WELLNESS- वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है? 
 वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है? 

वैलनेस या कल्याण क्या है? (What is Wellness?)

वैलनेस या कल्याण क्या है? (What is Wellness?)

5) स्वास्थय के मुख्य 7 आयाम/ स्वास्थ्य के 7 प्रकार, रूप, प्रतीक प्रस्तुत हैं:
42) 6. वाहक और वित्तीय वेलनेस (CARRIER & FINANCIAL WELLNESS: )

वैलनेस या कल्याण क्या है? वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है? दोस्तो आप अवश्य ही ये जानने के इच्छुक होंगे, कि आखिर वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है? तो इस लेख में आप जानेंगे कि एक स्वस्थ्य मनुष्य के लिये स्वास्थ्य केवल शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक दायरे से भी आगे की बात है।

वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है? (WHAT IS WELLNESS ? 7 ELEMENTS OF WELLNESS)

यहाँ स्वास्थ्य के 7 प्रकार, रूप, प्रतीक प्रस्तुत हैं, जिनसे आज हम अपने स्वास्थ्य का स्वयम निरीक्षण करेंगे:-

स्वास्थय के मुख्य 7 आयाम (Wellness: 7 Elements of Wellness)

1.  भावनात्मक कल्याण (Emotional Wellness)
2. आध्यात्मिक स्वस्थ: जीवन के अर्थ की एक भावना का विकास।) (Spiritual Wellness) 
3. इंटेलिजेंट वेलनेस: किसी के ज्ञान कौशल और रचनात्मकता का विस्तार करना। (Intellectual Wellness) 
4. शारीरिक वेलनेस: उचित भोजन की आदतें व्यायाम और चिकित्सीय जांच। (Physical Wellness) 
5. सामाजिक कल्याण: रचनात्मक दूसरों के साथ सकारात्मक संबंध बनाना। (Social Wellness) 
6. वाहक और वित्तीय वेलनेस (Career Wellness) 
7. एनवायरमेंटल /वातावरणीय वैलनेस (Environmental Wellness)

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वैलनेस या कल्याण क्या है? (What is Wellness?)

स्वास्थय के मुख्य 7 आयाम/ स्वास्थ्य के 7 प्रकार, रूप, प्रतीक प्रस्तुत हैं: 

1. मन और भावनात्मक कल्याण  (EMOTIONAL WELLNESS: Being able to understand and cope with one’s feelings.)

भावनात्मक कल्याण: किसी की भावनाओं को समझने और उनका सामना करने में सक्षम होना।

  • अच्छी भावनाएँ जैसे: प्रेम, आनंद, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम।
  • बुरी भावनायें:- ईर्ष्या, द्वेश, क्रोध, विरोध, भय, डर, चिंता, तनाव, अवसाद, बुरे विचार।

बाइबल के अनुसार

 यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे। “क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र”। “दयारिहत, क्षमारिहत, दोष लगाने वाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी”। “विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे”। आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में, और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ।

यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के आधीन न रहे। 

शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन। मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म। डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के जैसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।

(1) विश्वास का जीवन बताएं । जीवित आशा के साथ परमेश्वर में विश्वास के साथ बने रहो।

कृतज्ञ रहें, धन्यवादी बने रहो। विश्वास आशा प्रेम स्थाई हैं, और इनमें सबसे बड़ा प्रेम है। “कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना”। नीतिवचन 3:3

आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।

 जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है॥ यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी। “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। नीतिवचन” 3:5 .। “ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी”। नीतिवचन 3:8।। 

आशा में आनंदित रहें, कलेश में स्थिर रहें । प्रार्थना में नित लगे रहो। रोमियों 12:12

सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्टा करो। सदा आनन्दित रहो। निरन्तर प्रार्थना मे लगे रहो।हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।आत्मा को न बुझाओ।सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।सब प्रकार की बुराई से बचे रहो॥प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो।बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो॥

(2) चरित्रवान बनें, पवित्रता बनाए रखो। यानी व्यभिचार से बचो।

  • इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। रोमियो 12:1

 इस संसार के सदृश न बनो;

  • परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो॥ रोमियो 12:2
  • इस कारण अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्धकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलने वाला है। और आज्ञाकारी बालकों की नाईं अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो।

पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।

  • सच्चाई और ईमानदारी का जीवन जियो, बुरी अभिलाषा , इच्छाओं से बचे रहें, बुराई से दूर रहना चाहिए। वैसे ही सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दो रंगी, पियक्कड़, और नीच कमाई के लोभी न हों। पर विश्वास के भेद को शुद्ध विवेक से सुरक्षित रखें। 1 तीमुथियुस 3:9
  • और ये भी पहिले परखे जाएं, तब यदि निर्दोष निकलें, तो सेवक का काम करें। 1 तीमुथियुस 3:10
  • किसी से ईर्ष्या ना करें ! क्रोध और विरोध मन में ना पनपने देवें ।
  • प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। रोमियो 12:11

(3) किसी विवाद से विचलित / परेशान ना हो। अपने लक्ष्य की ओर ध्यान दें।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। याकूब 1:3पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे॥ याकूब 1:4

दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्ड करे। याकूब 1:9

अगर हमारा मन उत्साह से भरा है हमारी भावनाएं सही तौर तरीके की हैं , 

हम वास्तव में जीवन के अंदर सफलता को पाएंगे । इमोशनल वैलनेस , या मेंटल वैलनेस जीवन का मुख्य और बहुत उपयोगी भाग है अगर हम वास्तव में सिद्ध होना चाहते हैं तो हमें सही भाव के साथ, तरीके का जीवन बिताना चाहिए, विश्वास के साथ जीना चाहिये। अपने परमेश्वर पर भरोसा रखें । परमेश्वर चाहते हैं हम सच्चाई के साथ चले, ईमानदारी का जीवन बिताएं।

वैलनेस या कल्याण क्या है?

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वैलनेस या कल्याण क्या है? (What is Wellness?)

2. आध्यात्मिक कल्याण: जीवन के अर्थ की एक भावना का विकास। (SPIRITUAL WELLNESS: Growth of one’s sense of meaning in life.)

(1) परमेश्वर का भय मानें और परमेश्वर की उपस्थिति में चलें। आपका जीवन प्रार्थना का जीवन हो ।

  •  न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! भजन संहिता 1:1
  • परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। भजन संहिता 1:2
  • वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥ भजन संहिता 1:3

(2) कोई तेरी जवानी को तुच्छ न समझने पाए; 

  • उन बातों को सोचता रह, और इन्हीं में अपना ध्यान लगाए रह ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख। 1 तीमुथियुस 4:15
  • इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुनने वालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा॥ 1 तीमुथियुस 4:16
  • कि तू वचन को प्रचार कर;

(3) सही और अच्छी शिक्षा को ग्रहण करें ।

  • हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। 2 तीमुथियुस 3:16
  • ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए॥

(4) पवित्र लोगों की संगति करें । परमेश्वर के लोगों के साथ संगति में बने रहें।

सद्भावना प्रदर्शित करने के लिए आत्मिक अनुष्ठान के लिए हमेशा तैयार रहें । अच्छी बातें सीखें, उन पर अमल भी करें और लोगों को भी सिखाए । परमेश्वर से पाए हुए अनमोल उपहारों को लोगों को बांट दें । पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया। 2 तीमुथियुस 3:10

(5) दूसरों के दुखों में हमदर्द बनें और अपनी खुशियों में लोगों को शामिल करें ।

 वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है?

3. बुद्दिमत्ता/बौद्धिक/इंटेलिजेंट वेलनेस: किसी के ज्ञान कौशल और रचनात्मकता का विस्तार करना। (INTELLECTUAL WELLNESS: Expanding one’s knowledge skills and creativity.)

(1) बुद्धिमान बनें। बुद्धि की बातों को ग्रहण करें।

शास्त्रों से सीखें, शास्त्रों में नीति वचन की पुस्तक में बुद्धि की बातें लिखी हुई हैं, परमेश्वर का भय मानना बुद्धि का आरंभ है । जो लोग परमेश्वर से डरते हैं वह बुद्धि को प्राप्त करते हैं । अपने माता-पिता से अपने गुरुओं से सीखें उनका आदर करें और उनकी देखभाल करें।

(2) खुद को विकसित करें

  • खुद को विकसित करने के लिए हमेशा सीखते रहें जो बातें आपने सीख लीं हैं उन पर अमल करते रहें और दूसरों को भी सिखाते रहे । इस तरीके से आप आगे बढ़ते रहें।
  • और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों। 2 तीमुथियुस 2:2

(3) अपने समय का सही मूल्य समझो।

(4) सच्चाई ईमानदारी और विश्वास योग्यता से लोगों के दिलों को जीतने वाले बनें।

विश्वास योग्यता और वफादारी आपके अंदर बनी रहना चाहिए। वफादारी अच्छी चीज है।

(5) जिम्मेदार बनें।

अपने को एक मजबूत इंसान बनाने के लिए अपने आपको तैयार करें । आप लोगों की भीड़ में नहीं चल सकते क्योंकि आप अलग तरीके की हस्ती है। एक अलग तरीके से ही आपको अपना जीवन बिताना है, तो आप अपने जीवन में अपने आप को बहुमूल्य समझते हुए उसी तरीके का जीवन बिताएं ।

(6) अतीत की कड़वाहट को दूर करें

 वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है?

4. शारीरिक वेलनेस: उचित भोजन की आदतें व्यायाम और चिकित्सीय जांच। (PHYSICAL WELLNESS: Proper eating habits exercise and medical check-up.)

  •  खूब पानी पिएं। बार बार थोड़ा थोड़ा गिलास में लेकर मुंह लगा कर पानी पीना चाहिए।
  •  अधिक से अधिक हरी सब्जियों और फलों का सेवन करें ।

 हफ्ते में एक दिन उपवास रखें ।

  • निमित्त मेडिकल चेकअप कराते रहें।
  • व्यर्थ के तनाव से बचने के लिए मधुर संगीत सुनें।

 वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है?

5.  सामाजिक कल्याण: रचनात्मक दूसरों के साथ सकारात्मक संबंध बनाना (SOCIAL WELLNESS: Creative creating a positive relationship with others)

(1) सकारात्मक और उच्च विचारों वाले लोगों के साथ अधिक से अधिक समय बताएं।

  • जैसे कि अच्छी पुस्तकों को कम से कम 1 घंटे रोज पढ़ें ।
  • सकारात्मक सोच वाली मोटिवेशनल प्रेरणात्मक वीडियो देखें, ऑडियो सुने ।
  • और ऐसे ही लोगों के साथ आप मिले जुलें, बातचीत करें जिनसे मिलकर आपको प्रेरणा मिले।

(2) लोगों से मधुर संबंध बनाएं, उनकी सुधि लें, उनकी चिंता करें ,लोगों के लिए प्रार्थना करें।

  • बच्चों और बुजुर्गों की जरूरतों पर ध्यान दें, हो सके तो उनकी जरूरतें पूरी करने में उनकी मदद करें ।
  • जो आपसे हो सकता है आप उसके लिए उस काम को करें।
  • जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे। रोमियो 12:8
  • बुराई के बदले बुराई मत करो; और न गाली के बदले गाली दो;

वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढें, और उस के यत्न में रहे। 1 पतरस 3:11

  • यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ। 1 पतरस 3:14

 वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है?

6. वाहक और वित्तीय वेलनेस (CARRIER & FINANCIAL WELLNESS: )

(1) दर्शन (Vision) / लक्ष्य (Goal) / Why / AIM

  • आपको यह मालूम होना चाहिए कि आपको क्या करना है । इसके लिए आपके पास एक दर्शन होना चाहिए ।
  • अगर आपका दर्शन क्लियर नहीं है, आपको यदि नहीं मालूम कि आपको कहां जाना है, तो आप कैसे जान पाएंगे? कि किस चीज के लिए काम करेंगे ?
  • कैसे ? क्योंकि जब तक आप को यह ना पता हो कि आपको करना क्या है, आपको पहुंचना कहाँ है?

दर्शन के पद बाइबल से

  1.  यहोवा ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, यह देश मैं तेरे वंश को दूंगा: और उसने वहां यहोवा के लिये जिसने उसे दर्शन दिया था, एक वेदी बनाई। उत्पत्ति 12:7
  2. इन बातों के पश्चात यहोवा के द्वारा यह वचन दर्शन में अब्राहम के पास पहुंचा, कि हे अब्राहम, मत डर; तेरी ढाल और तेरा अत्यन्त बड़ा फल मैं हूं। उत्पत्ति 15:1

जब अब्राहम निन्नानवे वर्ष का हो गया, तब यहोवा ने उसको दर्शन देकर कहा मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर हूं; मेरी उपस्थिति में चल और सिद्ध होता जा। उत्पत्ति 17:1

  1. इब्राहीम माम्रे के बांजो के बीच कड़ी धूप के समय तम्बू के द्वार पर बैठा हुआ था, तब यहोवा ने उसे दर्शन दिया: उत्पत्ति 18:1
  2. वहां यहोवा ने उसको दर्शन देकर कहा, मिस्र में मत जा; जो देश मैं तुझे बताऊं उसी में रह। उत्पत्ति 26:2

उसी दिन यहोवा ने रात को उसे दर्शन देकर कहा, मैं तेरे पिता इब्राहीम का परमेश्वर हूं; मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूं,

  1.  अपने दास इब्राहीम के कारण तुझे आशीष दूंगा, और तेरा वंश बढ़ाऊंगा उत्पत्ति 26:24
  2.  हो सकता है वह मुझ से प्रसन्न हो जाए। उत्पत्ति 32:20
  3. याकूब ने कहा, नहीं नहीं, यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मेरी भेंट ग्रहण कर: क्योंकि मैं ने तेरा दर्शन पाकर, मानो परमेश्वर का दर्शन पाया है, और तू मुझ से प्रसन्न हुआ है।उत्पत्ति 33:10

क्योंकि यहोवा धर्मी है, वह धर्म के ही कामों से प्रसन्न रहता है; धर्मी जन उसका दर्शन पाएंगे॥ भजन संहिता 11:7

  1. ऐसे ही लोग उसके खोजी हैं, वे तेरे दर्शन के खोजी याकूब वंशी हैं॥ भजन संहिता 24:6

(2) परमेश्वर पर विश्वास करना

जैसा हम बोते हैं वैसा ही हम काटेंगे ।

जो हम देंगे हम उसके ही बदले में प्रतिफल पाएंगे , तो हम बेहतर दें हम अपने जीवन का जो अच्छा समय है अपने जीवन का जो सही एनर्जी है जो सब कुछ सच्चे मन से करें । हम हमेशा स्वस्थ रहेंगे, हमारे मन के अंदर जो विचार उत्पन्न होंगे वह भले होंगे क्योंकि हम भलाई का जीवन बिताने वाले हैं।

(3) कार्य योजना: एक उद्देश्य के साथ जीना चाहिए ।

 कर भला सो हो भला: भला का उल्टा हमेशा लाभ ही होगा। हम दूसरों के लिए ऐसा काम करते हैं कि उनका भला हो तो हमारा भला अपने आप हो जाता है।

(4) पुरुस्कार प्राप्त करने योग्य बनो।

जब हम अपनी सेवा की स्थिति में सही तरीके से चलते हैं तो हम हमेशा पुरस्कृत होते हैं पुरस्कारों में मिलते हैं हम नए-नए कीर्तिमान स्थापित करते हैं , हम नए-नए कीर्तिमान बनाते हैं तो हम पुरस्कृत होने हैं, हमें उन छोटी-छोटी खुशियों को लोगों के साथ बांटना है । उन खुशियों में हमको जश्न मनाना है, क्योंकि हर एक छोटी खुशी हमारे जीवन के अंदर और नई उमंग भर देती है जिससे हम अपने जीवन के अंदर अधिक ऊर्जावान हो कर कार्य कर सकते हैं।

(5) चिंता ना करें :

परमेश्वर कहते हैं कि तुम्हारा मूल्य गौरैयों से बढ़कर है परमेश्वर हमारी चिंता करते हैं और जब परमेश्वर हमारी चिंता करते हैं हमारा मूल आकाश के पक्षियों से बढ़कर है तो हमें किसी बात चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमें पूरे आनंद के साथ खुशी मनाने के लिए, आनंद मनाने के लिए जीवन दिया है, तो अवश्य ही हमको आनंद होना चाहिए । “क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ्य, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है”। 2 तीमुथियुस 1:7

(6) परमेश्वर का मार्गदर्शन:

आज्ञा का सारांश यह है, कि शुद्ध मन और अच्छे विवेक, और कपट रहित विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो। हमें हमेशा परमेश्वर के मार्गदर्शन की आवश्यकता रहती है, परमेश्वर हमारा मार्गदर्शक है हमें रास्ता दिखाता और परमेश्वर हमें रास्ता कैसे दिखाते हैं।   हमारे गुरु लोग जो होते हैं; वह हमें आगे बढ़ाते हैं और हमेशा रहते हैं ।

वही परमेश्वर का हमारे लिए मार्गदर्शन होता है

अब वह किसी व्यक्ति के द्वारा सामने आमने सामने कहा गया वचन हो सकता है, या किसी किताब में लिखा हुआ मत्ती में लिखा हुआ है “मांगो तो तुम्हे दिया जाएगा, ढूंढो तुम पाओगे और खटखट आओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा”। परमेश्वर से मांगे विश्वास के साथ मांगे हमारा रवैया विश्वासी वाला रवैया होना चाहिए। विश्वास पूर्ण हमारा जीवन होना चाहिए बस हमारी जॉब जरिया है, हमारा वह पॉजिटिव होना चाहिए सकारात्मक होना चाहिए।  हमारा एटीट्यूड हमेशा सकारात्मक हो विश्वासी हो।

कभी-कभी इंस्टिट्यूट से सीखना है; किताबों से सीखना है

हम कभी चर्च से सीखते हैं, कभी अपने बड़ों से सीखते हैं ।  हम इसी तरीके से आगे बहुत सारी चीजों में आगे सीखते हुए आगे बढ़ जाते हैं और फिर है कालेज ज्ञान हासिल करना है। ज्ञान हमारे सीखने से आता है, पढ़ने से आता है, सुनने से आता है और जैसे-जैसे हम थोड़ा आगे बढ़ते हैं, बड़े होते रहते हैं और हमारा ज्ञान बढ़ता रहता है। हम अपने ज्ञान को धीरे-धीरे बढ़ाते रहते हैं, पहले हम प्राइमरी क्लास स्कूल में पढ़ते हैं फिर हाई स्कूल में और हमारी बौद्धिक स्तर बढ़ता चला जाता है ।

ईश्वरीय मार्गदर्शन: हमें एक योद्धा की तरह होना चाहिए

तब हम जाकर के ऊपर विजय को हासिल करते हैं और हम आनंद को पाते हैं। हम एक दौड़ दौड़ रहे हैं, हमारे जीवन एक दौड़ की तरह है जहां पर हम एक और को दौड़ रहे हैं और जब हमारी यह दौड़ पूरी हो जाती है, तो हम दुनिया से जब चले जाते हैं तो हम कह सकते हैं कि हमारी दौड़ पूरी हो गई । हमारे जीवन की इस दौड़ में जब तक हम दौड़ रहे हैं, तब तक हम को कुशलता के साथ दौड़ना है, ताकि हम इनाम को पा सके । क्योंकि हम असफल होने के लिए नहीं हम सफल होने के लिए दौड़ रहे हैं ।

(7) हमें जीवन में जोखिम उठाना चाहिए: चाहे हानि क्यों ना हो,

जो जोखिम उठाता है वही आगे चलकर के सफलता को पाता है ;लेकिन इन सारी दुख तकलीफों से हमें डरना नहीं है, तकलीफों में हमको आगे बढ़ जाना है ।

(8) जुनून होना चाहिए

हमारे काम के लिए हमको जुनून होना चाहिए, हमें हमारे काम से प्यार होना चाहिए।  इस काम के द्वारा, मेरे जीवन के द्वारा, आगे चलते हुए मेरे जीवन से अनेक लोगों को आशीष मिले ।  अनेक लोगों के जीवन के अंदर परिवर्तन आए, अनेक लोगों के जीवन के अंदर मैं रोनक भर जाए, रोशनी भर जाए उनके घर परिवारों के अंदर रोशनी आ जाए, उनके जीवन में चमत्कार हो जाए, जब हम सेवा करते हैं उस सेवा को हमको जोश और जुनून के साथ करना चाहिए, सुस्ती से नहीं, आलसी पन से नहीं, बुझे मन से नहीं, बल्कि बल के साथ, पूरी ताकत के साथ।

(9) हमारा जीवन प्रार्थना का जीवन होना चाहिए: हर बात में धन्यवाद दें।

परमेश्वर की उपस्थिति के द्वारा हम एक बात अच्छे से समझते हैं कि धन्यवाद देना अच्छी बात है, अगर हमारे साथ आज बुरा भी हों रहा है, तो वह हमारे भले के लिए ही होगा।  हम नहीं जानते कि उसके बाद क्या अच्छा होने वाला है, लेकिन हां जब बाद में हम को वह समझ में आ जाएगा, हमारे सामने वह चीज प्रगट हो जाएगी कि यह क्यों हुआ था ।  तो अगर हम आज की परिस्थिति को चाहे वह बुरी भी लग रही है उसके लिए जब हम धन्यवाद इस होते हैं तो हमारे लिए अलग जीवन होता है और हम हमसे परमेश्वर खुश होते हैं और हमें हमेशा धन्यवाद इस रहना चाहिए।

 वैलनेस या कल्याण का क्या मतलब होता है?

7. एनवायरमेंटल वैलनेस/ वातावरणीय/ पर्यावरणीय कल्याण (ENVIRONMENT WELLNESS)  

  • कम से कम वाहनों का प्रयोग करें । प्रदूषण को रोकने प्रदूषण फैलाने वाली चीजों का उपयोग ना करें ।
  • FRESH BREATH IN PURE AIR ENVIRONMENT PREVENT POLLUTION

 शुद्ध पानी की बचत करें: और हम नदियों का बचाव करें नदियों को साफ रखने में सहयोग करें।

  • तीर्थ स्थलों के अंदर जाकर के वहां पर गंदगी ना करें।
  • पानी के जलचर जीव जंतुओं को नष्ट ना करें, उनको हानि ना पहुंचाएं ।

Harshit Brave

Health Care Advisor, Guide, Teacher, and Trainer. Life Counselling Coach. About Us. Optimal Health is something you all can refer to as perfect health an individual can have. Being healthy only physically is not enough, to attain that perfect health you need to be healthy in all the aspects of life, hence; Optimal Health – Happiness, Health, Wealth, Wisdom, and Spirituality.