मिर्गी की बीमारी के कारण-लक्षण-इलाज़ और परहेज: 7 कारण (Epilepsy Causes-Symptoms-Treatment and Diet) (Updated 2023)
मिर्गी की बीमारी के कारण-लक्षण-इलाज़ और परहेज Epilepsy Causes-Symptoms-Treatment and Diet. मिर्गी (या अपस्मार) एक न्यूरोलॉजिकल रोग है जिसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य रूप से बदलती है। इस रोग में मलेरिया जैसे तरंगों के तारांकन के आवेदक तंत्र के साथ असामान्य मस्तिष्क की गतिविधि दिखाई देती है। इसलिए, मिर्गी को न्यूरोलॉजिकल रोग के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
कारण:
मिर्गी के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- 1. ऊंचाई की बीमारी (एपिलेप्सी)
- 2. जन्मजात रूप से प्राप्त अव्यवस्थित मस्तिष्क संरचना
- 3. मस्तिष्क के किसी भाग की चोट
- 4. मस्तिष्क का संक्रमण
- 5. ब्रेन ट्यूमर
- 6. जीर्णानुरागी रोग जैसे मधुमेह
- 7. मानसिक तनाव और चिंताएं
लक्षण:
मिर्गी के लक्षण व्यक्ति के मस्तिष्क की संयमित गतिविधि के अनुकूल होते हैं। कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
- 1. आवृत्ति: अचानक मस्तिष्क की अनुक्रमिक गतिविधि के कारण अचानक या एकाधिक बार निराधार गतिविधि का अनुभव होता है।
- 2. अचेतनता: व्यक्ति में मिर्गी आक्रमण के समय अचेतनता हो सकती है, जिसके कारण वह अपने आसपास की घटनाओं और अपनी अवस्था को समझने में असमर्थ हो सकता है।
- 3. अवसाद या उदासी: मिर्गी के पश्चात व्यक्ति में अवसाद, उदासी, चिंता या थकान जैसे भावनात्मक लक्षण दिख सकते हैं।
- 4. नमी, रंज और थकान: आक्रमण के दौरान व्यक्ति में नमी, रंज और थकान की अनुभूति हो सकती है।
- 5. अतिरिक्त लक्षण: कुछ लोगों में मिर्गी आक्रमण के दौरान उच्च शब्दों की सुनने की समस्या, देखने की क्षमता में कमी, मतली, उलटी, मस्तिष्क दर्द, शरीर के किसी भाग में संवेदनशीलता, मूड स्विंग्स, आंखों का फड़कना आदि लक्षण भी हो सकते हैं।
इलाज:
मिर्गी के इलाज के लिए एक न्यूरोलॉजिस्ट के साथ परामर्श करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुछ प्रमुख इलाज विकल्प निम्नलिखित हैं:
- 1. दवाओं का उपयोग: दवाओं की सहायता से मिर्गी के आक्रमण को नियंत्रित किया जा सकते हैं।
- 2. कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की आपूर्ति: कुछ मामलों में, आहार में सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की आपूर्ति सुनिश्चित करने से मिर्गी के आक्रमण को कम किया जा सकता है।
- 3. संयम और स्ट्रेस प्रबंधन: संयम और स्ट्रेस प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करना, जैसे कि ध्यान, योग, निद्रा आदि, मिर्गी के आक्रमण को कम करने में मदद कर सकता है।
- 4. ऑपरेशन: कुछ मामलों में, यदि इलाज द्वारा नियंत्रण में आने में सफलता नहीं मिलती है, तो चिकित्सा विशेषज्ञ समर्थक ऑपरेशन की सलाह दे सकते हैं। इसमें चिकित्सक मस्तिष्क की सटीक संरचना को संशोधित कर सकते हैं या अस्तित्व में बदलाव कर सकते हैं।
परहेज:
यदि आपको मिर्गी की बीमारी है, तो कुछ परहेज का पालन करना आवश्यक हो सकता है ताकि आपके आक्रमणों को कम किया जा सके। निम्नलिखित परहेज सम्मिलित किए जा सकते हैं:
- 1. नियमित और पर्याप्त नींद का पालन करें।
- 2. स्ट्रेस को कम करने के लिए संयमित ध्यान, योग और अवक3. नियमित रूप से दवाओं का सेवन करें, जैसे कि नेरोंटिन, कार्बमाजेपिन, फेनोबार्बिटल आदि, जो आपके चिकित्सक द्वारा परामर्शित की गई हों।
- 4. नियमित रूप से चिकित्सक की सलाह लें और उनके निर्देशों का पालन करें।
- 5. नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
- 6. अपने आहार में स्वस्थ और संतुलित भोजन शामिल करें, जिसमें पोषक तत्वों की सही मात्रा हो।
- 7. बाधाओं से बचें, जैसे कि खुद को जोरदार रोशनी, ऊंचाई, गर्मी, तनाव आदि से दूर रखें।
- 8. एक रोजमर्रा की जीवनशैली अपनाएं, जिसमें नियमित खाने-पीने का समय हो, समय पर सोने जाने का अभ्यास हो और संतुलित कार्य-विश्राम का पालन हो।
यदि आप मिर्गी के संबंधित सवालों या चिंताओं के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो मैं आपकी सहायता के लिए यहां हूँ।
मिर्गी (एपिलेप्सी) की बीमारी के बारे में आम प्रश्नों के जवाब (FAQ):
मिर्गी (एपिलेप्सी) की बीमारी के बारे में आम प्रश्नों के जवाब:
1. मिर्गी क्या है?
मिर्गी या एपिलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल रोग है जिसमें मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्य और असंयमित विद्युत्प्रवाह की गति होती है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को आक्रमण के दौरान असामान्य इलाज की तापमान, भूखंडन, शरीर की संकुचन, अचेतनता और विभिन्न भावनात्मक लक्षण हो सकते हैं।
2. मिर्गी होने के कारण क्या हो सकते हैं?
मिर्गी के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- – वांछित बालक जन्म: गर्भधारण के दौरान मस्तिष्क के विकास में असामान्यता के कारण मिर्गी हो सकती है।
- – जन्मांतरीय रोग: कुछ जन्मांतरीय रोगों के कारण भी मिर्गी हो सकती है।
- – मस्तिष्क के संक्रमण: मस्तिष्क के संक्रमण भी मिर्गी का कारण बन सकते हैं।
- – शरीर के तंत्रिका प्रणाली के अवरोध का कारण: अन्य रोगों या चोट के कारण शरीर की तंत्रिका प्रणाली में अवरोध होने से भी मिर्गी हो सकते है। यह अवरोध नसों की ब्लॉकेज, गंधक की कमी, शरीर के एल्कोहलिक पदार्थों का उपभोग, इंफेक्शन, ट्यूमर, आंत्र में उच्च रक्तचाप आदि के कारण हो सकता है।
- – घरेलू दुर्घटनाएं: सिरदर्द या मस्तिष्क की चोट के परिणामस्वरूप भी मिर्गी के आक्रमण हो सकते हैं।
- – उच्च ज्वर: अधिक मात्रा में ज्वर होने पर भी मिर्गी का आक्रमण हो सकता है।
3. मिर्गी के लक्षण क्या हैं?
मिर्गी के आक्रमण के दौरान निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- – अचेतनता या विलुंबितता
- – अवसाद या उत्तेजना
- – दौड़ती हुई गति में विशेषता
- – नकारात्मक भावनाएं या चिढ़ाने वाला व्यवहार
- – मस्तिष्क की इच्छाएं या दौड़ रही विचारधारा
- – मुंह से फोयर या फ्रोथ निकलना
- – शरीर की एकाग्रता में कमी
4. मिर्गी के इलाज में क्या शामिल होता है?
मिर्गी के इलाज में निम्नलिखित तरीके शामिल होते हैं:
- – दवाइयों का सेवन: चिकित्सक आपके लिए सही दवाइयाँ निर्धारित करेंगे जो आपके मिर्गी के इलाज में शामिल हो सकती हैं। यह दवाइयाँ निरोंटिन, लामोट्रिजीन, कार्बमाजेपिन, फेनोबार्बिटल, टोपिरामेट, लेवेटिरासेटाम और गबापेंटिन जैसी हो सकती हैं। इन दवाओं को नियमित रूप से उपयोग करना मिर्गी के आक्रमणों को कम करने में मदद कर सकता है।
5. क्या परहेज और सावधानियाँ हैं?
मिर्गी के आक्रमणों को कम करने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ अपनानी चाहिए:
- – नियमित चिकित्सकीय देखभाल और निर्देशों का पालन करें।
- – नियमित और पूरी नींद लें।
- – स्ट्रेस को कम करने के तरीकों का उपयोग करें, जैसे मेडिटेशन, योग या शारीरिक व्यायाम।
- – नियमित खाने का समय बनाएं और सुगंधित आहार लें, जिसमें पोषक तत्वों की सही मात्रा हो।
- – दूरी बनाएं रखें से बाधाओं जैसे थोड़ी और तेज रोशनी, उच्च ध्वनि, गर्मी, तनाव आदि से।
- – अपने दवाओं का समय पर सेवन करें और कभी भी अपने आप से बंद न करें।
यदि आपके पास मिर्गी के संबन्देशित किये गए अनुशासन और सुरक्षा के बारे में कोई प्रश्न हों तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें। वे आपको संबंधित जानकारी और व्यक्तिगत सलाह प्रदान करेंगे। यह अहम है कि आप अपने इलाज के लिए निर्धारित दवाओं का सटीक रूप से पालन करें और अपने चिकित्सक के साथ नियमित रूप से संपर्क बनाए रखें।
आपके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अपने विशेषज्ञ चिकित्सक के पास जाना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे आपके मामले की विशेषताओं को मध्यनजर रखेंगे और आपको सटीक और व्यक्तिगत सलाह प्रदान करेंगे।
1. मिर्गी क्या है?
मिर्गी या एपिलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल रोग है जिसमें मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्य और असंयमित विद्युत्प्रवाह की गति होती है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को आक्रमण के दौरान असामान्य इलाज की तापमान, भूखंडन, शरीर की संकुचन, अचेतनता और विभिन्न भावनात्मक लक्षण हो सकते हैं।
2. मिर्गी होने के कारण क्या हो सकते हैं?
मिर्गी के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
1. – वांछित बालक जन्म: गर्भधारण के दौरान मस्तिष्क के विकास में असामान्यता के कारण मिर्गी हो सकती है।
2. – जन्मांतरीय रोग: कुछ जन्मांतरीय रोगों के कारण भी मिर्गी हो सकती है।
3. – मस्तिष्क के संक्रमण: मस्तिष्क के संक्रमण भी मिर्गी का कारण बन सकते हैं।
4. – शरीर के तंत्रिका प्रणाली के अवरोध का कारण: अन्य रोगों या चोट के कारण शरीर की तंत्रिका प्रणाली में अवरोध होने से भी मिर्गी हो सकते है। यह अवरोध नसों की ब्लॉकेज, गंधक की कमी, शरीर के एल्कोहलिक पदार्थों का उपभोग, इंफेक्शन, ट्यूमर, आंत्र में उच्च रक्तचाप आदि के कारण हो सकता है।
5. – घरेलू दुर्घटनाएं: सिरदर्द या मस्तिष्क की चोट के परिणामस्वरूप भी मिर्गी के आक्रमण हो सकते हैं।
6. – उच्च ज्वर: अधिक मात्रा में ज्वर होने पर भी मिर्गी का आक्रमण हो सकता है।
3. मिर्गी के लक्षण क्या हैं?
मिर्गी के आक्रमण के दौरान निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
1. – अचेतनता या विलुंबितता
2. – अवसाद या उत्तेजना
3. – दौड़ती हुई गति में विशेषता
4. – नकारात्मक भावनाएं या चिढ़ाने वाला व्यवहार
5. – मस्तिष्क की इच्छाएं या दौड़ रही विचारधारा
6. – मुंह से फोयर या फ्रोथ निकलना
7. – शरीर की एकाग्रता में कमी
4. मिर्गी के इलाज में क्या शामिल होता है?
मिर्गी के इलाज में निम्नलिखित तरीके शामिल होते हैं:
– दवाइयों का सेवन: चिकित्सक आपके लिए सही दवाइयाँ निर्धारित करेंगे जो आपके मिर्गी के इलाज में शामिल हो सकती हैं। यह दवाइयाँ निरोंटिन, लामोट्रिजीन, कार्बमाजेपिन, फेनोबार्बिटल, टोपिरामेट, लेवेटिरासेटाम और गबापेंटिन जैसी हो सकती हैं। इन दवाओं को नियमित रूप से उपयोग करना मिर्गी के आक्रमणों को कम करने में मदद कर सकता है।
5. क्या परहेज और सावधानियाँ हैं?
1. – नियमित चिकित्सकीय देखभाल और निर्देशों का पालन करें।
2. – नियमित और पूरी नींद लें।
3. – स्ट्रेस को कम करने के तरीकों का उपयोग करें, जैसे मेडिटेशन, योग या शारीरिक व्यायाम।
4. – नियमित खाने का समय बनाएं और सुगंधित आहार लें, जिसमें पोषक तत्वों की सही मात्रा हो।
5. – दूरी बनाएं रखें से बाधाओं जैसे थोड़ी और तेज रोशनी, उच्च ध्वनि, गर्मी, तनाव आदि से।
6. – अपने दवाओं का समय पर सेवन करें और कभी भी अपने आप से बंद न करें।
https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/ConditionsAndTreatments/epilepsy