पवित्र शास्त्र से प्रेरणादायक वचन 30+ Best Inspirational Scriptures From The Bible
पवित्र शास्त्र से प्रेरणादायक वचन | 30+ Best Inspirational Scriptures From The Bible- प्रियो, परमेश्वर प्रतिदिन हमें हियाब और सामर्थ्य देते हैं, ताकि बिना भय के सही कार्यों में प्रयत्नशील रहते हुये हम आगे बढ़ सकें, इन को कंठस्थ करके अपनी आत्मिक स्थिति को बेहतर से बहुत बेहतरीन किया जा सकता है
जीवन लक्ष्य की दौड़
पवित्र शास्त्र से प्रेरणादायक वचन | Inspirational Scriptures From The Bible
- ईश्वरीय सुरक्षा का वचन (Pledge of Godly Safety)
- सच्चा सुख (True Happiness)
- धन्य वचन (Blessed words)
- विरले ही उधार लें (Rarely borrow)
- परमेश्वर को हमारी चिंता है (God is concerned with us)
- परमेश्वर का निमंत्रण (Invitation of God)
- बिना शर्त स्वीकार करना (Unconditionally accept)
आदर्श प्रार्थना का नमूना (Sample Prayer)
- परमेश्वर की आज्ञा (Commandments of God)
- एकाग्रता से सुनना (Listen with concentration)
- परमेश्वर हमारे साथ हैं (God is with us)
- स्वेक्षा से क्षमा याचना करना (Apologize voluntarily)
- परमेश्वर का आश्वाशन (Assurance of God)
- मसीह में नई सृष्टि (New creation in Christ)
- क्षमा का वरदान (Gift of forgiveness of God)
- मेलमिलाप (Reconciliation with God)
प्रेम (Love of God) दिव्य प्रेम की शक्ति (Power of divine love)
- जीवन की रोटी है (God is the Bread of Life)
- परमेश्वर जीवन का जल है (God is the water of life)
- उत्तम सेवक (Best servant)
- उपयुक्त प्रोत्साहन देना (Give appropriate impetus)
- मसीही विश्वासी का जीवन उद्देश्य (Christian Life Purpose)
- जीवन लक्ष्य की दौड़ ( Race of Life goal)
प्रेम का आचरण (Conduct of love)
- पवित्रता की भरपूरी (Full of purity)
- पवित्रात्मा के वरदान और वरदानों का उचित प्रयोग (Proper use of the gifts and blessings of the Holy Spirit)
- पवित्रात्मा के फलों की जागरूकता और बहुतायत (Awareness and abundance of the fruits of the Holy Spirit)
- उदारता से धन्यवादित होना (Thank you kindly)
- सहायता करते रहना की आदत (Habitually assisting)
- हर्ष के साथ अभिवादन करना (Greet with joy)
- अल्पतम आलोचना कीजिएगा, आलोचना ना करें (Criticize the least, don’t criticize)
30+ Best Inspirational Scriptures From The Bible For Better Christian Life पवित्र शास्त्र से प्रेरणादायक वचन: जीवन लक्ष्य की दौड़
1. ईश्वरीय सुरक्षा का वचन (Pledge of Godly Safety):- भजन संहिता 91:1-4
तुम परम परमेश्वर की शरण में छिपने के लिये जा सकते हो। तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की शरण में संरक्षण पाने को जा सकते हो। मैं यहोवा से विनती करता हूँ, “तू मेरा सुरक्षा स्थल है मेरा गढ़, हे परमेश्वर, मैं तेरे भरोसे हूँ।” परमेश्वर तुझको सभी छिपे खतरों से बचाएगा। परमेश्वर तुझको सब भयानक व्याधियों से बचाएगा।
2.सच्चा सुख (True Happiness):- Job 2:10
अय्यूब ने उत्तर देते हुए अपनी पत्नी से कहा, “तू तो एक मूर्खस्त्री की तरह बातें करती है! देख, परमेश्वर जब उत्तम वस्तुएं देता है, हम उन्हें स्वीकार कर लेते हैं। सो हमें दु:ख को भी अपनाना चाहिये और शिकायत नहीं करनी चाहिये।” इस समूचे दु:ख में भी अय्यूब ने कोई पाप नहीं किया। परमेश्वर के विरोध में वह कुछ नहीं बोला। क्योंकि, यहोवा, तू मेरा प्राण कभी भी मृत्यु के लोक में न तजेगा। तू कभी भी अपने भक्त लोगों का क्षय होता नहीं देखेगा। तू मुझे जीवन की नेक राह दिखायेगा। हे यहोवा, तेरा साथ भर मुझे पूर्ण प्रसन्नता देगा। तेरे दाहिने ओर होना सदा सर्वदा को आन्नद देगा। भजन संहिता 16:10-11
3. धन्य वचन (Blessed words):
सचमुच वह जन धन्य होगा यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें, और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते। वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है। वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है। इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है। वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। वह जो भी करता है सफल ही होता है। भजन संहिता 1:1-3 । धन्य है वह जन जिसके पाप क्षमा हुए। धन्य है वह जन जिसके पाप धुल गए। धन्य है वह जन जिसे यहोवा दोषी न कहे, धन्य है वह जन जो अपने गुप्त पापों को छिपाने का जतन न करे। भजन संहिता 32:1-2
नीति वचन 22:7 धनी दरिद्रों पर शासन करते हैं। उधार लेने वाला, देनेवालों का दास होता है। Rom 13:8 आपसी प्रेम के अलावा किसी का ऋण अपने ऊपर मत रख क्योंकि जो अपने साथियों से प्रेम करता है, वह इस प्रकार व्यवस्था को ही पूरा करता है।
5. परमेश्वर को हमारी चिंता है (God is concerned with us):- भजन संहिता 23:1-6
यहोवा मेरा गडेरिया है। जो कुछ भी मुझको अपेक्षित होगा, सदा मेरे पास रहेगा। हरी भरी चरागाहों में मुझे सुख से वह रखता है। वह मुझको शांत झीलों पर ले जाता है।
वह अपने नाम के निमित्त मेरी आत्मा को नयी शक्ति देता है। वह मुझको अगुवाई करता है कि वह सचमुच उत्तम है। मैं मृत्यु की अंधेरी घाटी से गुजरते भी नहीं डरुँगा, क्योंकि यहोवा तू मेरे साथ है।
6. परमेश्वर का निमंत्रण (Invitation of God):-Come to Me, and I Will Give You Rest
“अरे, ओ थके-माँदे, बोझ से दबे लोगो। मेरे पास आओ, मैं तुम्हें सुख चैन दूँगा। मेरा जुआ लो और उसे अपने ऊपर सँभालो। फिर मुझसे सीखो क्योंकि मैं सरल हूँ और मेरा मन कोमल है। तुम्हें भी अपने लिये सुख-चैन मिलेगा। क्योंकि वह जुआ जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ बहुत सरल है। और वह बोझ जो मैं तुम पर डाल रहा हूँ, हल्का है।
7. बिना शर्त स्वीकार करना (Unconditionally accept) The Message of Salvation to All
”यदि तू अपने मुँह से कहे, “यीशु मसीह प्रभु है,” और तू अपने मन में यह विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जीवित किया तो तेरा उद्धार हो जायेगा। क्योंकि अपने हृदय के विश्वास से व्यक्ति धार्मिक ठहराया जाता है और अपने मुँह से उसके विश्वास को स्वीकार करने से उसका उद्धार होता है। शास्त्र कहता है: “जो कोई उसमें विश्वास रखता है उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।” “हर कोई जो प्रभु का नाम लेता है, उद्धार पायेगा।” रोमियों 10-5-13
30+ Best Inspirational Scriptures From The Bible For Better Christian Life पवित्र शास्त्र से प्रेरणादायक वचन: जीवन लक्ष्य की दौड़
8. आदर्श प्रार्थना का नमूना (Sample Prayer):-The Lord’s Prayer- MATTHEW 6:6-13
इस प्रकार प्रार्थना करों:
‘स्वर्ग धाम में हमारे पिता,
तेरा नाम पवित्र रहे।
जगत में तेरा राज्य आए।
तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है,
वैसे ही पृथ्वी पर भी पूरी हो।
दिन प्रतिदिन का आहार तू आज हमें दे,
अपराधों को क्षमा दान कर जैसे हमने अपने अपराधी क्षमा किये।
कठिन परीक्षा मत ले और हमें बुरे से बचा।
क्योंकि राज्य, पराक्रम और महिमा सदा तेरी है ।
आमीन।’
यदि तुम लोगों के अपराधों को क्षमा करोगे तो तुम्हारा स्वर्ग-पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। किन्तु यदि तुम लोगों को क्षमा नहीं करोगे तो तुम्हारा परम-पिता भी तुम्हारे पापों के लिए क्षमा नहीं देगा।
9. परमेश्वर की आज्ञा (Commandments of God) A New Commandment
“हे मेरे प्यारे बच्चों, मैं अब थोड़ी ही देर और तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढोगे और जैसा कि मैंने यहूदी नेताओं से कहा था, तुम वहाँ नहीं आ सकते, जहाँ मैं जा रहा हूँ, वैसा ही अब मैं तुमसे कहता हूँ। “मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ कि तुम एक दूसरे से प्रेम करो। जैसा मैंने तुमसे प्यार किया है वैसे ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम करो। यदि तुम एक दूसरे से प्रेम रखोगे तभी हर कोई यह जान पायेगा कि तुम मेरे अनुयायी हो।” यूहन्ना 13:34-35
The Great Commandment
यीशु ने उत्तर दिया, “सबसे महत्त्वपूर्ण आदेश यह है: ‘हे इस्राएल, सुन! अपने समूचे मन से, सारी समझ-बूझ से सारी शक्ति से परमेश्वर को प्रेम करना।
10.एकाग्रता से सुनना (Listen with concentration):- Hearing and Doing the Word
हे मेरे प्रिय भाइयो, याद रखो, हर किसी को तत्परता के साथ सुनना चाहिए, बोलने में शीघ्रता मत करो, क्रोध करने में उतावली मत बरतो। Jams 1:19
11. परमेश्वर हमारे साथ हैं (God is with us):- God Is Our Fortress
परमेश्वर हमारे पराक्रम का भण्डार है। संकट के समय हम उससे शरण पा सकते हैं। इसलिए जब धरती काँपती है और जब पर्वत समुद्र में गिरने लगता है, हमको भय नही लगता।
सर्वशक्तिमान यहोवा हमारे साथ है।
पवित्र शास्त्र से प्रेरणादायक वचन| Inspirational ScripturesFromThe Bible
याकूब का परमेश्वर हमारा शरणस्थल है। आओ उन शक्तिपूर्ण कर्मो को देखो जिन्हें यहोवा करता है। वे काम ही धरती पर यहोवा को प्रसिद्ध करते हैं। यहोवा धरती पर कहीं भी हो रहे युद्धों को रोक सकता है। राष्ट्रों के बीच मेरी प्रशंसा होगी। धरती पर मेरी महिमा फैल जायेगी!”
12. स्वेक्षा से क्षमा याचना करना (Apologize voluntarily)
धन्य है वह जन जिसके पाप क्षमा हुए। धन्य है वह जन जिसके पाप धुल गए। धन्य है वह जन जिसे यहोवा दोषी न कहे, धन्य है वह जन जो अपने गुप्त पापों को छिपाने का जतन न करे।
13. परमेश्वर का आश्वाशन (Assurance of God)-Ask, and It Will Be Given
“परमेश्वर से माँगते रहो, तुम्हें दिया जायेगा। खोजते रहो तुम्हें प्राप्त होगा खटखटाते रहो तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा। क्योंकि हर कोई जो माँगता ही रहता हैं, प्राप्त करता है। जो खोजता हैं पा जाता हैं और जो खटखटाता ही रहता हैं उस के लिए द्वार खोल दिया जाएगा। Mat 7:7-8
14. मसीह में नई सृष्टि (New creation in Christ):-2 Co 5:17
इसलिए यदि कोई मसीह में स्थित है तो अब वह परमेश्वर की नयी सृष्टि का अंग है। पुरानी बातें जाती रही हैं। सब कुछ नया हो गया है
30+ Best Inspirational Scriptures From The Bible For Better Christian Life पवित्र शास्त्र से प्रेरणादायक वचन: जीवन लक्ष्य की दौड़
15. परमेश्वर की क्षमा का वरदान (Gift of forgiveness of God):-
यदि हम कहते हैं कि हममें कोई पाप नहीं हैं तो हम स्वयं अपने आपको छल रहे हैं और हममें सच्चाई नहीं है। यदि हम अपने पापों को स्वीकार कर लेते हैं तो हमारे पापों को क्षमा करने के लिए परमेश्वर विश्वसनीय है और न्यायपूर्ण है और समुचित है। तथा वह सभी पापों से हमें शुद्ध करता है। पहला यूहन्ना 1: 7-8
16. परमेश्वर से मेलमिलाप (Reconciliation with God):-
सभी के साथ शांति के साथ रहने और पवित्र होने के लिए हर प्रकार से प्रयत्नशील रहो; बिना पवित्रता के कोई भी प्रभु का दर्शन नहीं कर पायेगा। इब्रानियों 12:14
17. परमेश्वर का प्रेम (Love of God) दिव्य प्रेम की शक्ति (Power of divine love):-
- प्रेम धैर्यपूर्ण है, प्रेम दयामय है, प्रेम में ईर्ष्या नहींहोती, प्रेम अपनी प्रशंसा आप नहीं करता।
वह अभिमानी नहींहोता। वह अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता, वह स्वार्थी नहीं है, प्रेम कभी झुँझलाता नहीं, वह बुराइयों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखता।
- बुराई पर कभी उसे प्रसन्नता नहीं होती। वह तो दूसरों के साथ सत्य पर आनंदित होता है।वह सदा रक्षा करता है, वह सदा विश्वास करता है।
- प्रेम सदा आशा से पूर्ण रहता है। वह सहनशील है। प्रेम अमर है।
जबकि भविष्यवाणी का सामर्थ्य तो समाप्त हो जायेगा, दूसरी भाषाओं को बोलने की क्षमता युक्त जीभें एक दिन चुप हो जायेंगी, दिव्य ज्ञान का उपहार जाता रहेगा,
18. परमेश्वर जीवन की रोटी है (God is the Bread of Life)-I Am the Bread of Life
पवित्र शास्त्र से प्रेरणादायक वचन | Inspirational Scriptures From The Bible
19. परमेश्वर जीवन का जल है (God is the water of life):-
और सत्य को जान लोगे। और सत्य तुम्हें मुक्त करेगा।
20. उत्तम सेवक (Best servant):- A Good Servant of Christ Jesus
यदि तुम भाइयों को इन बातों का ध्यान दिलाते रहोगे तो मसीह यीशु के ऐसे उत्तम सेवक ठहरोगे जिसका पालन-पोषण, विश्वास के द्वारा और उसी सच्ची शिक्षा के द्वारा होता है जिसे तूने ग्रहण किया है। बुढ़ियाओं की परमेश्वर विहीन कल्पित कथाओं से दूर रहो तथा परमेश्वर की सेवा के लिए अपने को साधने में लगे रहो। क्योंकि शारीरिक साधना से तो थोड़ा सा ही लाभ होता है जबकि परमेश्वर की सेवा हर प्रकार से मूल्यवान है क्योंकि इसमें आज के समय और आने वाले जीवन के लिए दिया गया आशीर्वाद समाया हुआ है। तुझे जो वरदान प्राप्त है, तू उसका उपयोग कर;
21. उपयुक्त प्रोत्साहन देना (Give appropriate impetus):-
22. मसीही विश्वासी का जीवन उद्देश्य (Christian Life Purpose)- The Great Commission
23. जीवन लक्ष्य की दौड़ ( Race of Life goal):-
हे भाइयों!
फिलिप्पियों 3 13-14
24. एक दूसरे से प्रेम करो – (Love One Another)
जो प्रेम नहीं करता, वह मृत्यु में स्थित है। हे प्यारे बच्चो, हमारे प्रेम केवल शब्दों और बातों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि वह कर्ममय और सच्चा होना चाहिए।
25. पवित्रता की भरपूरी (Full of purity):-
हे भाइयो परमेश्वर की दया का स्मरण दिलाकर मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि अपने जीवन एक जीवित बलिदान के रूप में परमेश्वर को प्रसन्न करते हुए अर्पित कर दो। यह तुम्हारी आध्यात्मिक उपासना है जिसे तुम्हें उसे चुकाना है। Rom 12:1-2
26. पवित्रात्मा के वरदान और वरदानों का उचित प्रयोग (Proper use of the gifts and blessings of the Holy Spirit)
किसी को आत्मा के द्वारा परमेश्वर के ज्ञान से युक्त होकर बोलने की योग्यता दी गयी है, तो किसी को उसी आत्मा द्वारा दिव्य ज्ञान के प्रवचन की योग्यता। और किसी को उसी आत्मा द्वारा विश्वास का वरदान दिया गया है तो किसी को चंगा करने की क्षमताएँ उसी आत्मा के द्वारा दी गयी हैं।
किसी अन्य व्यक्ति को आश्चर्यपूर्ण शक्तियाँ दी गयी हैं तो किसी दूसरे को परमेश्वर की और से बोलने का सामर्थ्य दिया गया है।
और किसी को मिली है भली बुरी आत्माओं के अंतर को पहचानने की शक्ति। किसी को अलग-अलग भाषाएँ बोलने की शक्ति प्राप्त हुई है, तो किसी को भाषाओं की व्याख्या करके उनका अर्थ निकालने की शक्ति। किन्तु यह वही एक आत्मा है जो जिस-जिस को जैसा-जैसा ठीक समझता है, देते हुए, इन सब बातों को पूरा करता है। 1 कुरिन्थियों 12:4-11
27. पवित्रात्मा के फलों की जागरूकता और बहुतायत (Awareness and abundance of the fruits of the Holy Spirit)
पवित्र आत्मा, प्रेम, प्रसन्नता, शांति, धीरज, दयालुता, नेकी, विश्वास, नम्रता और आत्म-संयम उपजाता है। ऐसी बातों के विरोध में कोई व्यवस्था का विधान नहीं है। गलातियों 5:22-23
28. उदारता से धन्यवादित होना (Thank you kindly):-
हे मेरी आत्मा, तू यहोवा के गुण गा!
29. सहायता करते रहना की आदत (Habitually assisting):-
भाई के समान परस्पर प्रेम करते रहो। अतिथियों का सत्कार करना मत भूलो।
30. हर्ष के साथ अभिवादन करना (Greet with joy)
तुम्हारा प्रेम सच्चा हो। बुराई से घृणा करो। नेकी से जुड़ो। भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।
31. अल्पतम आलोचना कीजिएगा, आलोचना ना करें (Criticize the least, don’t criticize):-
“दूसरों पर दोष लगाने की आदत मत डालो ताकि तुम पर भी दोष न लगाया जाये”।