दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

1) दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)। दोस्तो, नमस्कार, अगर आप परमेश्वर को जानते हैं, और नये जीवन की सी चाल चलना चाहते हैं, तो आपको पर्मेश्वर और मनुष्य दोनों से प्रेम करना ही चाहिये, लोग चाहे कैसे भी हों, उन्हें हर हाल में स्वीकार करना हर मसीही व्यक्ति के लिये पर्मेश्वर की और से एक आज्ञा भी है, चेतावनी और सलाह भी, कि दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love).

रोमियों 12:2 में लिखा है इस संसार के समान ना बनो,

परन्तु तुम्हारे मन के नये हो जाने के द्वारा तुम्हारा सारा चालचलन बदलता जाये, जिससे तुम परमेश्वर की भली, भावती और सिद्ध इच्छा को अनुभव से मालूम करते जाओ। 

यीशु की शिक्षा

प्रभु यीशु मसीह कहते हैं, अगर तू केवल अपने भाई से प्रेम करता है तो कौन सा बड़ा काम करता है, क्योंकि ये तो सभी, विश्वाशी और अविश्वाशी करते ही हैं, पर भली बात तो ये है कि तुम सभी से अपने समान प्रेम करो, क्योंकि प्रेम कभी बुरा नहीं चाहता।

बाइबल को पवित्रशास्त्र के बाद अगर कोई नाम दिया गया तो प्रेम की पत्री जो परमेश्वर ने अपने बच्चों के लिये लिखी है, कही जाती है, 11 तरीकों से (11 Ways To Love) अपने प्रेम को प्रदर्शित कीजिये, परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं, आपको हर हाल में सुख, समृद्धि, और खुशियों की अपार आशिशें देते हैं, आप लोगों के लिये अपने प्रेम को प्रार्थना, और धन्यवाद के साथ साथ 11 तरीके व्यक्त कीजिए, बाइबल कहती है, जो अपनों की चिंता नहीं करता, वह विश्वाश से भटक गया है, और अविश्वाशी से भी ज्यादा बुरा हो गया है।

कुछ भी हो, एक दूसरे से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

BIBLICAL QUOTES FOR MEDITATION, WITH SOUL AND MIND

Oh Lord, help me to strengthen my faith in you.

(1) बिना रुकावट के सुनें (Listen Without Interrupting) 

  • जो बिना बात सुने उत्तर देता है, वह मूढ़ ठहरता है, और उसका अनादर होता है। (नीतिवचन 18:13)
  • मुकद्दमे में जो पहले बोलता, वही धर्मी जान पड़ता है, परन्तु पीछे दूसरा पक्ष वाला आकर उसे खोज लेता है। (नीतिवचन 18:17)

मनुष्य का पेट मुंह की बातों के फल से भरता है; और बोलने से जो कुछ प्राप्त होता है उस से वह तृप्त होता है। (नीतिवचन 18:20)

  • जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा। (नीतिवचन 18:21)
  • मित्रों के बढ़ाने से तो नाश होता है, परन्तु ऐसा मित्र होता है, जो भाई से भी अधिक मिला रहता है। (नीतिवचन 18:24)
  • हे मेरे प्रिय भाइयो, याद रखो, हर किसी को तत्परता के साथ सुनना चाहिए, बोलने में शीघ्रता मत करो, क्रोध करने में उतावली मत बरतो। 
  • क्योंकि मनुष्य के क्रोध से परमेश्वर की धार्मिकता नहीं उपजती।  
  • हर घिनौने आचरण और चारो ओर फैली दुष्टता से दूर रहो।
  • तथा नम्रता के सथ तुम्हारे हृदयों में रोपे गए परमेश्वर के वचन को ग्रहण करो जो तुम्हारी आत्माओं को उद्धार दिला सकता है।    याक़ूब 1:19-21

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

(2) बिना आरोप के बोले (Speak without Accusing)  

  • “दूसरों पर दोष लगाने की आदत मत डालो ताकि तुम पर भी दोष न लगाया जाये।
  • क्योंकि तुम्हारा न्याय उसी फैसले के आधार पर होगा, जो फैसला तुमने दूसरों का न्याय करते हुए दिया था।
  • और परमेश्वर तुम्हें उसी नाप से नापेगा जिससे तुमने दूसरों को नापा हैं।
  • तू अपने भाई बंदों की आँख का तिनका तक क्यों देखता हैं? जबकि तुझे अपनी आँख का लट्ठा भी दिखाई नहीं देता।

जब तेरी अपनी आँख में लट्ठा समाया हैं तो तू अपने भाई से कैसे कह सकता हैं कि तु मुझे तेरी आँख का तिनका निकालने दे।

  • ओ कपटी! पहले तू अपनी आँख से लट्ठा निकाल, फिर तू ठीक तरह से देख पायेगा और अपने भाई की आँख का तिनका निकाल पायेगा।
  • हे भाइयो, एक दूसरे के विरोध में बोलना बंद करो।
  • जो अपने ही भाई के विरोध में बोलता है, अथवा उसे दोषी ठहराता है, वह व्यवस्था के ही विरोध में बोलता है और व्यवस्था को दोषी ठहराता है।
  • और यदि तुम व्यवस्था पर दोष लगाते हो तो व्यवस्था के विधान का पालन करने वाले नहीं रहते वरन् उसके न्यायकर्त्ता बन जाते हो।
  • हे मेरे प्रिय भाइयों, यह बात तुम जानते हो:
  • इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। याकूब 1:19

(3) बिना कुढ़े दान दो , बिना काम के बख्शीश दें (Give without Sparing)

  • कोई ऐसा है, जो दिन भर लालसा ही किया करता है, परन्तु धर्मी लगातार दान करता रहता है। नीतिवचन 21:26
  • “सावधान रहो! और परमेश्वर चाहता है उन कामों का लोगों के सामने दिखावा मत करो।
  • नहीं तो तुम अपने परम-पिता से, जो स्वर्ग में है उसका प्रतिफल नहीं पाओगे।
  • “इसलिये जब तुम किसी दीन-दुःखी को दान देते हो तो उसका ढोल मत पीटो,
  • जैसा कि धर्म-सभाओं और गलियों में कपटी लोग औंरों से प्रशंसा पाने के लिए करते हैं।
  • मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उन्हें तो इसका पूरा फल पहले ही दिया जा चुका है।

किन्तु जब तू किसी दीन दुःखी को देता है तो तेरा बाँया हाथ न जान पाये कि तेरा दाहिना हाथ क्या कर रहा है।

  • ताकि तेरा दान छिपा रहे। तेरा वह परम पिता जो तू छिपाकर करता है उसे भी देखता है, वह तुझे उसका प्रतिफल देगा। मत्ती 6:1-4
  • इसे याद रखो। जो थोड़ा बोता है, वह थोड़ा ही काटेगा और जिस कि बुआई अधिक है, वह अधिक ही काटेगा।  
  • हर कोई बिना किसी कष्ट के या बिना किसी दवाव के, उतना ही दे जितना उसने मन में सोचा है।
  • क्योंकि परमेश्वर प्रसन्न-दाता से ही प्रेम करता है।  
  • और परमेश्वर तुम पर हर प्रकार के उत्तम वरदानों की वर्षा कर सकता है,
  • जिससे तुम अपनी आवश्यकता की सभी वस्तुओं में सदा प्रसन्न हो सकते है
  • और सभी अच्छे कार्यों के लिये फिर तुम्हारे पास आवश्यकता से भी अधिक रहेगा। 2 Co 9:7-8 

(4) बिना चूके प्रार्थना करो, बिना बंद किए प्रार्थना (Pray without Ceasing)

  • इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने,
  • और विनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान
  • और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहचान में परिपूर्ण हो जाओ। कुलुस्सियों 1:9।

“जब तुम प्रार्थना करो तो कपटियों की तरह मत करो।

  • क्योंकि वे यहूदी प्रार्थना-सभाओं और गली के नुक्कड़ों पर खड़े होकर प्रार्थना करना चाहते हैं ताकि लोग उन्हें देख सकें।
  • मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उन्हें तो उसका फल पहले ही मिल चुका है।
  • किन्तु जब तू प्रार्थना करे, अपनी कोठरी में चला जा और द्वार बन्द करके गुप्त रूप से अपने परम-पिता से प्रार्थना कर।
  • फिर तेरा परम-पिता जो तेरे छिपकर किए गए कर्मों को देखता हैं, तुझे उन का प्रतिफल देगा।
  •  “जब तुम प्रार्थना करते हो तो विधर्मियों की तरह यूँ ही निरर्थक बातों को बार-बार मत दुहराते रहो।
  • वे तो यह सोचते हैं कि उनके बहुत बोलने से उनकी सुन ली जायेगी।
  •  इसलिये उनके जैसे मत बनो क्योंकि तुम्हारा परम-पिता तुम्हारे माँगने से पहले ही जानता हैं कि तुम्हारी आवश्यकता क्या हैं।

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

(5) बिना तर्क-वितर्क के उत्तर दें (Answer without Arguing)

  • चैन के साथ सूखा टुकड़ा, उस घर की अपेक्षा उत्तम है जो मेलबलि-पशुओं से भरा हो, परन्तु उस में झगड़े रगड़े हों। नीतिवचन 17:1
  • प्रत्येक उत्तम दान और परिपूर्ण उपहार ऊपर से ही मिलते हैं।
  • और वे उस परम पिता के द्वारा जिसने स्वर्गीय प्रकाश को जन्म दिया है, नीचे लाए जाते हैं।
  • वह नक्षत्रों की गतिविधि से उप्तन्न छाया से कभी बदलता नहीं है।
  • सत्य के सुसंदेश के द्वारा अपनी संतान बनाने के लिए उसने हमें चुना।
  • ताकि हम सभी प्राणियों के बीच उसकी फ़सल के पहले फल सिद्ध हों।

Hearing and Doing the Word

  • हे मेरे प्रिय भाइयो, याद रखो, हर किसी को तत्परता के साथ सुनना चाहिए,
  • बोलने में शीघ्रता मत करो, क्रोध करने में उतावली मत बरतो।
  • क्योंकि मनुष्य के क्रोध से परमेश्वर की धार्मिकता नहीं उपजती।
  • हर घिनौने आचरण और चारो ओर फैली दुष्टता से दूर रहो।
  • तथा नम्रता के सथ तुम्हारे हृदयों में रोपे गए परमेश्वर के वचन को ग्रहण करो जो तुम्हारी आत्माओं को उद्धार दिला सकता है।
  • परमेश्वर की शिक्षा पर चलने वाले बनो, न कि केवल उसे सुनने वाले।
  • यदि तुम केवल उसे सुनते भर हो तो तुम अपने आपको छल रहे हो।

क्योंकि यदि कोई परमेश्वर की शिक्षा को सुनता तो है और उस पर चलता नहीं है,

  • तो वह उस पुरुष के समान ही है जो अपने भौतिक मुख को दर्पण में देखता भर है।
  •  वह स्वयं को अच्छी तरह देखता है, पर जब वहाँ से चला जाता है तो तुरंत भूल जाता है कि वह कैसा दिख रहा था।
  • किन्तु जो परमेश्वर की उस सम्पूर्ण व्यवस्था को निकटता से देखता है,
  • जिससे स्वतन्त्रता प्राप्त होती है और उसी पर आचरण भी करता रहता है,
  • और सुन कर उसे भूले बिना अपने आचरण में उतारता रहता है, वही अपने कर्मों के लिए धन्य होगा।

यदि कोई सोचता है कि वह भक्त है और अपनी जीभ पर कस कर लगाम नहीं लगाता तो वह धोखे में है।

  • उसकी भक्ति निरर्थक है। परमपिता परमेश्वर के सामने सच्ची और शुद्ध भक्ति वही है,
  • जिसमें अनाथों और विधवाओं की उनके दुःख दर्द में सुधि ली जाए
  • और स्वयं को कोई सांसारिक कलंक न लगने दिया जाए। याक़ूब की पत्री 1:19-27

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

(6) बिना प्रदर्शन, ढोंग या दिखावा के शेयर किए (Share Without Pretending)

  • वरन प्रेम में सच्चाई से चलते हुए, सब बातों में उस में जो सिर है, अर्थात मसीह में बढ़ते जाएं।
    इफिसियों 4:15। जिस से सारी देह हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर,
  • और एक साथ गठकर उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक भाग के परिमाण से उस में होता है,
  • अपने आप को बढ़ाती है, कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए॥ इफिसियों 4:16

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

(7) Enjoy without Complaint (बिना शिकायत के आनंद लें)

  • क्योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है। फिलिप्पियों 2:13,
  • सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो। फिलिप्पियों 2:14,
  • ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक संतान बने रहो,
  • (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)। फिलिप्पियों 2:15

(8) ढुलमुल के बिना भरोसा (Trust without Wavering)

  • वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। 1 कुरिन्थियों 13:7,
  • प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। 1 कुरिन्थियों 13:8.
  • वे लोग मरुभूमि की झाड़ी की तरह हैं। वह झाड़ी उस भूमि पर है जहाँ कोई नहीं रहता।
  • वह झाड़ी गर्म और सूखी भूमि में है। वह झाड़ी खराब मिट्टी में है।
  • वह झाड़ी उन अच्छी चीज़ों को नहीं जानती जिन्हें परमेश्वर दे सकता हैं  किन्तु जो व्यक्ति यहोवा में विश्वास करता है, आशीर्वाद पाएगा।
  • क्यों क्योंकि यहोवा उसको ऐसा दिखायेगा कि उन पर विश्वास किया जा सके।   
  • वह व्यक्ति उस पेड़ की तरह शक्तिशाली होगा जो पानी के पास लगाया गया हो। उस पेड़ की लम्बी जड़ें होती हैं जो पानी पाती हैं।
  • वह पेड़ गर्मी के दिनों से नहीं डरता इसकी पत्तियाँ सदा हरी रहती हैं।
  • यह वर्ष के उन दिनों में परेशान नहीं होता जब वर्षा नहीं होती। उस पेड़ में सदा फल आते हैं। यिर्मियाह 17:7-8 

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

(9) बिना दंड दिए क्षमा करें (Forgive without Punishing)

  • इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करुणा,
  • भलाई, दीनता, नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। कुलुस्सियों 3:12,
  • और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो,
  • और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। कुलुस्सियों 3:13,
  •  इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्ध है बान्ध लो। कुलुस्सियों 3:14,
  • और मसीह की शांति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करें, और तुम धन्यवादी बने रहो। कुलुस्सियों 3:15
  • अपराधों को क्षमा दान कर जैसे हमने अपने अपराधी क्षमा किये।

हे सेवकों, यथोचित आदर के साथ अपने स्वामियों के अधीन रहो।

  • न केवल उनके, जो अच्छे हैं और दूसरों के लिए चिंता करते हैं बल्कि उनके भी जो कठोर हैं।   
  • क्योंकि यदि कोई परमेश्वर के प्रति सचेत रहते हुए यातनाएँ सहता है और अन्याय झेलता है तो वह प्रशंसनीय है।   
  • किन्तु यदि बुरे कर्मो के कारण तुम्हें पीटा जाता है और तुम उसे सहते हो तो इसमें प्रशंसा की क्या बात है।
  • किन्तु यदि तुम्हें तुम्हारे अच्छे कामों के लिए सताजा जाता है तो परमेश्वर के सामने वह प्रशंसा के योग्य है।   

परमेश्वर ने तुम्हें इसलिए बुलाया है, क्योंकि मसीह ने भी हमारे लिए दुःख उठाये हैं

  • और ऐसा करके हमारे लिए एक उदाहरण छोड़ा है ताकि हम भी उसी के चरण चिन्हों पर चल सकें।  
  • “उसने कोई पाप नहीं किया और न ही उसके मुख से कोई छल की बात ही निकली।”यशायाह 53:9   
  • जब वह अपमानित हुआ तब उसने किसी का अपमान नहीं किया, जब उसने दुःख झेले,
  • उसने किसी को धमकी नहीं दी, बल्कि उस सच्चे न्याय करने वाले परमेश्वर के आगे अपने आपको अर्पित कर दिया। 
  • सने क्रूस पर अपनी देह में हमारे पापों को ओढ़ लिया।
  • ताकि अपने पापों के प्रति हमारी मृत्यु हो जाये और जो कुछ नेक है उसके लिए हम जीयें।
  • यह उसके उन घावों के कारण ही हुआ जिनसे तुम चंगे किये गये हो। 
  •  क्योंकि तुम भेड़ों के समान भटक रहे थे,
  • किन्तु अब तुम अपने गड़रिये और तुम्हारी आत्माओं के रखवाले के पास लौट आये हो। 1 पतरस 2:18-25

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

(10) बिना भूले अपने वादे निभाओ (Promise without Forgetting)

  • जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है,
  • तब जीवन का वृक्ष लगता है। नीतिवचन 13:12, जो वचन को तुच्छ जानता,
  • वह नाश हो जाता है, परन्तु आज्ञा के डरवैये को अच्छा फल मिलता है। नीतिवचन 13:13,

दूसरों से अपने समान प्रेम करो (Love Anyway: 11 Ways To Love)

(11) आदर करने में बढ़े चलो/ बिना फेल के सम्मान (Honar without Fail

  • पहुनाई करना न भूलें, क्योंकि इसके द्वारा कितनों ने अनजाने स्वर्गदूतों की पहुनाई की है। इब्रानियों 13:2;
  • कैदियों की ऐसी सुधि लो, कि मानो उन के साथ तुम भी कैद हो;
  • और जिन के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है, उन की भी यह समझ कर सुधि लिया करो, कि हमारी भी देह है। इब्रानियों 13:3;
  • विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा। इब्रानियों 13:4;

विश्वाश बिना कर्म मरा हुया है (Faith Without Works Is Dead)

  • हे मेरे भाइयों, यदि कोई व्यक्ति कहता है कि वह विश्वासी है तो इसका क्या लाभ जब तक कि उसके कर्म विश्वास के अनुकूल न हो?
  • ऐसा विश्वास क्या उसका उद्धार कर सकता है?
  • यदि भाइयों और बहनों को वस्त्रों की आवश्यकता हो,
  • उनके पास खाने तक को न हो और तुममें से ही कोई उनसे कहे “शांति से जाओ, परमेश्वर तुम्हारा कल्याण करे,
  • अपने को गरमाओ तथा अच्छी प्रकार भोजन करो” और तुम उनकी देह की आवश्यकताओं की वस्तुएँ उन्हें न दो तो फिर इसका क्या मूल्य है?
  •  इसी प्रकार यदि विश्वास के साथ कर्म नहीं है तो वह अपने आप में निष्प्राण है।

किन्तु कोई कह सकता है, “तुम्हारे पास विश्वास है, जबकि मेरे पास कर्म है,

  • अब तुम बिना कर्मों के अपना विश्वास दिखाओ और मैं तुम्हें अपना विश्वास अपने कर्मों के द्वारा दिखाऊँगा।”
  • क्या तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर केवल एक है?
  • अदभुत! दुष्टात्माएँ यह विश्वास करती हैं कि परमेश्वर है और वे काँपती रहती हैं।

अरे मूर्ख! क्या तुझे प्रमाण चाहिए कि कर्म रहित विश्वास व्यर्थ है?

  • क्या हमारा पिता इब्राहीम अपने कर्मों के आधार पर ही उस समय धर्मी नहीं ठहराया गया था जब उसने अपने पुत्र इसहाक को वेदी पर अर्पित कर दिया था?
  • तू देख कि उसका वह विश्वास उसके कर्मों के साथ ही सक्रिय हो रहा था।
  • और उसके कर्मों से ही उसका विश्वास परिपूर्ण किया गया था।
  • इस प्रकार शास्त्र का यह कहा पूरा हुआ था,

“इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और विश्वास के आधार पर ही वह धर्मी ठहरा”

  • और इसी से वह “परमेश्वर का मित्र” कहलाया।
  • तुम देखो कि केवल विश्वास से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से ही व्यक्ति धर्मी ठहरता है।
  •   इसी प्रकार राहब वेश्या भी क्या उस समय अपने कर्मों से धर्मी नहीं ठहरायी गई, जब उसने दूतों को अपने घर में शरण दी,
  • और फिर उन्हें दूसरे मार्ग से कहीं भेज दिया।
  • इस प्रकार जैसे बिना आत्मा का देह मरा हुआ है, वैसे ही कर्म विहीन विश्वास भी निर्जीव है!

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