बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4 (Word Of Wisdom And Knowledge)

बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4 (Word Of Wisdom And Knowledge)

बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4 (Word Of Wisdom And Knowledge)। बिना लगाम के मत दौड़िये- अपने जोश, जुनून को काम में लाईये परन्तु बेलगाम होकर नहीं। तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के॥ अपने आप को व्यवस्थित करना ही भला है;भजन संहिता 32:9, बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4, मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुंह से कहना यहोवा की ओर से होता है।नीतिवचन 25:28

हे यहोवा, मैं जान गया हूँ, कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है,

  • मनुष्य चलता तो हे, परन्तु उसके डग उसके आधीन नहीं हैं।नीतिवचन 16:1
  • विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है।नीतिवचन 16:32
  • जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा।नीतिवचन 18:21
  • जो अपने मुंह को वश में रखता है वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है।नीतिवचन 21:23
  • जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह नाका कर के तोड़ दी गई हो॥यिर्मयाह 10:23
  • परन्तु यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं तुझे बचाऊंगा, और जिन मनुष्यों से तू भय खाता है, तू उनके वश में नहीं किया जाएगा।यिर्मयाह 39:17
  • मूर्खो को किसी भी व्यवस्था के अधीन होना बुरा लगता है। आप मूर्खतापूर्ण कार्य मत करो।

बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4 (Word Of Wisdom And Knowledge)

बिना सुने, बिना सोचे समझे किसी बात का मतलब मत निकालो, ना जल्दबाजी में गलत उत्तर दो।

  • मैं ने कहा, मैं अपनी चाल चलन में चौकसी करूंगा, ताकि मेरी जीभ से पाप न हो; जब तक दुष्ट मेरे साम्हने है,
  • तब तक मैं लगाम लगाए अपना मुंह बन्द किए रहूंगा।भजन संहिता 39:1
  • यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।याकूब 1:26
  • इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है याकूब 3:2
  • जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते है, याकूब 3:3
  • बुद्धिमान लोग कम बोलते हैं और समझदारी से बोलते हैं।
  • इसलिए अपनी जीभ को वश में रखो, ईश्वर ने 2 कान दिए हैं ताकि ज्यादा सुनें ,
  • सावधानी से सुनें और जीभ एक ही दी है , ताकि कम बोलें या जब उचित हो तभी बोलें,
  • वरना ये अकेली ही काफी है 32 दांतों और 206 हड्डियों को तुड़वाने के लिए।

बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4

जीभ को वश में रखो।

  •  देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्ड वायु से चलाए जाते हैं,
  • तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। याकूब 3:
  •  वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है:
  • देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। याकूब 3:5
  • जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है,
  • और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।  याकूब 3:6
  •  क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। याकूब 3:
  • पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता;
  • वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। याकूब 3:8

बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4

 इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं;

  • और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। याकूब 3:9
  •  एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। याकूब 3:10
  • हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। याकूब 3:11
  •  क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं?
  • हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं?
  • वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता॥ याकूब 3:12
  • तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है?
  • जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है। याकूब 3:13
  • पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो,
  • तो सत्य के विरोध में घमण्ड न करना, और न तो झूठ बोलना। याकूब 3:14

बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4

यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है। याकूब 3:15

  •  इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है। याकूब 3:16
  • पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया,
  • और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है। याकूब 3:17
  •  और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है॥ याकूब 3:18
  •  हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो:
  • इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। याकूब 1:19

बुद्धि और ज्ञान के वचन-भाग 3/4

परन्तु वचन पर चलने वाले बनो,

  • और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। याकूब 1:22
  • क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो,
  • तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।  याकूब 1:23
  • इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था। याकूब 1:24
  • पर जो व्यक्ति स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है,
  • वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है। याकूब 1:25
  • यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे,
  • पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। याकूब 1:26

बुद्धि और ज्ञान के नीतिवचन-भाग 2/4

सफलता के सूत्र  (Success Mantra) 

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