भजन संहिता (PSALMS) 150-100-121-32
भजन संहिता (Psalms)150-100-121-32अधिकांश भजनों की रचना राजा दाऊद ने की, इन भजनों में स्तुति, प्रशंसा पायी जाती है। भजन संहिता 150-100-121-32.
भजन संहिता (PSALMS)150:1-6
1 याह की स्तुति करो! ईश्वर के पवित्रस्थान में उसकी स्तुति करो; उसकी सामर्थ्य से भरे हुए आकाशमण्डल में उसी की स्तुति करो! भजन संहिता 150:1
2 उसके पराक्रम के कामों के कारण उसकी स्तुति करो; उसकी अत्यन्त बड़ाई के अनुसार उसकी स्तुति करो! भजन संहिता 150:2
3 नरसिंगा फूंकते हुए उसकी स्तुति करो; सारंगी और वीणा बजाते हुए उसकी स्तुति करो! भजन संहिता 150:3
4 डफ बजाते और नाचते हुए उसकी स्तुति करो; तार वाले बाजे और बांसुली बजाते हुए उसकी स्तुति करो! भजन संहिता 150:4
5 ऊंचे शब्द वाली झांझ बजाते हुए उसकी स्तुति करो; आनन्द के महाशब्द वाली झांझ बजाते हुए उसकी स्तुति करो! भजन संहिता 150:5
6 जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो! भजन संहिता 150:6
भजन संहिता (PSALMS) 100:1-5
1 हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा का जयजयकार करो! भजन संहिता 100:1
2 आनन्द से यहोवा की आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सम्मुख आओ! भजन संहिता 100:2
3 निश्चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं॥ भजन संहिता 100:3
4 उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो! भजन संहिता 100:4
5 क्योंकि यहोवा भला है, उसकी करूणा सदा के लिये, और उसकी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है॥ भजन संहिता 100:5
भजन संहिता (PSALMS) 121:1-8
1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? भजन संहिता 121:1
2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है॥ भजन संहिता 121:2
3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा। भजन संहिता 121:3
4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा॥ भजन संहिता 121:4
5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है। भजन संहिता 121:5
6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी॥ भजन संहिता 121:6
7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा। भजन संहिता 121:7
8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा॥ भजन संहिता 121:8
भजन संहिता (PSAlmS) 32:1-11
- 1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो। भजन संहिता 32:1
- 2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो॥ भजन संहिता 32:2
- 3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गई। भजन संहिता 32:3
- 4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई॥ भजन संहिता 32:4
- 5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया॥ भजन संहिता 32:5
भजन संहिता (PSALMS) 32:6-11
- 6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी। भजन संहिता 32:6
- 7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा॥ भजन संहिता 32:7
- 8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा। भजन संहिता 32:8
- 9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के॥ भजन संहिता 32:9
- 10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा। भजन संहिता 32:10
- 11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो! भजन संहिता 32:11
Psalms 146:1-10 | भजन संहिता 146:1-10
भजन संहिता 51-प्रार्थना और पापों से पच्छताप का भजन