शायरी “मंज़िल मिल ही जायेगी, भटकते ही सही। Shayari
शायरी “मंज़िल मिल ही जायेगी, भटकते ही सही। गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।” Shayari
सच्चाई से अपने कामों को शांतिपूर्ण ढंग से करते जाओ, सफलता खुद शोर मचा देगी। अपनी बढ़ाई, अपनी तारीफ खुद मत बताते फिरो, काम ऐसे करो कि लोग खुद आपकी तारीफ करते रहे। आप अपने रास्ते पर, सच्चाई से, सत्य निष्ठा, समर्पण के साथ जाग्रत रहते हुए चलते रहो, आपकी निगाह आपकी अपनी मंज़िल हो पर हो, उसके लिए अपने काम को और बेहतर से बेहतर बनाने के लिए उस पर पूरा ध्यान दो, जिससे सफलता मिलती है।
- “लक्ष्य ना ओझल होने पाये, कदम कदम बढ़ाए चल।
मंज़िल तुझको मिल जाएगी, आज नहीं तो कल”।
- “जिस दिन से चला हूँ मंज़िल की तरफ,
मैंने मील का पत्थर नहीं देखा”।
- आप बढ़ते रहो, प्रार्थना करते रहो, सच्चाई से जीवन बिताओ, भलाई करो,
- सीखो और सफलता प्राप्त करो । अपने पहले उद्देश्य को मत भूलना।
- जब चुनोतियाँ हो सामने तो अपने हौसले को और बुलंद करो।
- “कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं
हारा वही जो कभी लड़ा नहीं”।
“मंज़िल मिल ही जायेगी,
- “मंज़िल मिल ही जायेगी, भटकते ही सही,
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं”
- “रख हौसला वो मंजर भी आयेगा;
प्यासे के पास चल के समुन्दर भी आयेगा।
थक कर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर;
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आयेगा”।
कृतज्ञ रहें, धन्यवाद दीजिये।
ईश्वर को और लोगों को , धन्यवाद प्रेम का अनोखा रूप है। जो आपकी जिंदगी में आये और आपको नया अनुभव दिया। ईश्वर ने आपको इतना सब कुछ मुफ्त में दिया है, तो उनका धन्यवाद कीजिये।