चिंता, डर, निराशा के समय प्रभु के इन वचनों पर ध्यान लगाइए, शांति मिलेगी। Bible Verses: Are You Stressed?

चिंता, डर, निराशा के समय प्रभु के इन वचनों पर ध्यान लगाइए, शांति मिलेगी। Bible Verses: Are You Stressed?

1) चिंता, डर, निराशा के समय प्रभु के इन वचनों पर ध्यान लगाइए, शांति मिलेगी। Bible Verses: Are You Stressed?

चिंता, डर, निराशा के समय प्रभु के इन वचनों पर ध्यान लगाइए, शांति मिलेगी। Bible Verses: Are You Stressed?

जी हाँ, तनाव, चिंता और निराशा के समय में बाइबल सांत्वना और मार्गदर्शन प्रदान करती है। यहाँ कुछ श्लोक हैं जो आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं:

  1. “किसी भी बात की चिन्ता न करो, परन्तु हर हाल में प्रार्थना और विनती के द्वारा, धन्यवाद के साथ अपनी बिनती परमेश्वर के सम्मुख प्रस्तुत करो। तब परमेश्वर की शान्ति, जो सारी समझ से परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।” – फिलिप्पियों 4:6-7
  2. “अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।” – 1 पतरस 5:7
  3. “हे सब थके हुए और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं, और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।” – मत्ती 11:28-29
  4. “यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।” – भजन 34:18
  5. “क्योंकि मुझे विश्वास है कि न तो मृत्यु और न ही जीवन, न ही स्वर्गदूत और न ही राक्षस, न वर्तमान और न ही भविष्य, न ही कोई शक्तियाँ, न ऊँचाई और न ही गहराई, और न ही सारी सृष्टि में, हमें ईश्वर के प्रेम से अलग करने में सक्षम होंगे। वह हमारे प्रभु यीशु मसीह में है।” – रोमियों 8:38-39

याद रखें कि ये पद आशा और आश्वासन प्रदान करते हैं, और यह कि आप अपने संघर्षों में अकेले नहीं हैं। ईश्वर आपके साथ है और कठिन समय में आपको शक्ति और आराम देगा।

चिंता, डर, निराशा के समय प्रभु के इन वचनों पर ध्यान लगाइए, शांति मिलेगी। Bible Verses: Are You Stressed?

चिंता, डर, निराशा के समय प्रभु के इन वचनों पर ध्यान लगाइए, शांति मिलेगी। Bible Verses: Are You Stressed?

क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा।  यिर्मयाह 29:11

मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है। नीतिवचन 29:11

तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। नीतिवचन 3:5

उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।  नीतिवचन 3:6

क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। इफिसियों 4:26

अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। मत्ती 6:19

परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। मत्ती 6:20

क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।  मत्ती 6:21

क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उस को कोड़े भी लगाता है। इब्रानियों 12:6

https://optimalhealth.in/bhaya-aur-chinta/
Optimal Health - Designer 2023 04 30T182703.801 - Optimal Health - Health Is True Wealth.

जब हृदय व्याकुल हो, प्रभु वचनों पर ध्यान दीजिए। Bible Verses: Broken Heart?

यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है॥  भजन संहिता 34:18

मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है॥  भजन संहिता 73:26

 मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। यूहन्ना 14:27

और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है। 1 पतरस 5:7

तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। नीतिवचन 3:5

उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। नीतिवचन 3:6

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मत्ती 11:28

यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है। भजन संहिता 18:2

मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीन लिया है॥ यूहन्ना 16:33

Optimal Health - Designer 2023 04 30T183335.668 - Optimal Health - Health Is True Wealth.

डर चिंता और अवसाद (Fear Anxiety and Depression)

भजन संहिता की पुस्तक से 7 भजन जो चिंता और सताव के समय सहायता करेंगे। 7 Psalms to Help Calm Anxiety 

  1. भजन संहिता 121
  2. भजन संहिता 116
  3. भजन संहिता 103
  4. भजन संहिता 27
  5. भजन संहिता 34
  6. भजन संहिता 40
  7. भजन संहिता 62

मसीही भाई बहन याद रखें, 

12 सामर्थ्य शाली बाईबल पद, जो प्रार्थना और आत्मिकता के लिए अपने बच्चों को जरूर दिखाएं। 12 POWERFUL VERSES TO PRAY AND PURE OVER OUR CHILDREN 

  1. साहस, बल, शक्ति, (Strength): फिलिप्पियों 4:13
  1. उत्साह (Courage): यहोशू 1:9
  1. शांति (Peace): फिलिप्पियों 4:6
  1. नियोजना बनाना (Provision): फिलिप्पियों 4:19
  1. अगुवाई (Direction): नीतिवचन 3:5-6
  1. बचाव (Protection): भजन संहिता 91:2
  1. आनंद (Joy): भजन संहिता 16:11
  1. तरस(Compassion):इफिसियों 4:32
  1. न्याय (Justice): यशायाह 1:17
  1. ज्ञान, बुद्धिमता (Wisdom): याकूब 1:5
  1. आशा, उम्मीद (Hope): रोमियो 15:13
  1. प्रेम (Love):  1 कुरिन्थियों 13

12 सामर्थ्य शाली बाईबल पद,  जो प्रार्थना और आत्मिकता के लिए अपने बच्चों को जरूर दिखाएं।

प्रार्थना और आत्मिकता

  • प्रार्थना और आत्मिकता दोनों ही मनुष्य के आंतरिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रार्थना मनुष्य की आशा, श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करती है जबकि आत्मिकता उसके अंदर विशेष आत्मा और स्वभाव को समझने की क्षमता होती है।
  • जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हम अपनी मन की शांति के लिए ईश्वर से बातचीत करते हैं। इससे हमारे मन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं जो हमें उत्तेजित करते हैं जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सकारात्मक भाव लाने में मदद करते हैं।
  • वहीं, आत्मिकता हमें अपनी स्वभाव और सामंजस्य से जोड़ती है। इससे हम अपने आंतरिक अस्तित्व के साथ जुड़ते हैं और अपने जीवन के उद्देश्य के प्रति समझदार बनते हैं। आत्मिकता से हम अपनी जड़ों से उठकर ऊँची स्थिति में जाने की क्षमता प्राप्त करते हैं और संतुलित जीवन जीने के लिए अपनी विचारधारा को संशोधित करने में मदद मिलती है।

प्रार्थना और आत्मिकता

  • इन दोनों के साथ-साथ, प्रार्थना और आत्मिकता मिलकर एक संतुलित आंतरिक जीवन बनाते हैं। जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हम अपनी आत्मा के साथ एक महत्वपूर्ण व्यवहार करते हैं। प्रार्थना द्वारा हम अपनी आंतरिक तंदुरुस्ती और जीवन की दिशा में स्थिरता को बढ़ाते हैं।
  • आत्मिकता भी हमें अपनी आंतरिक शक्तियों और तंदुरुस्ती के बारे में समझने में मदद करती है। जब हम अपनी आत्मिक अवस्था में स्थिर होते हैं, तो हम अपने जीवन के लक्ष्य के प्रति समझदार होते हैं और अपनी उपलब्धियों के साथ संतुष्ट रहते हैं।
  • इसलिए, प्रार्थना और आत्मिकता दोनों ही एक दूसरे के संपूर्ण करके हमें एक स्थिर, संतुलित और खुशहाल आंतरिक जीवन देते हैं।

1. साहस, बल, शक्ति, (Strength)

  • जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।  फिलिप्पियों 4:13

2. उत्साह (Courage):

  • क्या मैं ने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा॥  यहोशू 1:9

3. शांति (Peace):

  • किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।  फिलिप्पियों 4:6

4. नियोजना बनाना (Provision):

  • और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। फिलिप्पियों 4:19

5. अगुवाई (Direction):

  • तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। नीतिवचन 3:5
  • परमेश्वर को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। नीतिवचन 3:6

6. बचाव (Protection): 

  • मैं यहोवा के विषय कहूंगा, कि वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा। भजन संहिता 91:2

7. आनंद (Joy): 

  • तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है॥ भजन संहिता 16:11

8. तरस (Compassion):

  • और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो॥ इफिसियों 4:32

9. न्याय (Justice):

  • भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो॥ यशायाह 1:17

10. ज्ञान, बुद्धिमता (Wisdom):

  • पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी। याकूब 1:5

11. आशा, उम्मीद (Hope):

  • सो परमेश्वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए॥ रोमियो 15:13

12. प्रेम (Love): 

यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं। 1 कुरिन्थियों 13:2

प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं। 1 कुरिन्थियों 13:4

वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। 1 कुरिन्थियों 13:5

कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है। 1 कुरिन्थियों 13:6

वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। 1 कुरिन्थियों 13:7

प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। 1 कुरिन्थियों 13:8

पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है। 1 कुरिन्थियों 13:13

https://www.bible.com/hi/bible/1683/1PE.5.7.HINOVBSI

https://www.clickbibles.info/2019/11/Worry-bible-verses.html

https://wol.jw.org/hi/wol/d/r108/lp-hi/2016922

चिंता के बारे में यीशु क्या कहते हैं?

यीशु ने अपने अनुयायियों को चिंता न करने की सलाह दी है। लूका 12:23, मत्ती 6:26, लूका 11:9

चिंता करने पर बाइबल क्या कहती है?

बाइबल में कुछ स्थानों पर चिंता के बारे में उल्लेख है, जो कि इस प्रकार हैं: मत्ती 6:25-27, पतरस 5:7, फिलिप्पियों 4:6-7 में लिखा है, “चिंता न करें, परन्तु हर बात में परमेश्वर के सामने अपनी माँग धन्यवाद के साथ प्रकट करें ताकि परमेश्वर की शान्ति जो समझ से परे है उसमें तुम्हारे दिल और तुम्हारे विचार खो जाएं जो मसीह यीशु में है।”

बाइबल में शांति के विषय में क्या बोलती  है इसका अर्थ क्या है?

कुछ शांति से संबंधित श्लोकों में निम्नलिखित हैं: यूहन्ना 14:27, फिलिप्पियों 4:7, यशायाह 26:3, रोमियों 8:6

जो विश्वास में निर्बल है उसके साथ क्या करें?

जो व्यक्ति विश्वास में निर्बल होता है, उसे समझाया जा सकता है कि उसे शुरूआत में स्थिर विश्वास नहीं होता है लेकिन यह उसकी आध्यात्मिक यात्रा है जिसे समझने में समय लगता है।

https://optimalhealth.in/depression-yaani-nirasha/

https://gentwenty.com/calming-bible-verses-for-anxiety/