यीशु कौन है ? प्रभु यीशु मसीह के बारे में जानिये। (Yeeshu Koun Hai? Prabhu Yeshu Masih Ke Baare Mein Janiye)
यीशु कौन है ? प्रभु यीशु मसीह के बारे में जानिये। (Yeeshu Koun Hai? Prabhu Yeshu Masih Ke Baare Mein Janiye)
“और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया” (यूहन्ना 1:14)
प्रकाशित वाक्य 19:13 और वह लोहू से छिड़का हुआ वस्त्र पहिने है: और उसका नाम परमेश्वर का वचन है।
“मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता” (यूहन्ना 14:6)
2.यीशु कौन है? प्रभु यीशु मसीह के बारे में जानिये। यीशु मसीह मार्ग हैं
- केवल यीशु आपको परमेश्वर तक ला सकते हैं!
3. यीशु कौन है? यीशु मसीह सत्य हैं
यहून्ना 8:32: और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।
- तुम्हारे विषय में मुझे बहुत कुछ कहना और निर्णय करना है परन्तु मेरा भेजनेवाला सच्चा है; और जो मैं ने उस से सुना हे, वही जगत से कहता हूं।वे न समझे कि हम से पिता के विषय में कहता है।
4. परमेश्वर तक पहुंचने के लिये मसीह एक मार्ग हैं‚
- यूहन्ना १४:६ तिमोथी २:५
यीशु कौन है? प्रभु यीशु मसीह के बारे में जानिये।
- “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता” (यूहन्ना 14:6)।
5. यीशु मसीह जगत की ज्योति हैं
- 8:12: तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।
6. यीशु मसीह न्यायी है
- यहून्ना 8:14यीशु ने उन को उत्तर दिया;
और यदि मैं न्याय करूं भी, तो मेरा न्याय सच्चा है; क्योंकि मैं अकेला नहीं, परन्तु मैं हूं, और पिता है जिस ने मुझे भेजा।
7. यीशु मसीह गवाह है
- यहून्ना 8:13 फरीसियों ने उस से कहा; तू अपनी गवाही आप देता है; तेरी गवाही ठीक नहीं। और तुम्हारी व्यवस्था में भी लिखा है;
8. यीशु ने कहा-“अच्छा चरवाहा मैं हूँ! अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपनी जान दे देता है।
14-15 “अच्छा चरवाहा मैं हूँ। अपनी भेड़ों को मैं जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे वैसे ही जानती हैं जैसे परम पिता मुझे जानता है और मैं परम पिता को जानता हूँ। अपनी भेड़ों के लिए मैं अपना जीवन देता हूँ।
9. यीशु ने उनसे फिर कहा, “मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ, भेड़ों के लिये द्वार मैं हूँ।
- चोर और लुटेरे हैं। किन्तु भेड़ों ने उनकी नहीं सुनी।
दाऊद के अनुसार- यीशु कौन है? ‘सच्चा गड़रिया’
दाऊद का भजन-भजन संहिता 23
- यहोवा मेरा गडेरिया है। जो कुछ भी मुझको अपेक्षित होगा, सदा मेरे पास रहेगा।
यहून्ना के अनुसार यीशु कौन है? प्रभु यीशु मसीह के बारे में जानिये।
- यूहन्ना 6:10-14; क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया?
10. यीशु ने उनसे कहा, “जीवन की रोटी मैं हूँ
यहूदी उस पर कुड़कुड़ाने लगे, क्योंकि उसने कहा था, “जो रोटी स्वर्ग से उतरी, वह मैं हूँ।” और उन्होंने कहा, “क्या यह यूसुफ का पुत्र यीशु नहीं, जिसके माता-पिता को हम जानते हैं? तो वह कैसे कहता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूँ?” यीशु ने उनको उत्तर दिया, “आपस में मत कुड़कुड़ाओ। कोई मेरे पास नहीं आ सकता जब तक पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊँगा
11. यीशु कौन है? यीशु पुनरुत्थान और जीवन हैं
यहून्ना 11:17 वहाँ पहुँचने पर यीशु को यह मालूम हुआ कि लाज़र को कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था। बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई की मृत्यु पर शान्ति देने के लिये आए थे। मार्था ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता। और अब भी मैं जानती हूँ कि जो कुछ तू परमेश्वर से माँगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।”
यीशु ने उससे कहा, “तेरा भाई फिर जी उठेगा।” मार्था ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।” यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा,
12. यीशु का शिष्यों को समझाना, शांति , तसल्ली
तुम्हारा मन व्याकुल ना हो, विश्वाश करो, मैं तुम्हें कभी भी अकेला नहीं छोडूंगा।
13.पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा
“यदि तुम मुझे प्रेम करते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे। मैं परम पिता से विनती करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक देगा ताकि वह सदा तुम्हारे साथ रह सके। यीशु मसीह ने हमें अनाथ नहीं छोड़ा यहून्ना 14.“मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा। मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। उस दिन तुम जानोगे कि मैं परम पिता में हूँ, तुम मुझ में हो और मैं तुझमें। वह जो मेरे आदेशों को स्वीकार करता है और उनका पालन करता है, मुझसे प्रेम करता है।
जो मुझमें प्रेम रखता है उसे मेरा परम पिता प्रेम करेगा। मैं भी उसे प्रेम करूँगा और अपने आप को उस पर प्रकट करूँगा।” “ये बातें मैंने तुमसे तभी कही थीं जब मैं तुम्हारे साथ था। तुमने मुझे कहते सुना है कि मैं जा रहा हूँ और तुम्हारे पास फिर आऊँगा। यहून्ना:16 : 33
15. पुनर्गमान के विषय यीशु शीघ्र आने वाले हैं
- यहून्ना 14:26 “जब वह सहायक (जो सत्य की आत्मा है और परम पिता की ओर से आता है) तुम्हारे पास आयेगा जिसे मैं परम पिता की ओर से भेजूँगा, वह मेरी ओर से साक्षी देगा। 27 और तुम भी साक्षी दोगे क्योंकि तुम आदि से ही मेरे साथ रहे हो।
यीशु कौन है? प्रभु यीशु मसीह के बारे में जानिये।
16. यहून्ना 15:1 यीशु ने कहा, “सच्ची दाखलता मैं हूँ।
- मेरा परम पिता देख-रेख करने वाला माली है। तुम लोग तो जो उपदेश मैंने तुम्हें दिया है, उसके कारण पहले ही शुद्ध हो। इससे मेरे परम पिता की महिमा होती है कि तुम बहुत सफल हो वो और मेरे अनुयायी रहो।
17. यीशु कौन है? यीशु हमारा मित्र, और बुलाने वाला है
- “जैसे परम पिता ने मुझे प्रेम किया है, मैंने भी तुम्हें वैसे ही प्रेम किया है। मेरे प्रेम में बने रहो। मैंने ये बातें तुमसे इसलिये कहीं हैं कि मेरा आनन्द तुम में रहे और तुम्हारा आनन्द परिपूर्ण हो जाये। यह मेरा आदेश है, कि तुम आपस में प्रेम करो, वैसे ही जैसे मैंने तुम से प्रेम किया है। बड़े से बड़ा प्रेम जिसे कोई व्यक्ति कर सकता है, वह है अपने मित्रों के लिए प्राण न्योछावर कर देना। जो आदेश तुम्हें मैं देता हूँ, यदि तुम उन पर चलते रहो तो तुम मेरे मित्र हो।
यीशु कौन है? प्रभु यीशु मसीह के बारे में जानिये।
18. यीशु हमारा स्वामी है -मैंने तुम्हें चुन लिया, तुम मेरे हो।
- यहून्ना 15:18-23 “यदि संसार तुमसे बैर करता है तो याद रखो वह तुमसे पहले मुझसे बैर करता है। यदि तुम जगत के होते तो जगत तुम्हें अपनों की तरह प्यार करता पर तुम जगत के नहीं हो मैंने तुम्हें जगत में से चुन लिया है और इसीलिए जगत तुमसे बैर करता है। “मेरा वचन याद रखो एक दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं है।
19. यीशु कौन है? पतरस ने उत्तर दिया, “कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।”
- अपने अनुयायीयों से, यीशु ने सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा, “और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?” तब शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।”यह सुनकर यीशु मसीह हैरान नहीं हुआ, न ही उसने पतरस को डाँटा। उसके विपरीत, यीशु ने उस की सराहना की!
20. यीशु मसीह ने कहा, “मैं और मेरे पिता एक हैं।”
- यीशु मसीह अक्सर “मेरे पिता” कहकर परमेश्वर को संबोधित करते थे, और उनके सुननेवालों पर उनके शब्दों का पूरा प्रभाव पड़ता था। हमें बताया गया है, “इस कारण यहूदी और भी अधिक उस को मार डालने का प्रयत्न करने लगे;
- एक दूसरे अवसर पर उन्होंने कहा, “मैं और मेरे पिता एक हैं।” उसी समय यहूदियों ने उसे पत्थर मारना चाहा। यीशु मसीह ने उनसे पूछा कि उसके किस अच्छे कामों के लिए वे उसे (यीशु को) पत्थर मारने के लिए प्रेरित हुए?” उन लोगों ने उत्तर दिया, “भले काम के लिये हम तुझे पत्थरवाह नहीं करते, परन्तु परमेश्वर की निन्दा के कारण, और इसलिये कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है।”
21. यीशु मसीह चंगा करने वाला वैध और पाप क्षमा करने वाला प्रभु है
- यीशु ने स्पष्ट रूप से उन शक्तियों का दावा किया, जो केवल परमेश्वर के पास हैं। जब एक लकवा मारा हुआ व्यक्ति छत से उतारा गया, ताकि वह यीशु के द्वारा चंगा हो सके, यीशु ने कहा, “पुत्र, तुम्हारे पापों से तुम्हे क्षमा कर दिया गया है।” यह सुनकर धर्मशास्त्रियों ने तुरंत प्रतिक्रया व्यक्त की कि, “यह व्यक्ति इस तरह की बातें क्यों कर रहा है? वह परमेश्वर का अपमान कर रहा है! परमेश्वर के सिवा, कौन पापों को क्षमा कर सकता है?” तब यीशु ने उनसे कहा, “कौन सा आसान है: इस लकवे से पीड़ित आदमी को कहना कि ‘तुम्हारे पाप क्षमा हो गए हैं,’ या ‘उठो और चलो’?”
यीशु ने आगे बोला, “परन्तु जिस से तुम जान लो कि मुझ को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है, उसने उस लकवे के रोगी से कहा, “मैं तुझ से कहता हूँ, उठ, अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।” वह उठा और तुरन्त खाट उठाकर सब के सामने से निकलकर चला गया; इस पर सब चकित हुए।
22. परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा करता है
- यहून्ना 1: 5 हमने यीशु मसीह से जो सुसमाचार सुना है, वह यह है और इसे ही हम तुम्हें सुना रहे हैं: परमेश्वर प्रकाश है और उसमें लेशमात्र भी अंधकार नहीं है। यदि हम कहें कि हम उसके साझी हैं और पाप के अन्धकारपूर्ण जीवन को जीते रहे तो हम झूठ बोल रहे हैं और सत्य का अनुसरण नहीं कर रहे हैं।
23. यीशु का फिर से जी उठना
(मरकुस 16:1-8; लूका 24:1-12; यूहन्ना 20:1-10)
- मत्ती 28:1- सब्त के बाद जब रविवार की सुबह पौ फट रही थी, मरियम मगदलीनी और दूसरी स्त्री मरियम कब्र की जाँच करने आईं।तब स्वर्गदूत ने उन स्त्रियों से कहा, “डरो मत, मैं जानता हूँ कि तुम यीशु को खोज रही हो जिसे क्रूस पर चढ़ा दिया गया था।
24. यीशु मसीह की सहभागिता और पवित्र आत्मा के कार्य-यहून्ना 16:
- क्योंकि मैंने तुम्हें ये बातें बता दी हैं, तुम्हारे हृदय शोक से भर गये हैं। “और जब वह आयेगा तो पाप, धार्मिकता और न्याय के विषय में जगत के संदेह दूर करेगा।
25. यीशु मसीह हमारे शोक को आनन्द में बदल देते हैं
- यहून्ना 16:16 “कुछ ही समय बाद तुम मुझे और अधिक नहीं देख पाओगे। और थोड़े समय बाद तुम मुझे फिर देखोगे।”
26. यीशु मसीह ने संसार के झूठे हाकिम शैतान और मौत को हरा कर मृत्यु पर जय पाई
जगत पर विजय
- यीशु ने इस पर उनसे कहा, “क्या तुम्हें अब विश्वास हुआ है?
27. यीशु कौन है? यीशु मसीह अच्छे उपदेशक हैं
यीशु का उपदेश मत्ती अध्याय 5 / (लूका 6:20-23)
मत्ती 5 यीशु मसीह अच्छे उपदेशक हैं;
यीशु ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा:
3 “धन्य हैं वे जो हृदय से दीन हैं, स्वर्ग का राज्य उनके लिए है।
4 धन्य हैं वे जो शोक करते हैं, क्योंकि परमेश्वर उन्हें सांत्वना देता है
5 धन्य हैं वे जो नम्र हैं, क्योंकि यह पृथ्वी उन्हीं की है।
6 धन्य हैं वे जो नीति के प्रति भूखे और प्यासे रहते हैं! क्योंकि परमेश्वर उन्हें संतोष देगा, तृप्ति देगा।
7 धन्य हैं वे जो दयालु हैं, क्योंकि उन पर दया गगन से बरसेगी।
8 धन्य हैं वे जो हृदय के शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के दर्शन करेंगे।
9 धन्य हैं वे जो शान्ति के काम करते हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलायेंगे।
10 धन्य हैं वे जो नीति के हित में यातनाएँ भोगते हैं, स्वर्ग का राज्य उनके लिये ही है।
तुम नमक के समान हो: तुम प्रकाश के समान हो (मरकुस 9:50; 4:21; लूका 14:34-35; 8:16)
वह फिर किसी काम का नहीं रहेगा। केवल इसके, कि उसे बाहर लोगों की ठोकरों में फेंक दिया जाये।
28. यीशु मसीह भविष्यवक्ता हैं
यीशु और यहूदी धर्म-नियम
29. यीशु मसीह यहूदियों, फरीसियों, सदूकियों और धर्म के ठेकेदारों को उलाहना देते हैं
30. यीशु मसीह मेल मिलाप कराने आए
यीशु का उपदेश:- क्रोध
- “तुम जानते हो कि हमारे पूर्वजों से कहा गया था ‘हत्या मत करो और यदि कोई हत्या करता है तो उसे अदालत में उसका जवाब देना होगा।’ “तेरा शत्रु तुझे न्यायालय में ले जाता हुआ जब रास्ते में ही हो, तू झटपट उसे अपना मित्र बना ले कहीं वह तुझे न्यायी को न सौंप दे और फिर न्यायी सिपाही को, जो तुझे जेल में डाल देगा। मैं तुझे सत्य बताता हूँ तू जेल से तब तक नहीं छूट पायेगा जब तक तू पाई-पाई न चुका दे।
31. यीशु मसीह पाप के प्रति सचेत करते हैं
व्यभिचार
- “तुम जानते हो कि यह कहा गया है, ‘व्यभिचार मत करो।’ और यदि तेरा दाहिना हाथ तुझ से पाप करवाये तो उसे काट कर फेंक दे। क्योंकि तेरे लिये यह अच्छा है कि तेरे शरीर का एक अंग नष्ट हो जाये बजाय इसके कि तेरा सम्पूर्ण शरीर ही नरक में चला जाये।(मत्ती 19:9; मरकुस 10:11-12; लूका 16:18)
- मत्ती 5: 31 “कहा गया है, ‘जब कोई अपनी पत्नी को तलाक देता है तो उसे अपनी पत्नी को लिखित रूप में तलाक देना चाहिये।’ और जो कोई उस छोड़ी हुई स्त्री से विवाह रचाता है तो वह भी व्यभिचार करता है।
32. यीशु मसीह व्यवस्था पालन /आज्ञा पालन के लिये उदाहरण प्रस्तुत करते हैं
33. यीशु की परीक्षा हुई और वो सफलता पा सके
(मरकुस 1:12-13; लूका 4:1-13)
- मत्ती 4:4 फिर आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि शैतान के द्वारा उसे परखा जा सके। चालीस दिन और चालीस रात भूखा रहने के बाद जब उसे भूख बहुत सताने लगी , यीशु ने उत्तर दिया,
“शास्त्र में लिखा है,‘मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं जीता, बल्कि वह प्रत्येक उस शब्द से जीता है जो परमेश्वर के मुख से निकालता है।’”
यीशु का उपदेश:- बदले की भावना मत रख (लूका 6:29-30)
- मत्ती 5:38 “तुमने सुना है: कहा गया है, ‘आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत।’
34. यीशु मसीह सिद्ध बनाते हैं
- यीशु मसीह का उपदेश :सबसे प्रेम रखो (लूका 6:27-28, 32-36)
35. यीशु कौन है? यीशु मसीह परमेश्वर की धार्मिकता है
रोमियों 3
- सो यहूदी होने का क्या लाभ या ख़तने का क्या मूल्य? “ताकि जब तू कहे तू उचित सिद्ध होऔर जब तेरा न्याय हो, तू विजय पाये।”
-
सो यदि हमारी अधार्मिकता परमेश्वर की धार्मिकता सिद्ध करे तो हम क्या कहें?
- क्या यह कि वह अपना कोप हम पर प्रकट करके अन्याय नहीं करता? (मैं एक मनुष्य के रूप में अपनी बात कह रहा हूँ।) निश्चय ही नहीं, नहीं तो वह जगत का न्याय कैसे करेगा।
-
तो फिर हम क्या कहें? क्या हम यहूदी ग़ैर यहूदियों से किसी भी तरह अच्छे है, नहीं बिल्कुल नहीं।
- क्योंकि हम यह दर्शा चुके है कि चाहे यहूदी हों, चाहे ग़ैर यहूदी सभी पाप के वश में हैं। शास्त्र कहता है: “कोई भी धर्मी नहीं, एक भी! कोई समझदार नहीं, एक भी!कोई ऐसा नहीं, जो प्रभु को खोजता!
- “उनके मुँह खुली कब्र से बने हैं, वे अपनी जीभ से छल करते हैं।”“उनके होठों पर नाग विष रहता हैं।” “शाप से कटुता से मुँह भरे रहते है।” “हत्या करने को वे हरदम उतावले रहते है।वे जहाँ कहीं जाते नाश ही करते हैं, संताप देते हैं।उनको शांति के मार्ग का पता नहीं।”“उनकी आँखों में प्रभु का भय नहीं है।
परमेश्वर मनुष्यों को धर्मी कैसे बनाता है
- तो फिर घमण्ड करना कहाँ रहा? वह तो समाप्त हो गया। भला कैसे? क्या उस विधि से जिसमें व्यवस्था जिन कर्मों की अपेक्षा करती है, उन्हें किया जाता है? नहीं, बल्कि उस विधि से जिसमें विश्वास समाया है।
36. यीशु मसीह मृतकों में से जी उठने का पहिला फल यीशु मसीह
1 कुरिन्थियों 15
-
नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ।
यदि मरे हुओं का पुनरुत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
22 और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे।
- परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से; पहिला फल मसीह; ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो॥
37. यीशु मसीह पापियों के बदले बलिदान हुया
यशायाह 53:4-6
- उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए। उसने हमारी पीड़ा को हमसे ले लिया और हम यही सोचते रहे कि परमेश्वर उसे दण्ड दे रहा है। हमने सोचा परमेश्वर उस पर उसके कर्मों के लिये मार लगा रहा है।
38. यीशु कौन है? परमेश्वर का मेमना जो जगत के पापों का बोझ उठा ले गया।
यशायाह 53:7-14
- उसे सताया गया और दण्डित किया गया। किन्तु उसने उसके विरोध में अपना मुँह नहीं खोला। वह वध के लिये ले जायी जाती हुई भेड़ के समान चुप रहा। वह उस मेमने के समान चुप रहा जिसका ऊन उतारा जा रहा हो। अपना बचाव करने के लिये उसने कभी अपना मुँह नहीं खोला।
उसने कभी झूठ नहीं बोला किन्तु फिर भी उसके साथ ऐसी बातें घटीं।
39. यीशु मसीह परमेश्वर का सच्चा सेवक है
यशायाह53:10 यहोवा ने उसे कुचल डालने का निश्चय किया। यहोवा ने निश्चय किया कि वह यातनाएँ झेले। सो सेवक ने अपना प्राण त्यागने को खुद को सौंप दिया। किन्तु वह एक नया जीवन अनन्त—अनन्त काल तक के लिये पायेगा। वह अपने लोगों को देखेगा। यहोवा उससे जो करना चाहता है, वह उन बातों को पूरा करेगा।
40. यीशु मसीह पापियों के लिए विनती प्रार्थना करता है।
यशायाह 53:11-12
- इसलिए मैं उसे बहुतों के साथ पुरस्कार का सहभागी बनाऊँगा। वह इस पुरस्कार को विजेताओं के साथ ग्रहण करेगा। क्यों क्योंकि उसने अपना जीवन दूसरों के लिए दे दिया। उसने अपने आपको अपराधियों के बीच गिना जाने दिया। जबकि उसने वास्तव में बहुतेरों के पापों को दूर किया और अब वह पापियों के लिए प्रार्थना करता है।
41. यीशु कौन है? यीशु मसीह हमारा महायाजक है. इब्रानियों 4:12-16
- मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।
42. यीशु मसीह शीघ्र आने वाले हैं
- “क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ” (लूका 17:24-25)।
“आधी रात को धूम मची: ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो” (मत्ती 25:6)।
43. यीशु कौन है? प्रभु यीशु मसीह हमारा दुल्हा है
- प्रकाशित वाक्य 19:7 आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उस की स्तुति करें; और जो इसे सुनता है, वह भी कहे, “आ!”
फिर उस स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “ये वचन विश्वास करने योग्य और सत्य हैं।
44. प्रभु यीशु मसीह भविष्यवक्ता हैं।
प्रकाशित वाक्य 22:8-14
- मैं यूहन्ना हूँ। मैंने ये बातें सुनी और देखी हैं। जब मैंने ये बातें देखीं सुनीं तो उस स्वर्गदूत के चरणों में गिर कर मैंने उसकी उपासना की जो मुझे ये बातें दिखाया करता था।
45. प्रभु यीशु मसीह दाऊद का वंश और भोर का चमकता तारा है
- प्रकाशित वाक्य 22: 16 “स्वयं मुझ यीशु ने तुम लोगों के लिए और कलीसियाओं के लिए, इन बातों की साक्षी देने को अपना स्वर्गदूत भेजा है। मैं दाऊद के परिवार का वंशज हूँ। मैं भोर का दमकता हुआ तारा हूँ।”
46. प्रभु यीशु प्रथम और अंतिम , अल्फा और ओमेगा है
- प्रकाशित वाक्य 22:13 मैं ही अल्फा हूँ और मैं ही ओमेगा हूँ। मैं ही पहला हूँ और मैं ही अन्तिम हूँ।” मैं हीआदि और मैं ही अन्त हूँ।
47. यीशु कौन है? यीशु परमेश्वर का सेवक हैं ।
- यह स्पष्ट हैं कि यीशु को अक्सर परमेश्वर का सेवक के रूप में जाना जाता हैं।
पतरस आगे यीशु के बारे में कहता हैं: प्रेरितों के कार्य – 3:26 में केवल पतरस ही नही बल्कि विश्वासियों के पूरे समूह ने यीशु को परमेश्वर का सेवक कहा ।
- हे परमेश्वर, तू चंगा करने के लिए अपना हाथ बड़ा और आश्चर्यकर्म और चिन्ह तेरे पवित्र सेवक यीशु के नाम के द्वारा किया जाए ।
- यीशु के मूल चेले द्वारा यीशु को परमेश्वर का सेवक कहा जा रहा हैं । कुछ लोगों ने गलती से सोचा कि यीशु के चेलो ने उसे परमेश्वर का पुत्र कहा ।
48. यीशु परमेश्वर के संदेशवाहक हैं
- पूर्व युग में परमेश्वर ने बापदादों से थोड़ा थोड़ा करके और भाँति भाँति से भविष्यवक्ताओं के द्वारा बातें कीं।
49. यीशु मसीह उद्धारकर्ता है
- उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें।
- जिस ने अपने आप को हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में सरगर्म हो॥
50. प्रभु यीशु मसीह हमारा मध्यस्थ है
- 1 तीमुथियुस 2:5-6 क्योंकि परमेश्वर एक ही है: और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात मसीह यीशु जो मनुष्य है।
51. प्रभु यीशु मसीह हमारा प्रेमी है
- यहून्ना 13:1 फसह के पर्व से पहिले जब यीशु ने जान लिया, कि मेरी वह घड़ी आ पहुंची है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊं, तो अपने लोगों से, जो जगत में थे, जैसा प्रेम वह रखता था, अन्त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा। यूहन्ना 13:1