चरित्र पर विशेष अनमोल विचार (Anmol Vichar) | चरित्र पर 12 अनमोल विचार
चरित्र पर विशेष अनमोल विचार (Anmol Vichar) – ईश्वर हम से क्या चाहता है कि हम अपने जीवन में ईश्वर की आज्ञाओं को अपना कर अपने चरित्र का बेहतर निर्माण करें, और हम इसे कर सकते हैं:-
(1) ईश्वर इंसान के चेहरे का कलर और हमारी लुभावनी कद काठी को पसंद नहीं करता, ईश्वर चाहता है कि हम चरित्रवान हो और ईश्वर हमारे मन की सुंदर चाहता है।
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1 शमूएल 16:7 HHBD
परन्तु यहोवा ने शमूएल से कहा, न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।
सभोपदेशक 9:10 HHBD
जो काम तुझे मिले उसे अपनी शक्ति भर करना, क्योंकि अधोलोक में जहां तू जाने वाला है, न काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है॥
(3) ईश्वर आपसे आपके घर का कमरा या कोना नहीं माँगते कि वहाँ वो रहेंगे, ईश्वर चाहते हैं कि आप बेघर लोगों का अपने घर पर ऐसा ही स्वागत करें, जैसा ईश्वर का करते।
इब्रानियों 13:1-3 HINDI-BSI
भाईचारे की प्रीति बनी रहे। अतिथि-सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कुछ लोगों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर-सत्कार किया है।
कैदियों की ऐसी सुधि लो कि मानो उनके साथ तुम भी कैद हो, और जिनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता है, उनकी भी यह समझकर सुधि लिया करो कि हमारी भी देह है। मत्ती 7
इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्तओं की शिक्षा यही है॥
(4) आप के कितने मित्र हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता, बल्कि कितनों की आपने मित्र बन कर सच्चाई से सेवा की है, इससे जरूर बहुत फर्क पड़ता है।
नीतिवचन 17:17 HHBD
मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।
(5) ईश्वर आपसे आपके पड़ोसी या सोसाइटी के विषय नहीं जानना चाहते, बल्कि उनका कहना है, कि अपने पड़ोसी की देखभाल वैसी ही करो, जैसा तुम अपने लिए उम्मीद करते हो ।
मत्ती 5:43
तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।
जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनो पर अपना सूर्य उदय करता है,
और धमिर्यों और अधमिर्यों दोनों पर मेंह बरसाता है।
“तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।”—मत्ती 22:39.
चरित्र पर विशेष अनमोल विचार
(6) ईश्वर आपसे ये नहीं जानना चाहते कि आप कितनी मंहगी कार चलाते हैं, ईश्वर ये कहते हैं क्या कभी आपने अपनी कार या वाहन से जरूरतमंद की सहायता की ?
मत्ती 6:19-21 HHBD
अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं।
परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं।
क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।
फिलिप्पियों 2:4 HHBD
हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे।
(7) ईश्वर आपसे आपकी आमदनी के विषय नहीं जानना चाहते, ईश्वर जानना चाहते हैं कि आप अपने सिद्धांतो में खरे रहें, किसी प्रकार के प्रलोभन में पड़कर अनैतिक कार्यों द्वारा धन अर्जित ना करें।
याक़ूब 1:9-18
साधारण परिस्थितियों वाले भाई को गर्व करना चाहिए कि परमेश्वर ने उसे आत्मा का धन दिया है।
और धनी भाई को गर्व करना चाहिए कि परमेश्वर ने उसे नम्रता दी है।
क्योंकि उसे तो घास पर खिलने वाले फूल के समान झड़ जाना है।
सूरज कड़कड़ाती धूप लिए उगता है और पौधों को सुखा डालता है।
उनकी फूल पत्तियाँ झड़ जाती हैं और सुन्दरता समाप्त हो जाती है।
इसी प्रकार धनी व्यक्ति भी अपनी भाग दौड़ के साथ समाप्त हो जाता है।
परमेश्वर परीक्षा नहीं लेता
याक़ूब 1:12-15
वह व्यक्ति धन्य है जो परीक्षा में अटल रहता है क्योंकि परीक्षा में खरा उतरने के बाद वह जीवन के उस विजय मुकुट को धारण करेगा, जिसे परमेश्वर ने अपने प्रेम करने वालों को देने का वचन दिया है।
परीक्षा की घड़ी में किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि “परमेश्वर मेरी परीक्षा ले रहा है,” क्योंकि बुरी बातों से परमेश्वर को कोई लेना देना नहीं है।
वह किसी की परीक्षा नहीं लेता।
हर कोई अपनी ही बुरी इच्छाओं के भ्रम में फँसकर परीक्षा में पड़ता है।
फिर जब वह इच्छा गर्भवती होती है तो पाप पूरा बढ़ जाता है और वह मृत्यु को जन्म देता है। याक़ूब 1:16-18
सो मेरे प्रिय भाइयों, धोखा मत खाओ। प्रत्येक उत्तम दान और परिपूर्ण उपहार ऊपर से ही मिलते हैं।
और वे उस परम पिता के द्वारा जिसने स्वर्गीय प्रकाश को जन्म दिया है, नीचे लाए जाते हैं।
वह नक्षत्रों की गतिविधि से उप्तन्न छाया से कभी बदलता नहीं है।
सत्य के सुसंदेश के द्वारा अपनी संतान बनाने के लिए उसने हमें चुना।
ताकि हम सभी प्राणियों के बीच उसकी फ़सल के पहले फल सिद्ध हों।
(8) आपकी आलमारी में कितने महंगे, खूबसूरत लिबास हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ता है, तो इस बात से कि आपने कितने लोगों की मदद की, जो बिना कपड़ों के जीवन बिता रहे थे।
37. “तब धर्मी उसको उत्तर देंगे, ‘हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा और पानी पिलाया?
38. हमने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया? या नंगा देखा और कपड़े पहिनाए?
39. हमने कब तुझे बीमार या बन्दीगृह में देखा और तुझसे मिलने आए?’
40.तब राजा उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।’
41“तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, ‘हे शापित लोगो, मेरे सामने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है।
42 क्योंकि मैं भूखा था, और तुमने मुझे खाने को नहीं दिया; मैं प्यासा था, और तुमने मुझे पानी नहीं पिलाया;
43. मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में नहीं ठहराया; मैं नंगा था, और तुमने मुझे कपड़े नहीं पहिनाए; मैं बीमार और बन्दीगृह में था, और तुमने मेरी सुधि न ली।’
44. “तब वे उत्तर देंगे, ‘हे प्रभु, हमने तुझे कब भूखा, या प्यासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की?’
45.तब वह उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो इन छोटे से छोटों में वह उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया।’
46.और ये अनन्त दण्ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।”
(9) आप कितने अधिक सावधान हैं सेहत के प्रति या नये नये भोजनों के आदी हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि फर्क इस बात से पड़ता है कि कितने भूखे लोगों को आपकी वजह से भोजन नसीब हो पाता है। मत्ती 25:34
राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, ‘हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया गया है।
35क्योंकि मैं भूखा था, और तुमने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुमने मुझे पानी पिलाया; मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया;
36मैं नंगा था, और तुमने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, और तुमने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था, और तुम मुझसे मिलने आए।
(10) क्या आप अपनी मात्र भूमि की रक्षा के लिए जाग्रत हैं, क्योंकि आप कितना भी लंबा जीवन जियेँ, कितने भी अच्छे से जियेँ, अगर आपका जीवन किसी तरह देश और दुनिया की तरक्की का कारण ना बन पाया, तो सब कुछ व्यर्थ है।
निर्गमन 20:12 “अपने माता और अपने पिता का आदर करो। यह इसलिए करो कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा जिस धरती को तुम्हें दे रहा है,
उसमें तुम दीर्घ जीवन बिता सको”
TU KHUD KI KHOJ MEN NIKAL,
चरित्र पर विशेष अनमोल विचार
(11) परमेश्वर आपसे कभी नहीं कहेंगे कि आप उद्धार पाने में विलंब क्यों करते रहे, ईश्वर की मर्ज़ी है आप अवश्य मुक्ति पाएँ और स्वर्ग के वारिस बनें, परमेश्वर हमें नरक की आग से बचाना चाहते हैं ।
2 पतरस 3:8-9 HHBD
प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है,
और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं।
प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है,
और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।
(12) ईश्वर कभी नहीं कहेंगे और ना कभी पूछेंगे कि तुम मेरी सेवा करोगे या नहीं, और परमेश्वर की वाणी को लोगों तक पहुंचायोगे कि नहीं, क्योंकि ईश्वर सब कुछ जानते हैं, हमारे विचारों में उत्पन्न होने वाले हर विचार को भी।
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का स्तुति गीत।
भजन संहिता 139:1-24
भजन संहिता 139:1-24
1यहोवा, तूने मुझे परखा है।
मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है।
2 तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ।
तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है।
3 हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ।
मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है।
4 हे यहोवा. इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है
कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
5 हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है।
मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है।
6 मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है।
जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है।
7 हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है।
हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता।
8 हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है।
यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है।
9 हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ वहाँ पर भी तू है।
10 वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है।
और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है।
11 हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ,
“दिन रात में बदल गया है
तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।”
12 किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है।
तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है।
13 हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया।
तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था।
14 हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद,
और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।
15 मेरे विषय में तू सब कुछ जानता है।
जब मैं अपनी माता की कोख में छिपा था,
जब मेरी देह रूप ले रही थी तभी तूने मेरी हड्डियों को देखा।
16 हे यहोवा, तूने मेरी देह को मेरी माता के गर्भ में विकसते देखा। ये सभी बातें तेरी पुस्तक में लिखीं हैं।
हर दिन तूने मुझ पर दृष्टी की। एक दिन भी तुझसे नहीं छूटा।
17 हे परमेश्वर, तेरे विचार मेरे लिये कितने महत्वपूर्ण हैं।
तेरा ज्ञान अपरंपार है।
18 तू जो कुछ जानता है, उन सब को यदि मैं गिन सकूँ तो वे सभी धरती के रेत के कणों से अधिक होंगे।
किन्तु यदि मैं उनको गिन पाऊँ तो भी मैं तेरे साथ में रहूँगा।
19 हे परमेश्वर, दुर्जन को नष्ट कर।
उन हत्यारों को मुझसे दूर रख।
20 वे बुरे लोग तेरे लिये बुरी बातें कहते हैं।
वे तेरे नाम की निन्दा करते हैं।
21 हे यहोवा, मुझको उन लोगों से घृणा है!
जो तुझ से घृणा करते हैं मुझको उन लोगों से बैर है जो तुझसे मुड़ जाते हैं।
22 मुझको उनसे पूरी तरह घृणा है! तेरे शत्रु मेरे भी शत्रु हैं।
23 हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर और मेरा मन जान ले।
मुझ को परख ले और मेरा इरादा जान ले।
24 मुझ पर दृष्टि कर और देख कि मेरे विचार बुरे नहीं है।
तू मुझको उस पथ पर ले चल जो सदा बना रहता है।
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