ए = सकारात्मक दृष्टिकोण-कल्याण के माध्यम से स्वास्थ्य कमाना
ए = सकारात्मक दृष्टिकोण-कल्याण के माध्यम से स्वास्थ्य कमाना | E.A.R.N. HEALTH THROUGH WELLNESS. पिछले भाग में हमने सीखा था, कि कैसे कल्याण (WELLNESS) के द्वारा, स्वास्थय को कमाना है? E.A.R.N. (E=EXERCISE) ई = व्यायाम, (A=Positive ATTITUDE) ए = दृष्टिकोण, (R=REST) आर = आराम, (N=NUTRITION) एन = पोषण । इस लेख में, ई = व्यायाम (E=EXERCISE) के बाद (A=ATTITUDE) ए = दृष्टिकोण, के विषय में विस्तृत रूप से सीखने पाएंगे। जब भी हम “पॉजिटिव” या “सकारात्मक” शब्द के बारे में सोचते हैं तो हममें से अधिकांश के मन में शायद “हैपी” या “प्रसन्न” शब्द का ध्यान आता है। तथापि, प्रसन्नता ही एकमात्र सकारात्मकता नहीं है।
भाग 1-कैसे बनें सकारात्मक? (Be Positive)
- स्वयं से शुरुआत करें-भाग-1
- अपने को सकारात्मक प्रभावों से घिरे रखना-भाग-2
- नकारात्मक प्रभाव से बचना-भाग-3
- जीवन में सकारात्मक होने के बहुत से तरीके हैं और यह तब भी हो सकता है जब आप दुख, क्रोध या कठिनाइयों का सामना कर रहे हों।
- शोध बताते हैं कि हमारे अंदर सकारात्मक भावनाओं और सोचने के तरीके को “चुनने” की प्रबल योग्यता होती है।
- वास्तव में, हमारी भावनाएं हमारे शरीर में कोशिकीय स्तर (cellular level) पर परिवर्तन लाती हैं।
- जीवन में हमारे बहुत से अनुभव इस बात का परिणाम होते हैं कि हमारे इर्द-गिर्द जो कुछ भी है हम उसका विश्लेषण किस तरह से करते हैं,
- और उस पर हमारी प्रतिक्रिया क्या होती है।
- सौभाग्यवश, नकारात्मक भावनाओं का दमन करने या उससे छुटकारा पाने का प्रयास करने के बजाय हम उनका एक अलग ढंग से भी विश्लेषण कर सकते हैं,
- और उनके प्रति अपनी प्रतिक्रिया भी अलग ढंग देने का चयन कर सकते हैं।
- आप पाएंगे कि थोड़े से अभ्यास, धैर्य और दृढ़ता से आप और अधिक सकारात्मक बन सकते हैं।
अभिवृत्ति, मनोदृष्टि,
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पहली विधि-स्वयं से शुरुआत करें
1. आप जैसे भी हैं उसे स्वीकार करें
- यदि आप समस्या की पहचान नहीं कर सकते हैं (या नहीं करेंगे) तो आप अपने सोचने के तरीके में भी परिवर्तन नहीं ला सकते हैं।
- यदि आप इस बात को स्वीकार कर लें कि आपकी सोच और भावनाएं नकारात्मक हैं ,
- और उनके प्रति आपकी वर्तमान प्रतिक्रिया से आप आनंदित नहीं होते हैं,
- तो आप परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू करने में स्वयं की मदद कर सकते हैं।
- अपनी सोच और भावनाओं के आधार पर अपने बारे में कोई निष्कर्ष निकालने का प्रयास न करें:
- स्मरण रखें, जो भी विचार आपके मन में आते हैं या जो भी भावनाएं आप अनुभव करते हैं,
- वे स्वयं में “अच्छे” या “बुरे” नहीं होते हैं, वे मात्र विचार और भावनाएं होती हैं।
- इस मामले में जो चीज आप नियंत्रित कर “सकते” हैं वह है,
- आप द्वारा उनके विश्लेषण का तरीका और उस पर आपके द्वारा होने वाली प्रतिक्रिया।
अपने बारे में जिस चीज को आप भी परिवर्तित नहीं कर सकते हैं, उसे स्वीकार करें।
- उदाहरण के लिए, यदि आप एक अंतर्मुखी व्यक्ति हैं जिसे “री-चार्ज” होने के लिए कुछ समय एकांत में बिताने की आवश्यकता होती है,
- तो ऐसे में यदि आप हमेशा अपने को बहिर्मुखी दर्शाने का प्रयास करेंगे,
- तो उसके परिणाम स्वरूप संभवतः आप निचुड़े हुए और अप्रसन्न महसूस करने लगेंगे।
- आप इस समय जो भी हैं और जैसे भी हैं उसे स्वीकार करें।
- ऐसा करने से आप अपने अंदर के वर्तमान व्यक्ति को एक अत्यंत सकारात्मक व्यक्ति (जो की आप बन सकते हैं) में बदलने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र महसूस करने लगेंगे।
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2. लक्ष्य निर्धारित करें।
- लक्ष्य, हमें जीवन के प्रति और ज्यादा सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- शोध ऐसा दर्शाते हैं कि भले ही आप लक्ष्य को तुरंत प्राप्त न कर पाएँ,
- परंतु उसके निर्धारण मात्र से आप तुरंत ही अधिक आश्वस्त और आशान्वित महसूस कर सकते हैं।
- यदि लक्ष्यों को इस तरह से निर्धारित किया जाये कि वे आपके स्वयं के लिए अर्थपूर्ण हों और आपके जीवन-मूल्यों की दिशा में हों तो,
- उन्हें प्राप्त करने में और अपने जीवन में आगे बढ़ने में आपको सहायता मिलेगी।
छोटे लक्ष्यों से शुरू करें।
- तुरंत ही चाँद पाने का लक्ष्य न बनाएँ।
- यह सर्व विदित है कि धीमी और नियमित गति से दौड़ जीती जा सकती है।
- शुरू करने के लिए अपने लक्ष्य को विशिष्ट बनाएँ। “अधिक सकारात्मक बनें” जैसा लक्ष्य एक महान लक्ष्य तो हो सकता है,
- परंतु यह इतना विशाल है कि आप शायद यही न समझ पाएँ कि शुरुआत कहाँ से करें।
- इसलिए बेहतर होगा कि छोटे और विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित करें,
- जैसे कि “सप्ताह में दो बार मेडिटेशन करना” या “दिन में एक बार किसी अजनबी पर हंसना”।
अपने लक्ष्यों को सकारात्मक शब्दों में व्यक्त करें।
- शोध दर्शाते हैं कि यदि आप अपने लक्ष्यों को सकारात्मक अभिव्यक्ति करें तो उन्हें आप द्वारा प्राप्त किए जाने की संभावना ज्यादा हो जाएगी।
- दूसरे शब्दों में, अपने लक्ष्यों का निर्धारण उसी दिशा में करें “जिस दिशा में आप प्रयासरत हैं” न कि “जिस दिशा से आप परहेज कर रहे हैं”।
- उदाहरण के लिए “जंक फूड खाना बंद करना” एक ऐसा लक्ष्य है जिससे आपको कोई भी मदद नहीं मिल सकती हैं।
- ऐसे लक्ष्यों के प्राप्ति में विफलता आपमें शर्म का या अपराध बोध उत्पन्न कर सकता है।
“प्रतिदिन फलों और सब्जियों की तीन सर्विंग्स खाना है” एक विशिष्ट और सकारात्मक लक्ष्य है।
- अपने स्वयं की कार्यवाही के आधार पर अपना लक्ष्य निरधारित करें।
- स्मरण रखें कि दूसरों के द्वारा किए जाने वाले कार्यों पर आप नियंत्रण नहीं कर सकते हैं।
- यदि आप ऐसा लक्ष्य निर्धारित करेंगे, जिसको प्राप्त करने में अन्य व्यक्तियों द्वारा एक निश्चित प्रतिक्रिया की आवश्यकता पड़ती होगी,
- तो उनके द्वारा कार्य को आपकी आशा के अनुकूल न किए जाने पर आपको अत्यंत बुरा लगेगा।
- इसलिए बेहतर होगा यदि आप लक्ष्य को अपने बल-बूते पर,
- या अपने द्वारा नियंत्रित किए जा सकने वाले कार्यों जो कि आपका अपना निष्पादन हो, के आधार पर निर्धारित करें।
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3. प्रेम और सहृदयता-परक मेडिटेशन का अभ्यास करें
- इस तरह के मेडिटेशन, जिसे मेटा-भावना (metta bhavana) या अनुकंपा-मेडिटेशन (compassion meditation) के नाम से भी जाना जाता है,
- उन की जड़ें बुद्धिस्ट परंपराओं में मिलती हैं।
- इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि जितना प्रेम हम अपने निकटतम पारिवारिक सदस्यो से करते हैं उतना ही प्रेम हमें संसार के अन्य लोगों से भी करना चाहिए।
- इससे कुछ सप्ताह में ही आपके लचीलेपन में, नकारात्मक अनुभवों से बाहर निकल पाने की आपकी योग्यता में तथा अन्य लोगों से आपके सम्बन्धों में सुधार होता है।
- आप इसका सकारात्मक प्रभाव बहुत ही कम समय में जैसे कि प्रतिदिन पाँच मिनट देकर ही देख सकते हैं।
बहुत से जगहों पर अनुकंपा-मेडिटेशन के कोर्सेज कराये जाते हैं।
- आप चाहें तो कुछ गाइड किए गए एम पी 3 (MP3) मेडिटेशन्स को आनलाइन देख सकते हैं।
- दी सेंटर फार कंटेम्प्लेटिव माइंड इन सोसाइटी और दी यूसीएलए (UCLA) माइंडफुल अवेयरनेस रिसर्च सेंटर,
- दोनों के पास मुफ्त में डाउनलोड किए जा सकने योग्य प्रेम और सहृदयता-परक मेडिटेशन (loving-kindness meditations) के प्रोग्राम उपलब्ध हैं।
- ऐसा भी पता चला है कि प्रेम और सहृदयता-परक मेडिटेशनआपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है।
- शोध ये दर्शाते है कि अनुकंपा-मेडिटेशन आपके अंदर के डिप्रेशन के लक्षणों को कम करता है जिससे पता चलता है,
- कि दूसरों को अनुकंपा देना सीखने से आपको स्वयं को भी अनुकंपा देने में सहायता मिलती है।
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4. एक डायरी रखें।
- नए रिसर्च बताते हैं कि सकारात्मकता के लिए वास्तव में एक गणितीय फार्मूला भी होता है,
- जिसके अनुसार प्रत्येक नकारात्मक भावना के लिए तीन सकारात्मक भावनाएं आपको एक स्वस्थ संतुलन बनाने में कारक प्रतीत होती हैं।
- डायरी रखने से आपको दिन भर के अपने सारे भावनात्मक अनुभवों को देखेने में,
- और यह जानने में कि आपके अपने भावनाओं के अनुपात में किसी तरह के समायोजन की आवश्यकता है या नहीं, जानने में सहायता मिलती है।
- यह आपको अपने स्कारात्मक अनुभवों पर केन्द्रित होने में भी सहायता प्रदान करती है ताकि बाद में उन्हें याद करने की ज्यादा संभावना बनी रहे।
डायरी रखने का उद्देश्य मात्र उन चीजों की लिस्ट बनाना नहीं है जो महज आपको पसंद नहीं आए।
- रिसर्च बताते हैं कि डायरी में नकारात्मक भावनाओं और अनुभवों पर केन्द्रित होने से उन्हें और अधिक बल मिलता है जिससे आप और अधिक नकारात्मक होते जाते हैं।
- बेहतर होगा कि आप बिना सही-गलत का फैसला किए सिर्फ यह लिखें कि आपने क्या महसूस किया।
- उदाहरण के लिए, एक नकारात्मक अनुभव आपको ऐसा लग सकता है:
- “जब मेरे सहकर्मी ने मेरे वज़न को लेकर मज़ाक (joke) किया तो में बहुत ही आहत हुआ।”
- उसके बाद अपनी प्रतिक्रिया के बारे में सोचें।
उस क्षण आपकी क्या प्रतिक्रिया थी?
- अब कुछ समय के पश्चात आप कैसी प्रतिक्रिया देना चाहेंगे?
- उदाहरण के लिए, “उस पल में मैंने अपने बारे इतनी भयंकर बात सोची कि मैं एक बेकार इंसान हूँ।
- अब जबकि मैं वापस सोचता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरा सहकर्मी इस तरह की संवेदनहीन बातें सभी के बारे में कहा करता है।
- मुझे या मेरे व्यक्तित्व को कोई दूसरा कैसे परिभाषित कर सकता है।
यह कार्य तो सिर्फ मैं ही कर सकता हूँ।”
- यह सोचने का प्रयास करें कि इस तरह के अनुभवों को सीख देने वाले अनुभवों के रूप में किस प्रकार उपयोग कर सकते हैं।
- अपनी व्यक्तिगत उन्नति के लिए आप इसका कैसे उपयोग कर सकते हैं?
- अगली बार आप क्या करेंगे?
- उदाहरण के लिए “अगली बार यदि कोई मुझे आहत करने वाले शब्द कहता है,
- तो मैं याद रखूँगा कि उसका निर्णय मुझे परिभाषित नहीं करता है।
- मैं अपने सहकर्मी को यह अवश्य बताऊंगा कि उसके बातें असंवेदनशील हैं,
- और मेरी भावनाओं को आहत करती हैं ताकि मुझे याद रहे कि मेरे भावनाएं मेरे लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं।”
अपने दैनिक बही में सकारात्मक बातों को भी शामिल करें।
- कुछ समय निकाल कर ऐसी घटनाएँ जैसे कि किसी अजनबी के द्वारा दर्शाई गई सहृदयता,
- एक सुंदर सूर्यास्त या दोस्तों के साथ की गई कोई मजेदार बात-चीत को लिख लें ताकि आपके यादों का एक संग्रह बन जाये जिसे आप बाद में पढ़ सकें।
- इन अनुभवों पर जब तक आप फोकस न करें तो ज्यादा संभव है कि वे बिना ध्यानाकर्षण के ही गुजर जाएँ।
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5. ऐक्टिव आभार का अभ्यास करें
- आभार एक “भावना” से कुछ ज्यादा होता है।
- यह कुछ करना होता है। बहुत से शोध यह दर्शाते हैं कि आभार आपके लिए अच्छा होता है।
- यह यह आपके दृष्टिकोण को लगभग तुरंत ही बदल देता है,
- और आप इसका जितना ही आधिक अभ्यास करते हैं उसके पुरस्कार में भी उतनी ही बृद्धि होती है।
- आभार आपको और अधिक सकारात्मक महसूस करने में,
- आपके अन्य लोगों के साथ सम्बन्धों में बेहतरी लाने में और आपके अंदर अनुकंपा को बढ़ावा देने में सहायक होता है,
- तथा आपमें प्रसन्नता की भावना में भी बृद्धि करता है।
- कुछ लोगों में “आभारी होने की विशेषता” (trait gratitude) जिसे हम कृतज्ञ महसूस होने की प्राकृतिक अवस्था कहते हैं, प्राकृतिक रूप से ज्यादा होती है।
- तथापि, बिना इस बात को ध्यान में लाये कि आपके अंदर प्राकृतिक रूप से “आभारी होने की विशेषता” किस स्तर पर है,
आप कृतज्ञता के रवैये का पालन कर सकते हैं।
- सम्बन्धों और परिस्थितियों में आप कभी ऐसा व्यवहार न करें जो यह दर्शाये कि आप उनसे कुछ पाने के “अधिकारी” हैं।
- इसका यह “अर्थ नहीं है” कि आप यह विश्वास करें कि आप कुछ भी पाने के लायक नहीं हैं,
- और इसका यह भी अर्थ नहीं है कि आप हर किसी के साथ दुर्व्यवहारपूर्ण या अपमानजनक तरीके से पेश आयें।
- इसका सिर्फ इतना ही अर्थ है कि आप कोई भी कार्य बिना किसी विशेष भावना के जैसे कि किसी खास परिणाम, कार्यवाही, या लाभ के “अधिकारी” हैं, के साथ करें।
अपनी कृतज्ञता औरों के साथ बांटें।
- औरों के साथ अपनी कृतज्ञता बांटने से आपको उन भावनाओं को अपने याद में सँजोने में सहायता मिलती है।
- इससे उन लोगों में भी सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं जिनसे आप कृतज्ञता साझा कर हैं।
- जरा सोच कर देखें कि क्या आपका कोई ऐसा मित्र है,
- जो आपका “कृतज्ञता-सहभागी” (gratitude partner) बन कर आपसे प्रतिदिन तीन ऐसी चीजें साझा (share) कर सकता है,
- जिसके लिए आप दोनों ही एक दूसरे के प्रति कृतज्ञ हों।
उन सभी छोटी-मोटी सकारात्मक चीजों को पहचानने का प्रयास करें जो दिन भर होती रहती हैं।
- उन्हें डायरी में लिख डालें, इन्स्टाग्राम के लिए फोटो खींचें, उनके बारे में ट्विटर पर लिखें, कोई भी ऐसी चीज जिससे आपको इन छोटी चीजों,
- जिसके प्रति आप कृतज्ञ महसूस करते हों, को पहचानने और याद रखने में सहायता मिल सके, लिख डालें।
- उदाहरण के लिए, यदि आपके ब्ल्यूबेरी पैन-केक्स अच्छे बन जाएँ या काम पर जाते समय खराब ट्रैफिक का सामना न हुआ हो,
- या आपके किसी मित्र ने आपके कपड़ों की प्रशंसा किया हो, तो उन चीजों को नोट कर लें।
- ये सारी चीजें तेज़ी से जुड़ जाती हैं।
इन अच्छी चीजों का आनंद लें।
- मनुष्यों में एक खराब आदत होती है नकारात्मक चीजों पर फोकस करना और सकारात्मक चीजों को नजर-अंदाज करना।
- जब आप अपने जीवन के सकारात्मक चीजों को नोट करें तो थोड़ा समय लगाकर उन्हें ध्यान देकर स्वीकार भी करें।
- उन सभी चीजों को अपने यादों में स्टोर करने का प्रयास करें।
- उदाहरण के लिए, यदि अपने दिनचर्या के अंतर्गत टहलते हुए आपको फूलों का एक सुंदर बागीचा दिखाई दे,
- तो आप एक पल के लिए वहाँ पर ठहरें और खुद से कहें,
- “यह एक सुंदर पल है और मैं याद रखना चाहता हूँ कि मैं इस पल के अनुभव के लिए कितना आभारी हूँ।”
- उस पल का एक मानसिक “स्नैप-शाट” लेने का प्रयास करें ।
- ऐसा करने से, बाद में जब कभी भी आप कठिन समय से गुजर रहे होंगे या नकारात्मक अनुभव का सामना कर रहे होंगे,
- तब आपको इन चीजों को याद करने से अच्छा लगेगा।
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6. आत्म-स्वीकृति अपनाएं
- आत्म-स्वीकृति थोड़ा कम कारगर लग सकता है परंतु शोध बताते हैं की उसका प्रभाव आधारभूत स्तर पर होता है,
- और उसकी वजह से वास्तव में नए “सकारात्मक विचार” न्यूरान क्लस्टर्स का निर्माण कर सकते हैं।
- स्मरण रखें: आपका ब्रेन शार्ट-कट अपनाना पसंद करता है इसलिए जिन रास्तों का प्रयोग आपके जीवन में सबसे ज्यादा होता है,
- ब्रेन उन सभी रास्तों के लिए शार्ट-कट प्रयोग करने लगता है।
- यदि आप स्वयं के लिए सहानुभूतिपूर्ण बातें कहने की नियमित आदत डाल लें तो आप का ब्रेन उसे “मानक” (norm) के रूप में देखने लगता है।
- सकारात्मक आत्म-कथन और आत्म-स्वीकृति आपके तनाव और निराशा को कम कर सकता है,
- आपके इम्यून सिस्टेम को बूस्ट कर सकता है और आपके चुनौतियों का सामना करने के कौशल को भी बढ़ा सकता है।
ऐसी स्वीकृतियों को चुनें जो आपके खुद के लिए मायने रखती हों।
- आप ऐसी आत्म-स्वीकृतियों का चयन कर सकते हैं,
- जो आपके शरीर और आपके स्वयं के बारे में अपने विचारों के प्रति सहानुभूति दर्शाते हों,
- या आपको आपके आध्यात्मिक परम्पराओं के बारे में याद दिलाते हों।
- जिस कार्य से आपको सकारात्मकता और शांति की अनुभूति हो, उसे करें।
- उदाहरण के लिए, आप कुछ ऐसा कह सकते हैं “मेरा शरीर स्वस्थ है और मेरा मन सुंदर है।
- ” या “आज मैं दयालु बने रहने के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास करूंगा।
- ” या “आज पूरे दिन मेरे ईश्वर / आध्यात्मिक छवि मेरे साथ रहेंगे।”
- यदि आप किसी क्षेत्र-विशेष में संघर्षरत हों तो उस क्षेत्र से संलबंधित सकारात्मक स्वीकृतियों को ढूँढने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास करें।
- उदाहरण के लिए, यदि आपकी परेशानी अपने शारीरिक छवि को लेकर है, तो कुछ इस तरह कहने का प्रयास करें,
- “मैं सुंदर और बलवान हूँ”
- या “जिस तरह में दूसरों को प्रेम करता हूँ,
- वैसे ही में स्वयं से भी प्रेम करना सीख सकता हूँ” या “मैं प्रेम और आदर का पात्र हूँ”।
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7. विकास-योग्य आशावाद
- 1970 के आस-पास शोधकर्ताओं ने यह जाना कि ऐसे लोग जिनकी लाटरी लगी थी,
- (एक ऐसी घटना जिसे हममें से अधिकांश लोग अविश्वासनीय रूप से सकारात्मक ही मानते हैं),
- एक साल के बाद, उन लोगों की तुलना में जिनकी लाटरी नहीं लगी थी, ज्यादा खुश नहीं थे।
- इसका कारण है सुख विषयक अनुकूलन (hedonic adaptation): मनुष्यों के अंदर प्रसन्नता की एक आधार रेखा (baseline) होती है,
- जहां हम किसी भी बाहरी घटना (अछी या बुरी) के पश्चात वापस लौट कर आ जाते हैं।
- तथापि, यदि आपकी स्वाभाविक आधार-रेखा का स्तर बहुत नीचे हो तो भी आप आशावाद को सक्रिय रूप से विकसित कर सकते हैं।
- आशावादी होने से आपके आत्म-सम्मान, सम्पूर्ण स्वास्थ्य के अच्छे होने की भावना और अन्य लोगों से आपके सम्बन्धों में बृद्धि होती है।
आशावाद दुनिया की व्याख्या का एक तरीका है।
- यह तो शुक्र है मानव ब्रेन के लचीलेपन के गुण का कि आप व्याख्या करने विभिन्न तरीके सीख सकते हैं।
- निराशावादी दृष्टिकोण दुनिया को अपरिवर्तनीय और आंतरिक रूप से समावेशित चीज के रूप में देखता है:
- “हर चीज अनुचित है,” “मैं इसे कभी भी बदल नहीं पाऊँगा,” “मेरा जीवन बेकार है और यह मेरी गलती है।”
- वहीं एक आशावादी दृष्टिकोण दुनिया को लचीले और सीमित शर्तों के रूप में देखता है।
- उदाहरण के लिए, एक निराशावादी व्यक्ति अगले सप्ताह होने वाले सेलो वादन के बारे में ऐसा सोच और कह सकता है,
- “अभी तो मैं सेलो बहुत ही खराब बजाता हूँ।
- मेरी वजह से कार्यक्रम बर्बाद ही होगा।
- इससे तो अच्छा है की मैं निंतेंदो ही खेलता रहूं।”
- यह कथन इस कल्पना पर आधारित है कि आपके सेलो वादन का कौशल जन्मजात और स्थायी है न कि कुछ ऐसा जिसे आप कड़े अभ्यास से सुधार सकें।
आपका कथन, “अभी तो मैं सेलो बहुत ही खराब बजाता हूँ“
- आपके स्वयं के ऊपर एक वैश्विक आक्षेप भरा कथन है- जो ऐसा दर्शाता है,
- जैसे कि आपके सेलो वादन-कौशल एक अभ्यास से सुधारे जा सकने वाली चीज न होकर आपकी व्यक्तिगत विफलता है।
- इस निराशाजनक दृष्टिकोण का यह मतलब निकल सकता है कि आप सेलो बजाने का अभ्यास इसलिए नहीं करना चाहते हैं,
- क्योंकि आप इसे निरर्थक समझते हैं या आप अपने को यह सोच कर दोषी मान रहे हैं कि आप किसी चीज में “खराब” हैं।
- ये दोनों ही चीजें ठीक नहीं हैं और इनमें से किसी से भी आपको कोई फायदा नहीं होने वाला है।
एक आशावादी व्यक्ति इस मामले में कुछ ऐसा कहेगा:
- “सेलो वादन का बड़ा आयोजन अगले सप्ताह होने वाला है और अपने आज के सेलों वादन-कौशल के स्तर से मैं खुश नहीं हूँ।
- अब मैं आयोजन होने तक प्रतिदिन एक घंटा अतिरिक्त अभ्यास करूंगा और अपना सर्वोत्तम दूँगा।
- इतना तो मैं कर ही सकता हूँ और ऐसा करके मुझे यह संतोष रखेगा कि मेरे द्वारा जो भी करना संभव था, वह मैंने किया।”
- आशावाद यह नहीं कहता है कि चुनौतियाँ और नकारात्मक अनुभव कोई यथार्थ चीज न होकर कोई काल्पनिक चीज है।
- वह तो चीजों की व्याख्या बिलकुल अलग ढंग से करने का चुनाव करता है।
वास्तविक आशावाद और “अंधे” आशावाद में बहुत बड़ा अंतर होता है।
- अंधा आशावाद आपसे यह अपेक्षा कर सकता है कि पहली ही बार सेलो उठाते ही,
- सेलो के प्रवीण लोग जिस स्कूल में प्रशिक्षण पाने के लिए प्रवेश लेने जाते हैं, उसी स्कूल में आप भी प्रवेश लेने के लिए पहुँच जाएँ।
- यह सच्चाई से परे है और इस तरह की अपेक्षा आपमें निराशा भर देगी।
- सच्चा आशावाद आपके परिस्थिति को स्वीकार करता है और आपको उसका सामना करने के लिए तैयार करता है।
- एक सच्चा आशावादी दृष्टिकोण संभवतया आपसे यह अपेक्षा कर सकता है,
- कि आपको सेलों वादन सीखने के लिए वर्षों तक कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता पड़ेगी,
- और उसके बाद भी “हो सकता है” कि आपको अपने सपनों के स्कूल में प्रवेश न मिले,
- परंतु आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जो कुछ भी कर सकते थे वह सब आपने कर लिया।
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8. अपने नकारात्मक अनुभवों को री-फ्रेम करना सीखें
- जो गलती लोग आम तौर पर करते हैं वह होता है नकारात्मक अनुभवों से परहेज करना या उनकी अनदेखी करना।
- किसी स्तर पर यह ठीक लगता है क्योंकि वे दुखद होते हैं।
- तथापि, इन अनुभवों को दबाने या उनकी अनदेखी करने से आपकी उनसे निबटने की क्षमता को क्षति भी पहुंचती है।
- इससे बेहतर तो होगा कि आप उन अनुभवों को री-फ्रेम करें।
- क्या आप उनसे कुछ सीख सकते हैं?
क्या आप उन्हें अलग दृष्टिकोण से देख सकते हैं?
- उदाहरण के लिए, आविष्कारक मिशकिन इंगवले (Myshkin Ingawale) द्वारा 2012 में दिया गया व्याख्यान,
- जिसमें उन्होंने बताया था कि ग्रामीण भारत के गर्भवती महिलाओं को बचाने के लिए उन्होंने किस तरह एक तकनीक का आविष्कार किया था।
- उपकरण बनाने के उनके शुरुआती 32 प्रयास असफल हो गए थे।
- बार-बार उनके सामने अपने अनुभव की व्याख्या असफलता के रूप में करने की स्थिति बनती थी ताकि वो इस काम से बाज आयें।
- इसके बाद भी उन्होने अपने अनुभवों और पिछली चुनौतियों से सकारात्मक सीख लेना बेहतर समझा,
- और आज उनके आविष्कार से ग्रामीण भारत के गर्भवती महिलाओं की मृत्यु को 50% तक कम करने में सहायता मिली है।
दूसरा उदाहरण डा० विक्टर फ़्रांकल (Dr. Viktor Frankl) का है जिन्हें युद्ध के दौरान नाजी कन्सेंट्रेशन कैंप में कैद रखा गया था।
- मानवता के सबसे खराब परिस्थितियों को झेलने के बावजूद भी उन्होंने अपने परिस्थिति की व्याख्या अपने ही शर्तों के आधार पर करने का चयन किया,
- और लिखा “किसी भी आदमी से उसका सब कुछ छीना जा सकता है केवल एक चीज को छोड़ कर,
- और वो है मनुष्य की किसी दिये गए खास परिस्थिति में अपना रवैया चुनने की स्वतन्त्रता या अपनी राह चुनने की स्वतन्त्रता।”
- किसी भी चुनौती या नकारात्मक अनुभव के प्रति तुरंत अपने आपको नकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया करने देने के बजाय थोड़ा रुक कर परिस्थिति का आकलन करें।
क्या चीज गलत हो गई?
- क्या चीज दांव पर लगी हुई है?
- अगली बार कुछ अलग ढंग से करने के लिए क्या आप इससे कुछ सीख सकते हैं?
- क्या इस अनुभव से आपको पहले से अधिक दयालु, उदार, बुद्धिमान और मजबूत बनने की शिक्षा मिली है?
- इसको स्वतः नकारात्मक रूप देखने के बजाय एक पल रुक कर अपने अनुभव पर दुबारा निगाह डालने से आपको उसकी पुनर्व्याख्या करने में सहायता मिलेगी।
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9. अपने तन का प्रयोग करें
- आपका तन और मन दोनों ही अंतरंग मित्र की तरह भीतर से जुड़े हुए होते हैं।
- यदि सकारात्मक महसूस करने के लिए आपको संघर्ष करना पड़ रहा है तो हो सकता है,
- कि यह आपके तन के कारण हो जो आपके विरुद्ध कार्यरत हो।
- सामाजिक मनोवैज्ञानिक एमी कुडी (Amy Cuddy) ने दर्शाया है,
- कि आपकी मुद्रा (posture) भी आपके शरीर में उपस्थित स्ट्रेस-हार्मोन्स के स्तर को प्रभावित कर सकती है।
- सीधे खड़े होने का प्रयास करें। अपने कंधे पीछे की ओर और सीना आगे की ओर कर लें।
- अपनी दृष्टि सामने की ओर कर लें।
- थोड़ी जगह बना लें।
- इसे एक “पावर पोज़” (power pose) कहते हैं और यह आपको ज्यादा आश्वस्त और आशावादी महसूस करने में वास्तव में सहायता प्रदान कर सकता है।
मुस्कुराएँ।
- शोध बताते हैं कि जब आप मुसकुराते हैं तो चाहे आप खुश “महसूस” कर रहे हों या नहीं,
- आपका ब्रेन आपके मूड को बेहतर बना सकता है।
- विशेषकर यह तब सही होता है जब आप उस खास मुस्कुराहट का प्रयोग करते हैं,
- जो आपके आँखों और मुंह के मसल्स को क्रियाशील बनाता है।
- रिपोर्ट बताते हैं की जो लोग मेडिकल प्रोसीजर्स के दौरान भी मुसकुराते हैं उन्हें,
- उन लोगों की तुलना में, कम दर्द महसूस होता है जो नहीं मुसकुराते हैं।
ऐसे वस्त्र पहनें जो आपके व्यक्तित्व को सही ढंग से प्रदर्शित करते हों।
- आपके वस्त्रों का प्रभाव आपके महसूस करने के ढंग पर भी पड़ता है।
- एक शोध ने दर्शाया है कि जिन लोगों ने प्रयोगशाला में पहने जाने वाले कोट को पहन कर कोई साधारण सा भी वैज्ञानिक कार्य किया,
- तो उन्होंने उस कार्य को उन लोगों से बहुत बेहतर ढंग से किया जिन्होंने कोट नहीं पहने थे,
- भले ही अंतर केवल कोट पहनने और न पहनने का था परंतु उसकी महत्ता कितनी थी यह सीख की बात है।
- ऐसे वस्त्र चुनें जिसको पहन कर आप अपने बारे में अच्छा महसूस कर सकें, बिना इस बात की परवाह किए कि लोग उसके बारे में क्या कहते हैं।
- अपने कपड़ों के साइज़ को लेकर ज्यादा परेशान न हों, क्योंकि साइज़ का निर्धारण बिलकुल मनमाने ढंग से किया जाता है,
- एक स्टोर में मिलने वाली 4 नंबर की चीज दूसरे स्टोर में 12 नंबर की हो सकती है।
- याद रखें, किसी भी अनियमित नंबर का साइज़ आपका मूल्यांकन नहीं कर सकता है।
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10. कुछ व्यायाम करें
- जब आप व्यायाम करते हैं तो आपका शरीर शक्तिशाली एंडोर्फ़िंस (endorphins) रिलीज करता है,
- जो आपके शरीर में प्राकृतिक रूप से “अच्छा-महसूस” (feel-good) कराने वाले रसायन होते हैं।
- व्यायाम करने से आपको चिंता और अवसाद की भावना से लड़ने में सहाता मिल सकती है।
- शोधों ने यह भी दर्शाया है कि नियमित,
- और मध्यम स्तर का व्यायाम करने से आपके शांति की अनुभूति में और स्वस्थ महसूस करने में बृद्धि होती है।
प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक मध्यम स्तर का शारीरिक व्यायाम करने का लक्ष्य निर्धारित करें।
- व्यायाम का लाभ पाने के लिए आपका बाडी-बिल्डर होना आवश्यकता नहीं है।
- सच तो यह है कि मात्र मध्यम स्तर के व्यायाम जैसे कि जागिंग,
- स्विमिंग या गार्डेनिंग करने से ही आपको सम्पूर्ण रूप से ज्यादा सकारात्मक महसूस करने में मदद मिल सकती है।
- ऐसे व्यायाम, जिनमें मेडिटेशन, जैसे कि योगा और ताई-ची शामिल हों,
- भी आपको ज्यादा सकारात्मकता की अनुभूति करा सकते हैं,
- और आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
ए = सकारात्मक दृष्टिकोण-कल्याण के माध्यम से स्वास्थ्य कमाना
11. अपने अंदर जीवंतता पैदा करें
- यदि आप ज्यादा सफलता होना चाहते हैं तो आप अपने उन सभी चीजों पर गौर करें जिनमें आप पहले ही सफलता प्राप्त कर चुके हैं।
- यदि आप और अधिक प्रेम पाना चाहते हैं तो आप उन सभी लोगों पर ध्यान केन्द्रित करें जो आपका ध्यान रखते हैं,
- और साथ ही साथ अपने अंदर के प्रेम के सागर के बारे में सोचें जिसे आप अन्य लोगों से साझा करना चाहते हैं।
- यदि आप ज्यादा अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं तो हर समय सोचें कि आप स्वस्थ हैं, इत्यादि, इत्यादि।
ए = सकारात्मक दृष्टिकोण-कल्याण के माध्यम से स्वास्थ्य कमाना
12. छोटी-मोटी चीजों के लिए व्यर्थ परेशान न हों
- हर व्यक्ति अपने जीवन में कई बार ऐसी चीजों का सामना करता है,
- जो उस विशेष समय में बहुत ही महत्वपूर्ण लगती हैं,
- परंतु जब हम उन्हें “सही परिप्रेक्ष्य” में देखते हैं तो पाते हैं कि वास्तव में वे कोई समस्या थे ही नहीं।
- शोध ऐसा भी दर्शाते हैं कि वो सभी भौतिक चीजें जिनको पाने के लिए आप कठिन संघर्ष करते हैं,
- और जिनको न पाने से आप बुरी तरह निराश हो जाते हैं,
- यदि वास्तव में वो आपको मिल भी जाएँ तो भी आपको प्रसन्न नहीं मिल पाती है।
- सच तो ये है कि जब आप कुछ चीजों पर फोकस करते हैं तो कभी-कभी वास्तव में वह एक तरीका होता है,
- जिससे आप अपनी अपूर्ण इच्छाओं की भरपाई करते हैं।
शोध ऐसा बताते हैं कि हमें अपने जीवन में सफलता पाने के लिए पाँच आधारभूत चीजों की आवश्यकता होती है:
- सकारात्मक भावनाएं
- करने के लिए समुचित कार्य का होना
- अन्य लोगों के साथ संबंध
- अर्थ
- उपलब्धि
- याद रखें कि आप उपरोक्त चीजों का आपके जीवन में क्या अर्थ है, इसको आप परिभाषित कर सकते हैं।
- अन्य लोगों ने “अर्थ” या “उपलब्धि” को कैसे परिभाषित किया है,
- इस बात को लेकर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।
- जो कुछ भी आप करते हैं और जैसे भी करते हैं यदि आपको उसमें अपने लिए कोई अर्थ नहीं दिखता है,
- तो उसे कर लेने के बाद भी आपको कोई प्रसन्नता हासिल नहीं होने वाली है।
- भौतिक चीजें जैसे कि ख्याति और धन वास्तव में आपको थोड़ी भी प्रसन्नता “नहीं” देंगी।
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