“रात वीरान है राह सुनसान है” | Raat Viraan Hai, Raah Sunsaan Hai
“रात वीरान है राह सुनसान है, | Raat Viraan Hai, Raah Sunsaan Hai “मेरे यूट्यूब चैनल पर ये गीत मैंने केसेट से डब करके वीडियो बना कर डाला है, आपको अवश्य ही यह गीत हिन्दी मसीही गीत पसंद आयेगा।
पुराने हिन्दी मसीही गीतों की श्रंखला (1985 का सुप्रसिद्ध मसीही गीत)
मेडिकल कालेज़ जबलपुर- 1984-85 की बात है, जब मेरी मुलाकात यीशु मसीह से हुई, एक मासिक पत्रिका “यीशु बुलाता है” को पढ़ते पढ़ते। ये पत्रिका मुझे एक PASTOR की बेटी जिसका नाम मधु माया था, ने दी थी, और जिस परिचय के साथ दी थी, उसने मेरी ज़िंदगी की दिशा और दशा को पूरी तरह बदल दिया, अगर आप मेरी उस यीशु से पहली मुलाक़ात की गवाही जानना चाहते हैं तो मुझे मेरे FACEBOOK या ईमेल में लिखिएगा, मैं आपके साथ अपने उस अनुभव को अवश्य सांझा करूंगी, फिलहाल मैं यहाँ अपनी पसंद का बहुत सुंदर गीत सुनने के लिए आग्रह कर रही हूँ ।
रात वीरान है राह सुनसान है, तुम सहारा ना दोगे, मैं गिर जाऊँगा (2)
है अंधेरा घना, और सहारे बिना, आँधियों में अकेला, मैं घिर जाऊँगा।
रात वीरान है….!
(1) मैं मुसाफ़िर हूँ, ये मेरा घर है नहीं,
रात दिन मैं चलूँ, ये मेरा काम है, कैसा कमजोर हूँ और लाचार हूँ,
तेरी मुझको जरूरत सुबहो शाम है (2)
राह अनजान है, दिल परेशान है (2)
तुमने छोड़ा तो फिर मैं किधर जाऊँगा।
रात वीरान है…..!
(2) जब कभी मैं अँधेरों में घिरने लगा,
तेरी ज्योति से मुझको उजाला मिला। मैं परेशान था, मेरे संग संग चला,
तेरे हाथों से मुझको सहारा मिला (2)
तू अगर छोड़ दे, मेरा दिल तोड़ दे, (2)
बेसहारा से हो कर मैं मर जाऊँगा।
रात वीरान है….!
(3) एक लंबा सफर पूरा होगा कभी,
तेरे हाथों में होगा, ये जीवन मेरा। कैसा आनंद मिलेगा, प्रभु में मुझे,
गीत गाता रहेगा, ये तन मन मेरा (2)
मैं तुझे पाऊंगा, तेरे गुण गाऊँगा (2)
साथ अपने प्रभु के मैं घर जाऊँगा।
रात वीरान है, राह सुनसान है, तुम सहारा ना दोगे, मैं गिर जाऊँगा।(2)
है अंधेरा घना, और सहारे बिना, आँधियों में अकेला, मैं घिर जाऊँगा।
रात वीरान है….!
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