10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 
10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता (The 10 Commandments: Love and Obedience)

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता (The 10 Commandments: Love and Obedience)

17) तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर
29) तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर
40) यीशु ने कहा-सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है। यूहन्ना 15:1

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता (The 10 Commandments: Love and Obedience). परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं। 1 यूहन्ना 5:3। प्रभु परमेश्वर ने अपनी प्रजा को जो आज्ञायें दीं थीं मूसा नबी द्वारा, उनको विस्तार से समझने के लिये ये संदेश “10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता” बाइबल के पदों के आधार पर लिखा गया है, आशा है, इस लेख से आप लाभान्वित होंगे।

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10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता (The 10 Commandments: Love and Obedience)

10 आज्ञायें (निर्गमन 20)  

  • 1. तुम मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके ना मानना।
  • 2. अपने लिए कोई मूर्ति गढ़ कर ना बनाना, और ना उसको दंडवत करना।
  • 3. अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ ना लेना ।
  • 4. विश्राम दिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना।
  • 5. अपने माता-पिता का आदर करना ।
  • 6. हत्या ना करना ।
  • 7. व्यभिचार न करना ।
  • 8. तू चोरी ना करना ।
  • 9. तू अपने पड़ोसी के विरुद्ध झूठी साक्षी ना देना ।
  • 10. तू अपने पड़ोसी के घर का लालच ना करना

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

परमेश्वर के प्रति हमारा कर्तव्य

  • मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है॥ निर्गमन 20:2
  • 1. तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना॥ निर्गमन 20:3
  • 2. तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है। निर्गमन 20:4
  • तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं,
  • और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं, निर्गमन 20:5
  • और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं॥ निर्गमन 20:6
  • 3. तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा॥ निर्गमन 20:7

4. तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना। निर्गमन 20:8

  • छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम काज करना; निर्गमन 20:9
  • परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है।
  • उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी,
  • न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो। निर्गमन 20:10
  • क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया,
  • और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया॥ निर्गमन 20:11

सारांश:- यीशु ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। मत्ती 22:37

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

पड़ोसी के प्रति हमारा कर्तव्य

  • 5. तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए॥ निर्गमन 20:12
  • 6. तू खून न करना॥ निर्गमन 20:13
  • 7. तू व्यभिचार न करना॥ निर्गमन 20:14
  • 8. तू चोरी न करना॥ निर्गमन 20:15
  • 9. तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना॥ निर्गमन 20:16
  • 10. तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी,
  • वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना॥ निर्गमन 20:17

सारांश:- उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। मत्ती 22:39

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

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10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता (The 10 Commandments: Love and Obedience)

तू परमेश्वर अपने प्रभु से प्रेम रख

1. “तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना”॥ निर्गमन 20:3

  • तुम पराये देवताओं का भय न मानना और न उन्हें दण्डवत करना और न उनकी उपासना करना और न उन को बलि चढ़ाना। 2 राजा 17:35
  • बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी बुद्धि अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी॥ भजन संहिता 111:10
  • कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा,
  • और दूसरे को तुच्छ जानेगा; “तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते”। मत्ती 6:24
  • ओझाओं और भूत साधने वालों की ओर न फिरना, और ऐसों को खोज करके उनके कारण अशुद्ध न हो जाना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं। लैव्यवस्था 19:31
  • निश्चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं॥ भजन संहिता 100:3
  • यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करो जो उसके योग्य है; भेंट ले कर उसके आंगनों में आओ! भजन संहिता 96:8
  • पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत करो; हे सारी पृथ्वी के लोगों उसके साम्हने कांपते रहो! भजन संहिता 96:9
  • हमारे परमेश्वर यहोवा को सराहो; और उसके चरणों की चौकी के साम्हने दण्डवत करो! वह पवित्र है! भजन संहिता 99:5

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

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10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता (The 10 Commandments: Love and Obedience)

तू परमेश्वर अपने प्रभु से प्रेम रख

2. तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना,

  • न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है । तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; निर्गमन 20:4-5
  • सो परमेश्वर का वंश होकर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों। प्रेरितों के काम 17:29
  • अन्यजातियों की मूरतें सोना- चान्दी ही हैं, वे मनुष्यों की बनाईं हुई हैं। भजन संहिता 135:15
  • उनके मुंह तो रहता है, परन्तु वे बोल नहीं सकतीं, उनके आंखें तो रहती हैं, परन्तु वे देख नहीं सकतीं,भजन संहिता 135:16
  • उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकतीं, न उनके कुछ भी सांस चलती है। भजन संहिता 135:17
  • जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनाने वाले भी हैं; और उन पर सब भरोसा रखने वाले भी वैसे ही हो जाएंगे! भजन संहिता 135:18
  • क्योंकि यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है; वह तो सब देवताओं से अधिक भय योग्य है। भजन संहिता 96:4
  • क्योंकि देश देश के सब देवता तो मूरतें ही हैं; परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है। भजन संहिता 96:5

तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर। मत्ती 4:10

  • परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें। यूहन्ना 4:24
  • इस कारण हम इस राज्य को पाकर जो हिलने का नहीं, उस अनुग्रह को हाथ से न जाने दें,
  • जिस के द्वारा हम भक्ति, और भय सहित, परमेश्वर की ऐसी आराधना कर सकते हैं जिस से वह प्रसन्न होता है। इब्रानियों 12:28
  • क्योंकि हमारा परमेश्वर भस्म करने वाली आग है॥ इब्रानियों 12:29

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

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10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता (The 10 Commandments: Love and Obedience)

तू परमेश्वर अपने प्रभु से प्रेम रख

3. तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना;

  • क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा॥ निर्गमन 20:7
  • परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि कभी शपथ न खाना; न तो स्वर्ग की, क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है। मत्ती 5:34
  • न धरती की, क्योंकि वह उसके पांवों की चौकी है; और न यरूशलेम की, क्योंकि वह महाराजा का नगर है। मत्ती 5:35
  • अपने सिर की भी शपथ न खाना क्योंकि तू एक बाल को भी न उजला, न काला कर सकता है। मत्ती 5:36
  • परन्तु तुम्हारी बात हां की हां, या नहीं की नहीं हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है॥ मत्ती 5:37
  • यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता। भजन संहिता 66:18
  • जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। मत्ती 7:21
  • तौभी परमेश्वर की पड़ी नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहिचानता है;

और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे। 2 तीमुथियुस 2:19

  • बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना,
  • क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों॥ सभोपदेशक 5:2
  • प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी। मत्ती 6:7
  • सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है। मत्ती 6:8

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

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तू परमेश्वर अपने प्रभु से प्रेम रख

4. तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।

  • छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम काज करना; परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है।
  • उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी,
  • न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो। निर्गमन 20:8-10
  • छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया;
  • इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया॥ निर्गमन 20:11
  • यीशु ने उन से कहा; सब्त का दिन मनुष्य के लिये बनाया गया है, न कि मनुष्य सब्त के दिन के लिये। मरकुस 2:27

इसलिये मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी स्वामी है॥ मरकुस 2:28

  • सप्ताह के पहिले दिन बड़े भोर को वे उन सुगन्धित वस्तुओं को जो उन्होंने तैयार की थीं, ले कर कब्र पर आईं। लूका 24:1
  • और उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया। लूका 24:2
  • और भीतर जाकर प्रभु यीशु की लोथ न पाई। लूका 24:3
  • जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए। लूका 24:4
  • जब वे डर गईं, और धरती की ओर मुंह झुकाए रहीं; तो उन्होंने उन ने कहा; तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढ़ती हो? लूका 24:5
  • वह यहां नहीं, परन्तु जी उठा है; स्मरण करो; कि उस ने गलील में रहते हुए तुम से कहा था। लूका 24:6
  • सप्ताह के पहिले दिन जब हम रोटी तोड़ने के लिये इकट्ठे हुए,
  • तो पौलुस ने जो दूसरे दिन चले जाने पर था, उन से बातें की, और आधी रात तक बातें करता रहा। प्रेरितों के काम 20:7

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारी

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तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर

5. तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए॥ निर्गमन 20:12

  • हे बालको, सब बातों में अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है। कुलुस्सियों 3:20
  • हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज; नीतिवचन 1:8
  • क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये कन्ठ माला होंगी। नीतिवचन 1:9
  • पक्के बाल वाले के साम्हने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपने परमेश्वर का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं। लैव्यवस्था 19:32

किसी बूढ़े को न डांट; पर उसे पिता जान कर समझा दे, और जवानों को भाई जान कर; बूढ़ी स्त्रियों को माता जान कर। 1 तीमुथियुस 5:1

  • अपने अगुवों की मानो; और उनके आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा,
  • कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले लेकर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं। इब्रानियों 13:17
  • लोगों को सुधि दिला, कि हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्छे काम के लिये तैयार रहें। तीतुस 3:1

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

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तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर

6. तू खून न करना॥ निर्गमन 20:13

  • प्रथम खून
  • कैन ने अपने भाई हाबिल से कुछ कहा: और जब वे मैदान में थे, तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर चढ़ कर उसे घात किया। उत्पत्ति 4:8
  • तब यहोवा ने कैन से पूछा, तेरा भाई हाबिल कहां है? उसने कहा मालूम नहीं: क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूं? उत्पत्ति 4:9
  • उसने कहा, तू ने क्या किया है? तेरे भाई का लोहू भूमि में से मेरी ओर चिल्ला कर मेरी दोहाई दे रहा है! उत्पत्ति 4:10
  • इसलिये अब भूमि जिसने तेरे भाई का लोहू तेरे हाथ से पीने के लिये अपना मुंह खोला है, उसकी ओर से तू शापित है। उत्पत्ति 4:11
  • परमेश्वर ने कहा- निश्चय मैं तुम्हारा लोहू अर्थात प्राण का पलटा लूंगा:
  • सब पशुओं, और मनुष्यों, दोनों से मैं उसे लूंगा: मनुष्य के प्राण का पलटा मैं एक एक के भाई बन्धु से लूंगा। उत्पत्ति 9:5

प्रभु यीशु ने कहा-

  • कौन सी आज्ञाएं? यीशु ने कहा, यह कि हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना। मत्ती 19:18
  • तुम सुन चुके हो, कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था कि हत्या न करना, और जो कोई हत्या करेगा वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा। मत्ती 5:21
  • परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा:
  • और जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दण्ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे “अरे मूर्ख” वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा। मत्ती 5:22
  • परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो। लूका 6:27
  • जो तुम्हें स्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो। लूका 6:28
  • वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा;
  • और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। लूका 6:35

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

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तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर

7. तू व्यभिचार न करना॥ निर्गमन 20:14

  • परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा। इब्रानियों 13:4
  • यीशु ने कहा- मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से छोड़ दे, तो वह उस से व्यभिचार करवाता है;
  • और जो कोई उस त्यागी हुई से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है॥ मत्ती 5:32
  • जिन का ब्याह हो गया है, उन को मैं नहीं, वरन प्रभु आज्ञा देता है, कि पत्नी अपने पति से अलग न हो। 1 कुरिन्थियों 7:10
  • (और यदि अलग भी हो जाए, तो बिन दूसरा ब्याह किए रहे; या अपने पति से फिर मेल कर ले) और न पति अपनी पत्नी को छोड़े। 1 कुरिन्थियों 7:11
  • यीशु ने कहा- मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका। मत्ती 5:28

क्योंकि भीतर से अर्थात मनुष्य के मन से, बुरी बुरी चिन्ता, व्यभिचार। मरकुस 7:21

  • चोरी, हत्या, पर स्त्रीगमन, लोभ, दुष्टता, छल, लुचपन, कुदृष्टि, निन्दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं। मरकुस 7:22
  • क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? 1 कुरिन्थियों 6:19
  • क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो॥ 1 कुरिन्थियों 6:20
  • निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं,
  • और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्हीं पर ध्यान लगाया करो। फिलिप्पियों 4:8

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

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तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर

8. तू चोरी न करना॥ निर्गमन 20:15

  • चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे;
  • इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो। इफिसियों 4:28
  • तुम न्याय में, और परिमाण में, और तौल में, और नाप में कुटिलता न करना। लैव्यवस्था 19:35
  • सच्चा तराजू, धर्म के बटखरे, सच्चा एपा, और धर्म का हीन तुम्हारे पास रहें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुम को मिस्र देश से निकाल ले आया। लैव्यवस्था 19:36
  • जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को देता है, उसका जो भाग तुझे मिलेगा, उस में किसी का सिवाना जिसे अगले लोगों ने ठहराया हो न हटाना॥ व्यवस्थाविवरण 19:14
  • जो अपना अनाज रख छोड़ता है, उस को लोग शाप देते हैं, परन्तु जो उसे बेच देता है, उस को आशीर्वाद दिया जाता है। नीतिवचन 11:26
  • फिर यहां भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले। 1 कुरिन्थियों 4:2
  • हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे,

और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले? मीका 6:8 प्रभु यीशू ने कहा-

  • जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उस की ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उस को कुरता लेने से भी न रोक। लूका 6:29
  • जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उस से न मांग। लूका 6:30
  • परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। मत्ती 6:20
  • क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा। मत्ती 6:21
  • मैं ने तुम्हें सब कुछ करके दिखाया, कि इस रीति से परिश्रम करते हुए निर्बलों को सम्भालना,
  • और प्रभु यीशु की बातें स्मरण रखना अवश्य है, कि उस ने आप ही कहा है; कि लेने से देना धन्य है॥ प्रेरितों के काम 20:35

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

9

तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर

9. तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना॥ निर्गमन 20:16

  • व्यर्थ अपने पड़ोसी के विरूद्ध साक्षी न देना, और न उस को फुसलाना। नीतिवचन 24:28
  • झूठी बात न फैलाना। अन्यायी साक्षी हो कर दुष्ट का साथ न देना। निर्गमन 23:1
  • लूतरा बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्तियां न बान्धना; मैं यहोवा हूं। लैव्यवस्था 19:16
  • हम को सब प्रकार के अनमोल पदार्थ मिलेंगे, हम अपने घरों को लूट से भर लेंगे; नीतिवचन 1:13

हे भाइयों, एक दूसरे पर दोष न लगाओ ताकि तुम दोषी न ठहरो, देखो, हाकिम द्वार पर खड़ा है। याकूब 5:9

  • इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। इफिसियों 4:25
  • कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो। इफिसियों 4:29
  • तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठा कर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो। 1 पतरस 2:21
  • न तो उस ने पाप किया, और न उसके मुंह से छल की कोई बात निकली। 1 पतरस 2:22
  • वह गाली सुन कर गाली नहीं देता था, और दुख उठा कर किसी को भी धमकी नहीं देता था, पर अपने आप को सच्चे न्यायी के हाथ में सौपता था। 1 पतरस 2:23
  • हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे हाठों के द्वार पर रखवाली कर! भजन संहिता 141:3

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

10

तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर

10. तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना,और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना॥ निर्गमन 20:17

  • यीशु ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो:
  • क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता। लूका 12:15
  • पर सन्तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है। 1 तीमुथियुस 6:6
  • क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। 1 तीमुथियुस 6:7
  • और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए। 1 तीमुथियुस 6:8
  • पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं,
  • जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं। 1 तीमुथियुस 6:9

क्योंकि रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है,

  • जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है॥ 1 तीमुथियुस 6:10
  • तुम्हारा स्वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो;
  • क्योंकि उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इब्रानियों 13:5
  • और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्देह करो। लूका 12:29
  • क्योंकि संसार की जातियां इन सब वस्तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्तुओं की आवश्यकता है। लूका 12:30
  • परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी। लूका 12:31
  • मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। फिलिप्पियों 4:19

आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है। रोमियो 13:8

  • क्योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना; चोरी न करना; लालच न करना;
  • और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है,
  • कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। रोमियो 13:9
  • प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है॥ रोमियो 13:10
  • यीशु ने कहा:- यह न समझो, कि मैं व्यवस्था था भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों को लोप करने आया हूं। मत्ती 5:17
  • लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूं, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं,
  • तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। मत्ती 5:18
  • इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े,
  • और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा;
  • परन्तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा। मत्ती 5:19
  • उस ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। मत्ती 22:37

बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। मत्ती 22:38

  • और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। मत्ती 22:39
  • ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है॥ मत्ती 22:40
  • 10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

पौलुस की गवाही

  • क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता,
  • परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं। रोमियो 7:19
  • यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा,
  • परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है। रोमियो 7:20
  • सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है। रोमियो 7:21
  • क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं। रोमियो 7:22
  • परन्तु मुझे अपने अंगो में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है,

और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है। रोमियो 7:23

  • मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा? रोमियो 7:24
  • क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता,
  • परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं। रोमियो 7:19
  • यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा,
  • पाप जो मुझ में बसा हुआ है। रोमियो 7:20
  • सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है। रोमियो 7:21
  • क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं। रोमियो 7:22
  • परन्तु मुझे अपने अंगो में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है,
  • और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।रोमियो 7:23

मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा? रोमियो 7:24

  • मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का,
  • परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूं॥ रोमियो 7:25
  • क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी, उस को परमेश्वर ने किया,
  • अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में,
  • और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी। रोमियो 8:3
  • इसलिये कि व्यवस्था की विधि हम में जो शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए। रोमियो 8:4
  • परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। रोमियो 8:37

10 आज्ञाएँ: प्रेम और आज्ञाकारिता 

यीशु ने कहा-सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है। यूहन्ना 15:1

  1.  जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले। यूहन्ना 15:2
  2.  तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो। यूहन्ना 15:3
  3.  तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे,
  4. तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। यूहन्ना 15:4
  5.  मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है,
  6. क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। यूहन्ना 15:5
  7.  यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है;
  8. और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं। यूहन्ना 15:6
  9.  यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। यूहन्ना 15:7
  10.  मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे। यूहन्ना 15:8

 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। यूहन्ना 15:9

  1.  यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे:
  2. जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। यूहन्ना 15:10
  3. मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए। यूहन्ना 15:11

मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यूहन्ना 15:12

  1.  इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। यूहन्ना 15:13
  2. जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। यूहन्ना 15:14
  3.  अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है:
  4. परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। यूहन्ना 15:15
  5.  तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ;
  6. और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे। यूहन्ना 15:16
  7.  इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो। यूहन्ना 15:17

 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे। यूहन्ना 14:15

  1. और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। यूहन्ना 14:16
  2.  अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है:
  3. तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा। यूहन्ना 14:17
  4.  मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं। यूहन्ना 14:18
  5.  जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है,
  6. उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा। यूहन्ना 14:21
  7.  जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिस ने मुझे भेजा॥ यूहन्ना 14:24
  8.  परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा,
  9. और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। यूहन्ना 14:26

 यदि हम उस की आज्ञाओं को मानेंगे, तो इस से हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं। 1 यूहन्ना 2:3

  1.  जो कोई यह कहता है, कि मैं उसे जान गया हूं, और उस की आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है; और उस में सत्य नहीं। 1 यूहन्ना 2:4
  2.  पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं। 1 यूहन्ना 2:5
  3.  हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर वही पुरानी आज्ञा जो आरम्भ से तुम्हें मिली है;
  4. यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम ने सुना है। 1 यूहन्ना 2:7
  5.  फिर मैं तुम्हें नई आज्ञा लिखता हूं; और यह तो उस में और तुम में सच्ची ठहरती है;
  6. क्योंकि अन्धकार मिटता जाता है और सत्य की ज्योति अभी चमकने लगी है। 1 यूहन्ना 2:8
  7.  जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं; और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्धकार ही में है। 1 यूहन्ना 2:9
  8.  जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। 1 यूहन्ना 2:10

 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्धकार में है, और अन्धकार में चलता है;

  1. और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्योंकि अन्धकार ने उस की आंखे अन्धी कर दी हैं॥ 1 यूहन्ना 2:11
  2.  तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है।1 यूहन्ना 2:15
  3.  क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात शरीर की अभिलाषा,
  4. और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। 1 यूहन्ना 2:16
  5.  जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज उस में बना रहता है:
  6. और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्योंकि परमेश्वर से जन्मा है। 1 यूहन्ना 3:9
  7.  हम जानते हैं, कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं; क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं:

जो प्रेम नहीं रखता, वह मृत्यु की दशा में रहता है। 1 यूहन्ना 3:14

  1.  हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उस ने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए। 1 यूहन्ना 3:16
  2.  हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें। 1 यूहन्ना 3:18
  3.  इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा,
  4. उसके विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे। 1 यूहन्ना 3:19
  5.  क्योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है। 1 यूहन्ना 3:20
  6. और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं;
  7. और जो उसे भाता है वही करते हैं। 1 यूहन्ना 3:22

  उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें।

  1. और जैसा उस ने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें। 1 यूहन्ना 3:23
  2.  और जो उस की आज्ञाओं को मानता है, वह उस में, और वह उन में बना रहता है: और इसी से,
  3. अर्थात उस आत्मा से जो उस ने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि वह हम में बना रहता है॥ 1 यूहन्ना 3:24
  4.  हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। 1 यूहन्ना 4:7

 जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। 1 यूहन्ना 4:8

  1.  जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। 1 यूहन्ना 4:9
  2.  प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। 1 यूहन्ना 4:10
  3.  हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। 1 यूहन्ना 4:11
  4.  परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है। 1 यूहन्ना 4:12
  5. इसी से हम जानते हैं, कि हम उस में बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उस ने अपने आत्मा में से हमें दिया है। 1 यूहन्ना 4:13
  6.  और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उस को हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है:
  7. जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है। 1 यूहन्ना 4:16
  8.  इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं। 1 यूहन्ना 4:17

 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। 1 यूहन्ना 4:18

  1. हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उस ने हम से प्रेम किया। 1 यूहन्ना 4:19
  2.  यदि कोई कहे, कि मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूं; और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है:
  3. क्योंकि जो अपने भाई से, जिस उस ने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उस ने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता। 1 यूहन्ना 4:20
  4.  और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे॥ 1 यूहन्ना 4:21
  5.  जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है और जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है,
  6. वह उस से भी प्रेम रखता है, जो उस से उत्पन्न हुआ है। 1 यूहन्ना 5:1
  7.  जब हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, और उस की आज्ञाओं को मानते हैं,
  8. तो इसी से हम जानते हैं, कि परमेश्वर की सन्तानों से प्रेम रखते हैं। 1 यूहन्ना 5:2

 और परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं।1 यूहन्ना 5:3

  1.   जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है।1 यूहन्ना 5:4
  2.  क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
    यूहन्ना 3:16
  3.  क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है॥ रोमियो 6:23
  4.  प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; और  प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं। 1 कुरिन्थियों 13:4
  5.  वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। 1 कुरिन्थियों 13:5
  6.  कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है। 1 कुरिन्थियों 13:6
  7.  वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। 1 कुरिन्थियों 13:7
  8.  प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। 1 कुरिन्थियों 13:8
  9. अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपटे रहना, और उसी के नाम की शपथ खाना।
  10. व्यवस्थाविवरण 10:20- शमूएल ने कहा, क्या यहोवा होमबलियों, और मेलबलियों से उतना प्रसन्न होता है,
  11. जितना कि अपनी बात के माने जाने से प्रसन्न होता है?

सुन मानना तो बलि चढ़ाने और कान लगाना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है।

1 शमूएल 15:22-अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपटे रहना, और उसी के नाम की शपथ खाना।
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1.) 10 आज्ञाएं || Das Aagya || Ten Commandments in Hindi || Bible me 10 Aagya || 10 Aagya Hindi Me

Harshit Brave

Health Care Advisor, Guide, Teacher, and Trainer. Life Counselling Coach. About Us. Optimal Health is something you all can refer to as perfect health an individual can have. Being healthy only physically is not enough, to attain that perfect health you need to be healthy in all the aspects of life, hence; Optimal Health – Happiness, Health, Wealth, Wisdom, and Spirituality.