Kavita: Laaparwaah Hoon, Khud Ke Liye, Magar sab ki Parvaah Karta Hoon. कविता: लापरवाह हूँ ख़ुद के लिए, मगर सबकी परवाह करता हूँ।

 Kavita: Laaparwaah Hoon, Khud Ke Liye, Magar sab ki Parvaah Karta Hoon. कविता: लापरवाह हूँ ख़ुद के लिए, मगर सबकी परवाह करता हूँ।

मुंसी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है-_

ख्वाहिश नहीं मुझे_ मशहूर होने की,”

आप मुझे पहचानते हो_बस इतना ही काफी है।

अच्छे ने अच्छा और_बुरे ने बुरा जाना मुझे,

जिसकी जितनी जरूरत थी_उसने उतना ही पहचाना मुझे!

जिन्दगी का फलसफा भी_कितना अजीब है,

शामें कटती नहीं और_साल गुजरते चले जा रहे हैं!

एक अजीब सी_’दौड़’ है ये जिन्दगी,

जीत जाओ तो कई_अपने पीछे छूट जाते हैं और

हार जाओ तो_अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं!

बैठ जाता हूँ_मिट्टी पे अक्सर,

मुझे अपनी_औकात अच्छी लगती है।

मैंने समंदर से_सीखा है जीने का सलीका,

चुपचाप से बहना और_अपनी मौज में रहना।

ऐसा नहीं कि मुझमें_कोई ऐब नहीं है,

पर सच कहता हूँ_मुझमें कोई फरेब नहीं है।

जल जाते हैं मेरे अंदाज से_मेरे दुश्मन,

एक मुद्दत से मैंने_न तो मोहब्बत बदली, और न ही दोस्त बदले हैं।

एक घड़ी खरीदकर_हाथ में क्या बाँध ली,

वक्त पीछे ही_पड़ गया मेरे!

सोचा था घर बनाकर_बैठूँगा सुकून से,

पर घर की जरूरतों ने_मुसाफिर बना डाला मुझे!

सुकून की बात मत कर_ऐ गालिब, बचपन वाला इतवार_अब नहीं आता!

जीवन की भागदौड़ में_क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?

हँसती-खेलती जिन्दगी भी_आम हो जाती है!

एक सबेरा था_जब हँसकर उठते थे हम,

और आज कई बार बिना मुस्कुराए_ही शाम हो जाती है!

कितने दूर निकल गए_रिश्तों को निभाते-निभाते,

खुद को खो दिया हमने_अपनों को पाते-पाते।

लोग कहते हैं_हम मुस्कुराते बहुत हैं,

और हम थक गए_दर्द छुपाते-छुपाते!

खुश हूँ और सबको_खुश रखता हूँ,

लापरवाह हूँ ख़ुद के लिए_मगर सबकी परवाह करता हूँ।

मालूम है_कोई मोल नहीं है मेरा फिर भी

कुछ अनमोल लोगों से_रिश्ते रखता हूँ।

STAY POSITIVE STRONG AND BE HAPPY–ALL IS WELL

I AM DOING WHAT MAKES ME HAPPY

करता हूँ मैं तेरी चिन्ता, तू क्यों चिन्ता करता हैं (मसीही गीत) Karta Hoon Main Teri Chinta, Tu Kyon Chinta Karta Hai (Christian Song Lyrics)