भजन संहिता: दाऊद के भजनों में 'मन' शब्द कितनी बार आया है? भाग 6 (Psalm: How many times does the word 'mind' appear in David's psalms?)

भजन संहिता: दाऊद के भजनों में ‘मन’ शब्द कितनी बार आया है? भाग 6 (Psalm: How many times does the word ‘mind’ appear in David’s psalms?) भाग 6

भजन संहिता: दाऊद के भजनों में ‘मन’ शब्द कितनी बार आया है? भाग 6 (Psalm: How many times does the word ‘mind’ appear in David’s psalms?)

भजन संहिता: दाऊद के भजनों में ‘मन’ शब्द कितनी बार आया है? भाग 6 (Psalm: How many times does the word ‘mind’ appear in David’s psalms?)

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भजन संहिता 4:4, 7, 5:1, 9, 7:9, 10, 9:1, 

भजन संहिता 4:4, 7, 5:1, 9, 7:9, 10, 9:1, 

  • कांपते रहो और पाप मत करो; अपने अपने बिछौने पर मन ही मन सोचो और चुपचाप रहो। भजन संहिता 4:4
  • तू ने मेरे मन में उससे कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उन को अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होता था। भजन संहिता 4:7
  • हे यहोवा, मेरे वचनों पर कान लगा; मेरे ध्यान करने की ओर मन लगा। भजन संहिता 5:1
  • क्योंकि उनके मुंह में कोई सच्चाई नहीं; उनके मन में निरी दुष्टता है। उनका गला खुली हुई कब्र है, वे अपनी जीभ से चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं। भजन संहिता 5:9
  • भला हो कि दुष्टों की बुराई का अन्त हो जाए, परन्तु धर्म को तू स्थिर कर; क्योंकि धर्मी परमेश्वर मन और मर्म का ज्ञाता है। भजन संहिता 7:9
  • मेरी ढाल परमेश्वर के हाथ में है, वह सीधे मन वालों को बचाता है॥ भजन संहिता 7:10
  • हे यहोवा परमेश्वर मैं अपने पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं तेरे सब आश्चर्य कर्मों का वर्णन करूंगा। भजन संहिता 9:1
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भजन संहिता 10:6, 11, 13, 17, 11:2, 13:2, 14:1, 16:7, 20:4, 

भजन संहिता 10:6, 11, 13, 17, 11:2, 13:2, 14:1, 16:7, 20:4, 

  • वह अपने मन में कहता है कि मैं कभी टलने का नहीं: मैं पीढ़ी से पीढ़ी तक दु:ख से बचा रहूंगा॥ भजन संहिता 10:6
  • वह अपने मन में सोचता है, कि ईश्वर भूल गया, वह अपना मुंह छिपाता है; वह कभी नहीं देखेगा॥ भजन संहिता 10:11
  • परमेश्वर को दुष्ट क्यों तुच्छ जानता है, और अपने मन में कहता है कि तू लेखा न लेगा? भजन संहिता 10:13
  • हे यहोवा, तू ने नम्र लोगों की अभिलाषा सुनी है; तू उनका मन तैयार करेगा, तू कान लगाकर सुनेगा भजन संहिता 10:17
  • क्योंकि देखो, दुष्ट अपना धनुष चढ़ाते हैं, और अपना तीर धनुष की डोरी पर रखते हैं, कि सीधे मन वालों पर अन्धियारे में तीर चलाएं। भजन संहिता 11:2
  • मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा? भजन संहिता 13:2
  • मूर्ख ने अपने मन में कहा है, कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्होंने घिनौने काम किए हैं, कोई सुकर्मी नहीं।भजन संहिता 14:1
  • मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उसने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है। भजन संहिता 16:7
  • वह तेरे मन की इच्छा को पूरी करे, और तेरी सारी युक्ति को सुफल करे! भजन संहिता 20:4
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भजन संहिता 24:4, 25:1,  26:2, 27:8,  28:7, 31:6, 12, 

भजन संहिता 24:4, 25:1,  26:2, 27:8,  28:7, 31:6, 12, 

  • जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध है, जिसने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगाया, और न कपट से शपथ खाई है।भजन संहिता 24:4
  • हे यहोवा मैं अपने मन को तेरी ओर उठाता हूं। भजन संहिता 25:1
  • हे यहोवा, मुझ को जांच और परख; मेरे मन और हृदय को परख। भजन संहिता 26:2
  • तू ने कहा है, कि मेरे दर्शन के खोजी हो। इसलिये मेरा मन तुझ से कहता है, कि हे यहोवा, तेरे दर्शन का मैं खोजी रहूंगा। भजन संहिता 27:8
  • यहोवा मेरा बल और मेरी ढ़ाल है; उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहायता मिली है; इसलिये मेरा हृदय प्रफुल्लित है; और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूंगा। भजन संहिता 28:7
  • जो व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, उन से मैं घृणा करता हूं; परन्तु मेरा भरोसा यहोवा ही पर है। भजन संहिता 31:6
  • मैं मृतक की नाईं लोगों के मन से बिसर गया; मैं टूटे बर्तन के समान हो गया हूं। भजन संहिता 31:12
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भजन संहिता 32:11, 33:11,  34:18, 35:9, 25, 36:2, 10, 

भजन संहिता 32:11, 33:11,  34:18, 35:9, 25, 36:2, 10, 

  • हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो! भजन संहिता 32:11
  • यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएं पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी। भजन संहिता 33:11
  • यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है॥ भजन संहिता 34:18
  • परन्तु मैं यहोवा के कारण अपने मन में मगन होऊंगा, मैं उसके किए हुए उद्धार से हर्षित होऊंगा। भजन संहिता 35:9
  • वे मन में न कहने पाएं, कि आहा! हमारी तो इच्छा पूरी हुई! वह यह न कहें कि हम उसे निगल गए हैं॥ भजन संहिता 35:25
  • वह अपने अधर्म के प्रगट होने और घृणित ठहरने के विषय अपने मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है। भजन संहिता 36:2
  • अपने जानने वालों पर करूणा करता रह, और अपने धर्म के काम सीधे मन वालों में करता रह! भजन संहिता 36:10
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भजन संहिता 37:3, 38:8,  40:10,  41:6,  44:18, 21, 49:11

भजन संहिता 37:3, 38:8,  40:10,  41:6,  44:18, 21, 49:11

  • यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्चाई में मन लगाए रह। भजन संहिता 37:3
  • मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूं; मैं अपने मन की घबराहट से कराहता हूं॥ भजन संहिता 38:8
  • मैं ने तेरा धर्म मन ही में नहीं रखा; मैं ने तेरी सच्चाई और तेरे किए हुए उधार की चर्चा की है; मैं ने तेरी करूणा और सत्यता बड़ी सभा से गुप्त नहीं रखी॥ भजन संहिता 40:10
  • और जब वह मुझ से मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है। भजन संहिता 41:6
  • हमारे मन न बहके, न हमारे पैर तरी बाट से मुड़े; भजन संहिता 44:18
  • तो क्या परमेश्वर इसका विचार न करता? क्योंकि वह तो मन की गुप्त बातों को जानता है। भजन संहिता 44:21
  • वे मन ही मन यह सोचते हैं, कि उनका घर सदा स्थिर रहेगा, और उनके निवास पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे; इसलिये वे अपनी अपनी भूमि का नाम अपने अपने नाम पर रखते हैं। भजन संहिता 49:11
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भजन संहिता 51:6, 10, 17, 53:1, 55:15, 21, 57:7, 58:2

भजन संहिता 51:6, 10, 17, 53:1, 55:15, 21, 57:7, 58:2

  • देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा। भजन संहिता 51:6
  • हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर। भजन संहिता 51:10
  • टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता॥ भजन संहिता 51:17
  • मूढ़ ने अपने मन में कहा है, कि कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्होंने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं॥ भजन संहिता 53:1
  • मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है। भजन संहिता 55:4
  • उन को मृत्यु अचानक आ दबाए; वे जीवित ही अधोलोक में उतर जाएं; क्योंकि उनके घर और मन दोनों में बुराइयां और उत्पात भरा है॥ भजन संहिता 55:15
  • उसके मुंह की बातें तो मक्खन सी चिकनी थी परन्तु उसके मन में लड़ाई की बातें थीं; उसके वचन तेल से अधिक नरम तो थे परन्तु नंगी तलवारें थीं॥ भजन संहिता 55:21
  • हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा। भजन संहिता 57:7
  • नहीं, तुम मन ही मन में कुटिल काम करते हो; तुम देश भर में उपद्रव करते जाते हो॥ भजन संहिता 58:2
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भजन संहिता 62:1, 4, 8, 10, 63:1, 8, 6, 64:10, 

भजन संहिता 62:1, 4, 8, 10, 63:1, 8, 6, 64:10, 

  • सचमुच मैं चुपचाप होकर परमेरश्वर की ओर मन लगाए हूं; मेरा उद्धार उसी से होता है। भजन संहिता 62:1
  • सचमुच वे उसको, उसके ऊंचे पद से गिराने की सम्मति करते हैं; वे झूठ से प्रसन्न रहते हैं। मुंह से तो वे आशीर्वाद देते पर मन में कोसते हैं॥ भजन संहिता 62:4
  • हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उससे अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है।भजन संहिता 62:8
  • अन्धेर करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन सम्पति बढ़े, तौभी उस पर मन न लगाना॥भजन संहिता 62:10
  • हे परमेश्वर, तू मेरा ईश्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूंढूंगा; सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर, मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है। भजन संहिता 63:1
  • मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है॥ भजन संहिता 63:8
  • वे कुटिलता की युक्ति निकालते हैं; और कहते हैं, कि हम ने पक्की युक्ति खोजकर निकाली है। क्योंकि मनुष्य का मन और हृदय अथाह हैं! भजन संहिता 64:6
  • धर्मी तो यहोवा के कारण आनन्दित होकर उसका शरणागत होगा, और सब सीधे मन वाले बड़ाई करेंगे॥ भजन संहिता 64:10
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भजन संहिता 66:18, 69:32,  73:1, 7, 21, 26, 74:8, 76:5

भजन संहिता 66:18, 69:32,  73:1, 7, 21, 26, 74:8, 76:5

  • यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता। भजन संहिता 66:18
  • नम्र लोग इसे देख कर आनन्दित होंगे, हे परमेश्वर के खोजियों तुम्हारा मन हरा हो जाए। भजन संहिता 69:32
  • सचमुच इस्त्राएल के लिये अर्थात शुद्ध मन वालों के लिये परमेश्वर भला है। भजन संहिता 73:1
  • उनकी आंखें चर्बी से झलकती हैं, उनके मन की भवनाएं उमण्डती हैं। भजन संहिता 73:7
  • मेरा मन तो चिड़चिड़ा हो गया, मेरा अन्त:करण छिद गया था, भजन संहिता 73:21
  • मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है॥ भजन संहिता 73:26
  • उन्होंने मन में कहा है कि हम इन को एकदम दबा दें; उन्होंने इस देश में ईश्वर के सब सभा स्थानों को फूंक दिया है॥ भजन संहिता 74:8
  • दृढ़ मन वाले लुट गए, और भरी नींद में पड़े हैं; भजन संहिता 76:5
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भजन संहिता 77:6, 78:8, 18, 72, 81:12,  83:5, 84:2, 86:4, 12, 

भजन संहिता 77:6, 78:8, 18, 72, 81:12,  83:5, 84:2, 86:4, 12, 

  • मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं: भजन संहिता 77:6
  • और अपने पितरों के समान न हों, क्योंकि उस पीढ़ी के लोग तो हठीले और झगड़ालू थे, और उन्होंने अपना मन स्थिर न किया था, और न उनकी आत्मा ईश्वर की ओर सच्ची रही॥ भजन संहिता 78:8
  • और अपनी चाह के अनुसार भोजन मांग कर मन ही मन ईश्वर की परीक्षा की। भजन संहिता 78:18
  • तब उसने खरे मन से उनकी चरवाही की, और अपने हाथ की कुशलता से उनकी अगुवाई की॥ भजन संहिता 78:72
  • इसलिये मैं ने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दिया, कि वह अपनी ही युक्तियों के अनुसार चले। भजन संहिता 81:12
  • उन्होंने एक मन हो कर युक्ति निकाली है, और तेरे ही विरुद्ध वाचा बान्धी है। भजन संहिता 83:5
  • मेरा प्राण यहोवा के आंगनों की अभिलाषा करते करते मूर्छित हो चला; मेरा तन मन दोनों जीवते ईश्वर को पुकार रहे॥ भजन संहिता 84:2
  • अपने दास के मन को आनन्दित कर, क्योंकि हे प्रभु, मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं। भजन संहिता 86:4
  • हे प्रभु हे मेरे परमेश्वर मैं अपने सम्पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूंगा।भजन संहिता 86:12
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भजन संहिता 77:6, 78:8, 18, 72, 81:12,  83:5, 84:2, 86:4, 12, 

भजन संहिता 94:15, 19, 95:10, 97:11, 101:2, 5, 102:4, 104:15, 35, 

  • परन्तु न्याय फिर धर्म के अनुसार किया जाएगा, और सारे सीधे मन वाले उसके पीछे पीछे हो लेंगे॥ भजन संहिता 94:15
  • जब मेरे मन में बहुत सी चिन्ताएं होती हैं, तब हे यहोवा, तेरी दी हुई शान्ति से मुझ को सुख होता है। भजन संहिता 94:19
  • चालीस वर्ष तक मैं उस पीढ़ी के लोगों से रूठा रहा, और मैं ने कहा, ये तो भरमाने वाले मन के हैं, और इन्होंने मेरे मार्गों को नहीं पहिचाना। भजन संहिता 95:10
  • धर्मी के लिये ज्योति, और सीधे मन वालों के लिये आनन्द बोया गया है। भजन संहिता 97:11
  • मैं बुद्धिमानी से खरे मार्ग में चलूंगा। तू मेरे पास कब आएगा! मैं अपने घर में मन की खराई के साथ अपनी चाल चलूंगा; भजन संहिता 101:2
  • जो छिप कर अपने पड़ोसी की चुगली खाए, उसको मैं सत्यानाश करूंगा; जिसकी आंखें चढ़ी हों और जिसका मन घमण्डी है, उसकी मैं न सहूंगा॥ भजन संहिता 101:5
  • मेरा मन झुलसी हुई घास की नाईं सूख गया है; और मैं अपनी रोटी खाना भूल जाता हूं। भजन संहिता 102:4
  • और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है, और तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्न जिस से वह सम्भल जाता है। भजन संहिता 104:15
  • पापी लोग पृथ्वी पर से मिट जाएं, और दुष्ट लोग आगे को न रहें! हे मेरे मन यहोवा को धन्य कह! याह की स्तुति करो!भजन संहिता 104:35
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भजन संहिता 105:25, 106:7, 107:30, 109:16, 111:1, 

भजन संहिता 105:25, 106:7, 107:30, 109:16, 111:1, 

  • उसने मिस्त्रियों के मन को ऐसा फेर दिया, कि वे उसकी प्रजा से बैर रखने, और उसके दासों से छल करने लगे॥ भजन संहिता 105:25
  • मिस्त्र में हमारे पुरखाओं ने तेरे आश्चर्यकर्मों पर मन नहीं लगाया, न तेरी अपार करूणा को स्मरण रखा; उन्होंने समुद्र के तीर पर, अर्थात लाल समुद्र के तीर पर बलवा किया। भजन संहिता 106:7
  • तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उन को मन चाहे बन्दर स्थान में पहुंचा देता है। भजन संहिता 107:30
  • क्योंकि वह दुष्ट, कृपा करना भूल गया वरन दीन और दरिद्र को सताता था और मार डालने की इच्छा से खेदित मन वालों के पीछे पड़ा रहता था॥ भजन संहिता 109:16
  • याह की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूंगा। भजन संहिता 111:1
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भजन संहिता 119:2, 7, 10, 20, 34, 36, 58, 69, 70, 80, 98, 112, 145, 

भजन संहिता 119:2, 7, 10, 20, 34, 36, 58, 69, 70, 80, 98, 112, 145, 

  • क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं! भजन संहिता 119:2
  • जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूंगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा। भजन संहिता 119:7
  • मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे! भजन संहिता 119:10
  • मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है। भजन संहिता 119:20
  • मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूंगा और पूर्ण मन से उस पर चलूंगा। भजन संहिता 119:34
  • मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे। भजन संहिता 119:36
  • मैं ने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिये अपने वचन के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर। भजन संहिता 119:58
  • अभिमानियों ने तो मेरे विरुद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूंगा। भजन संहिता 119:69
  • उनका मन मोटा हो गया है, परन्तु मैं तेरी व्यवस्था के कारण सुखी हूं। भजन संहिता 119:70
  • मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े॥ भजन संहिता 119:80
  • तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं। भजन संहिता 119:98
  • मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं। भजन संहिता 119:112
  • मैं ने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन लेना! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूंगा। भजन संहिता 119:145
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भजन संहिता 125:4,  131:1, 2, 3, 138:1, 139:13,  140:2, 141:4

भजन संहिता 125:4,  131:1, 2, 3, 138:1, 139:13,  140:2, 141:4

  • हे यहोवा, भलों का, और सीधे मन वालों का भला कर! भजन संहिता 125:4
  • हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्टि घमण्ड से भरी है; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उन से मैं काम नहीं रखता। भजन संहिता 131:1
  • निश्चय मैं ने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है, जैसे दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी मां की गोद में रहता है, वैसे ही दूध छुड़ाए हुए लड़के के समान मेरा मन भी रहता है॥ भजन संहिता 131:2
  • याह की स्तुति करो, क्योंकि यहोवा भला है; उसके नाम का भजन गाओ, क्योंकि यह मन भाऊ है! भजन संहिता 135:3
  • मैं पूरे मन से तेरा धन्यवाद करूँगा; देवताओं के सामने भी मैं तेरा भजन गाऊँगा। भजन संहिता 138:1
  • मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। भजन संहिता 139:13
  • क्योंकि उन्होंने मन में बुरी कल्पनाएं की हैं; वे लगातार लड़ाइयां मचाते हैं। भजन संहिता 140:2
  • मेरा मन किसी बुरी बात की ओर फिरने न दे; मैं अनर्थकारी पुरूषों के संग, दुष्ट कामों में न लगूं, और मैं उनके स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं में से कुछ न खाऊं! भजन संहिता 141:4
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भजन संहिता 143:4, 8, 146:1, 147:1, 3, 

भजन संहिता 143:4, 8, 146:1, 147:1, 3, 

  • मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है मेरा मन विकल है॥ भजन संहिता 143:4
  • अपनी करूणा की बात मुझे शीघ्र सुना, क्योंकि मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है। जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं॥ भजन संहिता 143:8
  • याह की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर! भजन संहिता 146:1
  • याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मन भावना है, उसकी स्तुति करनी मन भावनी है। भजन संहिता 147:1
  • वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है। भजन संहिता 147:3
  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Bible
  2. https://youtu.be/CClPiKBzqJg
  3. बाइबल की 12 ऐतिहासिक पुस्तकों में मन शब्द। (Words of the Mind in the 12 Historical Books of the Bible)
  4. बाइबल की पुराने नियम की 5 पुस्तकों (तौरेत) में ‘मन’ से सबंधित पद (Words relating to ‘mind’ in 5 Old Testament books (Tourat) of the Bible)
  5. ‘मन’ शब्द बाइबल में कहाँ कहाँ आया है? 162 पद। नये नियम की पुस्तक और पत्रियों में ‘मन’ शब्द। Where does the word ‘mind’ appear in the Bible? भाग-2

Harshit Brave

Health Care Advisor, Guide, Teacher, and Trainer. Life Counselling Coach. About Us. Optimal Health is something you all can refer to as perfect health an individual can have. Being healthy only physically is not enough, to attain that perfect health you need to be healthy in all the aspects of life, hence; Optimal Health – Happiness, Health, Wealth, Wisdom, and Spirituality.