भावनात्मक कल्याण
भावनात्मक कल्याण

भावनात्मक कल्याण (Emotional Wellness)

भावनात्मक कल्याण (Emotional Wellness)

1) भावनात्मक कल्याण (Emotional Wellness)

भावनात्मक कल्याण(Emotional Wellness);- पौलुष कहते हैं; अच्छी भावनाएँ जैसे: प्रेम, आनंद, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम। बुरी भावनायें:- ईर्ष्या, द्वेश, क्रोध, विरोध, भय, डर, चिंता, तनाव, अवसाद, बुरे विचार। आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे।

 शरीर आत्मा के विरोध में, और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं;

इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के आधीन न रहे। शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन। मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म। डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के जैसे और और काम हैं।

भावनात्मक कल्याण:- किसी की भावनाओं को समझने और उनका सामना करने में सक्षम होना।

आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है॥ यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।

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Bible- 2 तीमुथियुस 3:1-4 के अनुसार “पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे”।

“क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र”। दयारिहत, क्षमारिहत, दोष लगाने वाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी”। “विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे”।

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(1) विश्वास का जीवन बताएं ।

विश्वास आशा प्रेम स्थाई हैं, और इनमें सबसे बड़ा प्रेम है। 1 कुरिन्थियों 13:13 “कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना”। नीतिवचन 3:3 ; “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। नीतिवचन” 3:5; “ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी”। नीतिवचन 3:8

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(2) जीवित आशा के साथ परमेश्वर में विश्वास के साथ बने रहो।

आशा में आनंदित रहें, कलेश में स्थिर रहें । प्रार्थना में नित लगे रहो। रोमियों 12:12. इस कारण अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्धकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलने वाला है। और आज्ञाकारी बालकों की नाईं अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो। 1 पतरस 1:13-14; 

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(3) सदा आनन्दित रहो। 1 थिस्सलुनीकियों 5:16

(4) निरन्तर प्रार्थना मे लगे रहो। 1 थिस्सलुनीकियों 5:17

(5) कृतज्ञ रहें / धन्यवादी बने रहो।

हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है। 1 थिस्सलुनीकियों 5:18

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(6) आत्मा को न बुझाओ। 1 थिस्सलुनीकियों 5:19

(7) सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो। 1 थिस्सलुनीकियों 5:21

(8) सब प्रकार की बुराई से बचे रहो॥ 1 थिस्सलुनीकियों 5:22

(9) प्रेम निष्कपट हो;

बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो। रोमियो 12:9

(10) बुराई से न हारो;

परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो॥ रोमियो 12:21

(11) चरित्रवान बनें, पवित्रता बनाए रखो।

व्यभिचार से बचो। इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।

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 इस संसार के सदृश न बनो;

परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो॥ रोमियो 12:1-2 | पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो। 1 पतरस 1:15. क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं। 1 पतरस 1:16

सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए,

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(12) सच्चाई और ईमानदारी का जीवन जियो, बुरी अभिलाषा, इच्छाओं से बचे रहें, बुराई से दूर रहना चाहिए।

  1.  (1) सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दो रंगी, पियक्कड़, और नीच कमाई के लोभी न हों। 1 तीमुथियुस 3:8
  2. (2) पर विश्वास के भेद को शुद्ध विवेक से सुरक्षित रखें। 1 तीमुथियुस 3:9
  3. (3) और ये भी पहिले परखे जाएं, तब यदि निर्दोष निकलें, तो सेवक का काम करें। 1 तीमुथियुस 3:10

(13) किसी से ईर्ष्या ना करें ! क्रोध और विरोध मन में ना पनपने देवें ।

(14) प्रयत्न करने में आलसी न हो;

(15) किसी विवाद से विचलित / परेशान ना हो। अपने लक्ष्य की ओर ध्यान दें।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो; तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे॥ पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी।

 विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे;

क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा। वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है॥ दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्ड करे। याकूब 1:2-9 

400+ ‘विश्वास के पद’ बाइबल से- धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा।

नये जन्मे हुए बच्चों की नाईं निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो,

ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ। यदि तुम ने प्रभु की कृपा का स्वाद चख लिया है। 1 पतरस 2:2

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(16) प्रेम और सद्भावना बनाए रहें, सेवा एवंम सहायता का भाव रखें।

धन्यवाद के साथ साथ प्रसन्न चित्त रहें।

अगर हमारा मन उत्साह से भरा है हमारी भावनाएं सही तौर तरीके की हैं ,तो हम वास्तव में जीवन के अंदर सफलता को पाएंगे । इमोशनल वैलनेस , या मेंटल वैलनेस जीवन का मुख्य और बहुत उपयोगी भाग है अगर हम वास्तव में सिद्ध होना चाहते हैं तो हमें सही भाव के साथ, तरीके का जीवन बिताना चाहिए, विश्वास के साथ जीना चाहिये।

अपने परमेश्वर पर भरोसा रखें ।

परमेश्वर चाहते हैं हम सच्चाई के साथ चले, ईमानदारी का जीवन बिताएं।

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Harshit Brave

Health Care Advisor, Guide, Teacher, and Trainer. Life Counselling Coach. About Us. Optimal Health is something you all can refer to as perfect health an individual can have. Being healthy only physically is not enough, to attain that perfect health you need to be healthy in all the aspects of life, hence; Optimal Health – Happiness, Health, Wealth, Wisdom, and Spirituality.