सिर्फ मुस्कुरा दीजिये,
शब्द उलझा सकते है पर
मुस्कराहट हमेशा काम
कर जाती है”।
3.
“खुशनसीब वो नहीं जिसका
नसीब अच्छा है खुशनसीब
वो है जो अपने नसीब से खुश है”।
4.
“आवश्यकताएँ कभी भी खत्म नहीं होती,
एक पूरी होती है तो दूसरी आ जाती है”।
5.
“जहाँ बोलचाल बंद होते है,
वहाँ सुलह के रास्ते भी बंद हो जाते हैं”।
6.
“अनुशासन आपके जीवन को महान बनाता है”।
7.
“अपेक्षाएं
जहां खत्म होती हैं,
सुकून
वहीं से शुरू होता है”।
8.
“सरल व्यक्ति के साथ किया
गया छल आपकी बर्बादी के
सभी द्वार खोल देता है,
चाहे आप कितने भी बड़े
शतरंज के खिलाड़ी क्यों
न हो”।
9.
“नसीहत वो सच्चाई है,
जिसे हम कभी ध्यान से नही सुनते।
और तारीफ वो धोखा है,
जिसे हम हमेशा ध्यान से सुनते हैं।”
10.
“ज़िन्दगी में यही देखना ज़रूरी नहीं है,
कि कौन हमारे आगे है या कौन हमारे पीछे….
कभी यह भी देखना चाहिये कि,
हम किसके साथ हैं, और कौन हमारे साथ है…..”
11.
“प्रसन्नता वह औषधि है
जो हर मर्ज को ठीक कर सकती है
सबसे खास बात कि वो मिलती भी
अपने ही अंदर है
प्रसन्न रहिए, सुखी रहिए”।
12.
“अकेलापन” से सीखा है
पर बात “सच्ची” है…||
दिखावे की “नजदीकियों” से
हकीकत की “दूरियां” अच्छी है…||
13.
“बहुत दिनों बाद स्कूल के सामने से निकला;
तो स्कूल ने पूछा,
“मुझसे तो तू बहुत परेशान था,
अब ये बता कि
जिंदगी के इम्तेहान कैसे चल रहे
हैं ???
14.
“किसी ने हमसे कहा , दोस्ती धीमा ज़हर है
हमने भी मुस्कुरा के कहा,
हमें भी कहां जल्दी मरना है”।
15.
सुनो; तुम थोडा़ अपने लिये क्यों नहीं जीती,
कभी यूँ ही छोड़ कर काम की फिक्र,
देख लो न अपनी पसंदीदा मूवी।
क्या हुआ जो रात के दस बज रहे,
और किचन स्लैब साफ करना बाकी है।
अरे ठीक है, भूल गयी अगर दही जमाना,
भूलना भी कभी कभी सही ही है।
अरे रूको-
क्यों बना रही दूसरी सब्जी,
कभी अपनी पसन्द भी आजमाओ।
तुम्हें फलियां पसन्द है,
आज सिर्फ वही बनाओ।
तो क्या हुआ अगर तुमने सिर पर पल्लू नहीं किया,
किचन की गर्मी में कोई खडा़ हो कर दिखाए!
डर क्यों रही, अगर थोडा़ लेट हो गयी,
कितने दिन बाद तो निकली हो घर से।
तुम्हें तो कटे हुए छोटे बाल पसन्द,
फिर क्यों ये लम्बी सी चोटी।
और क्या हुआ अगर नहीं हो पतली,
अच्छी तो लग रही हो मोटी।
तुमसे नहीं हो रही पढाई मत करो,
जो अच्छा लगे दिल से, वो करो।
सुनो!
रस्म रिवाज़ सब अच्छे हैं,
जब तक वो बन्धन नहीं।
तो तुम अगर पायल पहनना भूल जाती,
या हाथों में ढे़र सी चूडियाँ
तो गुनाह नहीं किया तुमने।
निकालो –
थोडा़ सा वक्त अपने लिए भी,
कोई नहीं कहेगा कि सबको देती हो,
दूध तुम क्यों नहीं पीती
थोडा़ अपने लिये क्यों नहीं जीती ???
https://www.youtube.com/watch?v=nuPDpuGeFps
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